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  • A2 learning With fun
  • 2025-08-24
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जब रावण ने उठाया कैलाश पर्वत जय श्री राम हर हर महादेव
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Описание к видео जब रावण ने उठाया कैलाश पर्वत जय श्री राम हर हर महादेव

जय महाकाल हर हर महादेव
जब रावण ने उठाया कैलाश पर्वत

रावण ने अहंकार व अपनी शक्ति के प्रदर्शन में भगवान शिव का कैलाश पर्वत उठाने का प्रयास किया था, जिससे शिव ने अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को दबाकर रावण का हाथ पर्वत के नीचे फँसा दिया था। रावण के कराहने और शिव को प्रसन्न करने के लिए 'शिव तांडव स्तोत्र' की रचना करने के बाद शिव ने पर्वत का भार कम किया और रावण ने अपना हाथ निकाला, जिससे उसका अहंकार कम हुआ और वह शिव का अनन्य भक्त बन गया।

घटना का विवरण:
अहंकार में उठाया पर्वत:
अपनी अपार शक्ति के घमंड में, रावण भगवान शिव को अपने शहर लंका ले जाने की सोचता है, और इसके लिए वह कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करता है।
शिव का अंगूठा:
जब रावण पर्वत को उठाने लगता है, तो पर्वत हिलने लगता है और भगवान शिव अपने पैर के अंगूठे से पर्वत को नीचे दबा देते हैं।
हाथ फँस गया:
पर्वत के बढ़ते भार से रावण का हाथ उसके नीचे दब जाता है और वह उसे निकाल नहीं पाता।
शिव तांडव स्तोत्र की रचना:
अपनी गलती का एहसास होने पर और पीड़ा से कराहने के बाद, रावण भगवान शिव की स्तुति करते हुए शिव तांडव स्तोत्र की रचना करता है।
शिव की कृपा:
रावण की भक्ति और पश्चाताप से प्रसन्न होकर भगवान शिव पर्वत का भार कम करते हैं, और रावण अपने हाथ को पर्वत के नीचे से निकाल पाता है।
घटना के बाद:
अहंकार का त्याग:
इस घटना से रावण के अहंकार का नाश हुआ और उसे शिव की शक्ति का आभास हुआ।
शिव का अनन्य भक्त बनना:
रावण शिव की कृपा प्राप्त करता है और उनके अनन्य भक्तों में शामिल हो जाता है।

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