NAGPUR Marbat Festival All Marbat @kurre_rs| Dipti signal | Kali pili marbat festival 2023

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नागपुर शहर की शान घेउन जागे मारबत.बडग्या 2023 ‎@kurre_rs  #nagpur#city marbat festival#viral#dj#new

पूरी दुनिया में सिर्फ नागपुर में होने वाला एक अनोखा त्यौहार

नागपुर की शान घेउन जागे मारबत

काली और पीली मारबत उत्सव 2023


नागपुर के लोग इस उत्सव को बुरी ताकतों और बीमारियों को दूर रखने के लिए बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस उत्सव को लेकर लोग सड़कों पर जुलूस निकालकर गानों की धुन पर थिरकते हैं। यह अनूठा पर्व नागपुर की खास पहचान है। मारबत 1885 से बनाई जा रही है

उपराजधानी नागपुर देश का ऐसा शहर है जहां से सर्वप्रथम मारबत की शुरुआत हुई थी और आज सर्वाधिक मारबत (देवी स्वरुप पुतला ) यहीं से निकाले जाते हैं। तान्हा पोला के दौरान मारबत और बडग्या (कचरे से बना पुतला) निकालते हैं। शहर में ऐसे कई मंडल हैं, जिनके द्वारा बडग्या और मारबत का निर्माण किया जाता है। तान्हा पोला के दौरान मारबत का जुलूस निकालने की प्रथा शहर में कई वर्षों से चली आ रही है।

कहा जाता है कि मारबत और बड़ग्या को बुराई के प्रतीक के रूप में माना जाता है। इस परंपरा को चलाने के लिए मारबत का निर्माण करनेवाले कारागीरों की पीढ़ियां अब भी काम कर रही हैं। यह परंपरा काली और पीली मारबत बनाकर आज भी चलाई जा रही है। नागपुर के लोग इस उत्सव को बुरी ताकतों और बीमारियों को दूर रखने के लिए बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस उत्सव को लेकर लोग सड़कों पर जुलूस निकालकर गानों की धुन पर थिरकते हैं।

यह अनूठा पर्व नागपुर की खास पहचान है। मारबत 1885 से बनाई जा रही है। इसके निर्माण की शुरुआत मूर्तिकार गणपतराव शेंडे ने की थी। उनके जाने के बाद उनके बेटे भीमाजी शेंडे ने ये प्रथा जारी रखी और

ऐसी धारणा है कि मारबत को शहर से बाहर ले जाकर जलाने से सारी बुराइयां, बीमारियां, कुरीतियां भी खत्म हो जाती हैं।

बीमारियों से मिलती है मुक्ति

कहा जाता है कि इसे मनाने का उद्देश्य शहर में फैल रही बीमारियों से मुक्ति पाना था। उस समय शहर में बीमारियों का दौर सा चल पड़ा था। तब लोगों में एक धारणा बन गई थी कि मारबत का निर्माण करने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है और इसी तरह लोगों ने इसका निर्माण शुरू किया। ब्रिटिश काल से चली आ रही यह प्रथा इसे सिर्फ यही कारण नहीं है। इसके पीछे एक धार्मिक कारण भी है।

एक और कारण के बारे में तीसरा शिल्पकार गजानन शेंडे ने बताया के श्रीकृष्ण को दूध पिलाने गयी पूतना राक्षसी का वध होने के बाद गोकुल निवासियों ने घरका सभी कचरा निकालकर उसका जुलूस बनाया


इसीलिए विदर्भ में मनाते हैं त्योहार

कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को दूध पिलाने गयी पुतना राक्षसी विदर्भ की राणी थी। इसीलिए ये विदर्भ में मानाया जाता है। मारबत के 100 वर्षों बाद पिली मारबत को देवी का स्वरूप मना जाने लगा। कई लोगों के साथ चमत्कार होणे लगे, उनकी मन्नतें पूरी होने लगी। लोगों की श्रद्धा बढने लगी और आज मारबत का दर्शन करने नेताओं से लेकर दूर दूर से लोग आते हैं। श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाते हैं।


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