बौद्ध दर्शन : हीनयान के दार्शनिक सिद्धान्त, भाग-1, (भारतीय दर्शन :दर्शन शास्त्र, वैकल्पिक विषय)

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हीनयान कई मतों में विभाजित था। वसुमित्र ने हीनयान के अट्ठारह मतों का उल्लेख किया है।
किन्तु हीनयान के प्रमुख मत तीन थेरवाद (स्थविरवाद) सर्वास्तिवाद (वैभाषिक) और सौत्रान्तिक।
थेरवाद और सर्वास्तिवाद में कुछ महत्त्वपूर्ण भेदों के होते हुए भी उनके दर्शनों में विशेष अन्तर नहीं है। वैभाषिक और सौत्रान्तिक सम्प्रदायों में भी कुछ महत्त्वपूर्ण मतभेद है। इन भेदों के होते हुए भी कई प्रमुख दार्शनिक सिद्धान्तों में दोनों एकमत हैं।
अतः हीनयान के प्रमुख सम्प्रदाय के रूप में सर्वास्तिवाद का निरूपण उचित होगा।
बुद्ध के दार्शनिक सिद्धान्त पालि के विनयपिटक और सुतपिटक से संकलित किये जा सकते हैं।
पालि अभिधम्मपिटक, यद्यपि बुद्ध वचन कहा जाता है, तथापि वह वस्तुतः बुद्ध वचनों की स्थविरवादियों द्वारा की गई व्याख्या है जिसमें बुद्ध के सिद्धान्त दब गये हैं।

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