Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें

  • Astro Shubh Pandit ji
  • 2024-12-26
  • 253
Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें
Shri Argala Stotram।श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मीविद्याबुद्धिपुत्रपत्नी की प्राप्ति के लिए सुनेंशुक्रवार को अवश्य ही सुनें या पाठ करें।
  • ok logo

Скачать Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें

Shri Argala Stotram। श्रीअर्गला स्तोत्रम्।लक्ष्मी,विद्या,बुद्धि,पुत्र,पत्नी की प्राप्ति के लिए सुनें

#shriargalastotram। #श्रीअर्गलास्तोत्रम्।#लक्ष्मीविद्याबुद्धिपुत्रपत्नीकीप्राप्तिकेलिएसुनें।
#शुक्रवारकोअवश्यहीसुनेंयापाठकरें।

।।अर्गला स्तोत्रम्।।

अस्य श्री अर्गलास्तोत्रमहामन्त्रस्य विष्णुरृषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीमहालक्ष्मीर्देवता, श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठाङ्ग जपे विनियोगः ।

ओं नमश्चण्डिकायै ।

मार्कण्डेय उवाच ।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि । जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥१ ॥

जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥

मधुकैटभविद्रावि विधातृवरदे नमः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ३ ॥

महिषासुरनिर्नाश भक्तानां सुखदे नमः । [विधात्रि वरदे]
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ४ ॥

रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥५॥

शुम्भस्य वै निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥६ ॥

वन्दिताघ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥७ ॥

अचिन्त्यरूपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ८ ॥

नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ९॥

स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १० ॥

चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ११ ॥

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवि परं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १२ ॥

विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १३ ॥

विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १४ ॥

सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥१५ ॥

विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं च मां कुरु
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥१६ ॥

प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥१७ ॥

चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥१८ ॥

कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या त्वमम्बिके
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥१९ ॥

हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥२० ॥

इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्वरि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥२१ ॥

देवि प्रचण्डदोर्दण्ड दैत्यदर्पविनाशिनि ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥२२ ॥

देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥२३ ॥

पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥२४ ॥

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥२५ ॥

इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः ।
स तु सप्तशतीसङ्ख्यावरमाप्नोति सम्पदाम् ॥ २६ ॥

।।इति अर्गला स्तोत्रम् ।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]