गन्ने की इन नई प्रजातियों से बदलेगी किसानों की किस्मत । New Varieties of Sugarcane

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गन्ने की इन नई प्रजातियों से बदलेगी किसानों की किस्मत । New Varieties of Sugarcane will change the fortunes of farmers
कभी गन्ने की खेती में क्रांति लाने वाली प्रजाती CO 0238 अब किसानों को नुकसान पहुंचा रही है लाल सड़न से यह प्रति चिंता की वजह बनी तो वैज्ञानिकों ने कुछ नई प्रजाति तैयार की जो CO 0238 का स्थान लेगी
शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के 10 साल के लंबे रिसर्च के बाद विकसित हुई इन किस्मों को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रिसर्च से गन्ना किसानों और शुगर मिलों को बड़ी राहत मिलेगी.
• रोगमुक्त तीनों ही गन्ने की किस्में चीनी की रिकॉर्ड तोड़ रिकवरी देगी
• हर तरह की मिट्टी में गन्ने की किस्में उगाई जा सकेगी

इस बारे में शाहजहांपुर के गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर ज्योत्सनेंद्र सिंह ने कहा कि जिसे गन्ने से ये नई किस्मों की खोज की गई है उसमें खास बात यह है कि रोगमुक्त तीनों ही गन्ने की किस्में चीनी की रिकॉर्ड तोड़ रिकवरी देगी साथ ही हर तरह की मिट्टी में गन्ने की किस्में उगाई जा सकेगी.
कौन-कौन सी हैं गन्ने की नई किस्में...
गन्ना शोध संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर ज्योत्सनेंद्र सिंह ने बताया कि गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने को.से. 13235, को.से. 13452 और को.से. 10239 कोलख 14201 और को.से. 14233 किस्में विकसित की हैं.
क्या खासियत है...
को.से 13452: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. 86 से 95 टन प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार होगी. इसमें व्यावसायिक शर्करा उपज 12.08 पाया गया है.
को.से 13235: वैज्ञानिकों का मानना है कि को.से 13235 किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. क्योंकि बाकी गन्नों की तुलना में यह शीघ्र पकने वाला गन्ना है. इसकी उपज 81 से 92 टन प्रति हेक्टेयर है. इसके व्यावसायिक शर्करा की बात की जाए इसमें 11.55 पाया गया है. इसकी फसल 10 माह में पक कर तैयार हो जाती है.
को.से 10239: यह मध्यम देर से पकने वाला गन्ना है. जल भराव की स्थिति में इसकी पैदावार 63 से 79 टन प्रति हेक्टेयर होती है. ऊसर या बंजर जमीन पर इसकी पैदावार 61 से 70 टन पाई गई है. यही नहीं, खास बात यह है कि इन तीनों ही किस्मों में कीट और रोगों के प्रकोप शून्य है.

को.से 14233 वैरायटी मध्य देर से पकने वाली जिसे सर्वसम्मति से सामान्य खेती के लिए स्वीकृत किया गया। औसत उपज 87.90 से 93.65 टन प्रति हेक्टेयर तक है। पोल प्रतिशत इन केन माह नवम्बर, जनवरी एवं मार्च में क्रमश: 11.75, 12.81 तथा 13.63 पायी गयी। मध्य देर से पकने वाली किस्म कोशा 14233 का गन्ना सीधा, मध्यम मोटा, मध्यम कड़ा एवं ठोस होता है तथा पेड़ी उपज भी बेहतर है।

कोलख 14201- प्रस्तुत आंकड़ों के आधार पर विभिन्न जीनोटाइप में अगेती किस्मों में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ द्वारा विकसित की गई है अगेती प्रजाति है। इसकी औसत उपज 84.34 से 91.58 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। रिकवरी 13 फीसदी तक होने के कारण यह चीनी मिलों के लिए भी लाभप्रद होगी। इसका गन्ना सीधा खड़ा रहता है, जिससे बंधाई की कम आवश्यकता पड़ती है तथा इसका गुड़ सुनहरे रंग एवं उच्च गुणवत्तायुक्त होता है। इस पर बेधक कीटों का भी प्रकोप कम होता है।

रोगमुक्त गन्ने की किस्म....
डॉक्टर ज्योत्सनेंद्र सिंह ने बताया कि कुछ समय पहले तक किसानों के बीच co 0238 किस्म का गन्ना काफी मशहूर था. क्योंकि इस किस्म से किसान और शुगर मिलों को अच्छा फायदा होता था. इस कारण किसानों ने जरूरत से ज्यादा इसकी खेती की. नतीजा यह हुआ कि co 0238 गन्ने की खेती ज्यादा होने के कारण इसकी अच्छी कीमत मिलना बंद हो गई. साथ ही इस किस्म में लाल सड़न रोग (Red Rot Disease) फ़ैल गया और किसानों को भारी नुकसान हुआ. इस स्थिति को देखते हुए गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों ने नई किस्मो को तैयार किया जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये किस्में फिलहाल रोगमुक्त हैं.
गन्नों को तबाह कर देता है लाल सड़न रोग....
गन्ने की फसल अक्सर लाल सड़न रोग (Red Rot Disease) के चपेट में आकर तबाह हो जाती है. डॉक्टर ज्योत्सनेंद्र सिंह ने बताया कि लाल सडन रोग गन्ने को पूरी तरह सुखा देता है. लाल सडन रोग के पीछे फंगस जिम्मेदार होता है. इससे गन्ने में लाल चित्ते पड़ जाते हैं और सिरके जैसी महक आने लगती है जिससे धीरे-धीरे यह पूरी खेती को सुखा देता है.




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