Growth & Comfort Zone | ग्रो नहीं करना मतलब मृत्यु | Harshvardhan Jain

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Growth zone or comfort zone. What do you want ? The choice is yours. You have limitless potential. Use your potential to make yourself a game changer. Don't be a pet or a puppet. Think like a lion, the king of jungle for extra enhancement of freedom .


कंफर्ट जोन व्यक्ति को पिंजरे में कैद कर देता है। पिंजरे में बंद पंछी पिंजरा तोड़ कर अर्थात कंफर्ट जोन छोड़कर खुले आसमान में उड़ जाता है। कंफर्ट जोन एक सीमित दायरा होता है। इस दायरे से बाहर निकलकर असीमित संभावनाओं का संसार मिलता है। कंफर्ट जोन आपके सपनों को घोड़े की तरह लगाम लगा देता है। कंफर्ट जोन छोड़कर आप बेलगाम घोड़े की तरह खुले आसमान के नीचे अपने सपनों की जिंदगी का पीछा करते हुए भविष्य से रेस मिलाते हैं। कंफर्ट जोन सामान्य जीवन जीने का एक तरीका है। कंफर्ट जोन छोड़कर असाधारण जीवन का शुभारंभ होता है। हर व्यक्ति को कंफर्ट जोन छोड़कर अपनी महत्वाकांक्षाओं का एक नया संसार बना लेना चाहिए। महत्वकांक्षी लोग अपने सपनों का जीवन जीते हैं और अपने सपनों की सीमा रेखा खुद तय करते हैं। वे अपने जीवन की असीमित संभावनाओं की सीमाएं खुद तय करते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं की दीवार बनाकर दुनिया में अपना एक अलग साम्राज्य बना लेते हैं।

संतुष्टि भरा जीवन कंफर्ट जोन होता है। दो तरह के शेर होते हैं- एक जंगल का शेर और दूसरा पिंजरे का शेर होता है। जंगल के शेर को हर दिन संघर्ष करना पड़ता है, हर दिन शिकार के लिए अपनी सीमाओं को लांघना पड़ता है। पिंजरे के शेर को हर चीज आसानी से मिल जाती और शिकार करने के लिए संघर्ष भी नहीं करना पड़ता है। लेकिन जंगल का शेर हर रोज संघर्ष करने के बावजूद राजा की तरह जीता है और पिंजरे का शेर गुलामों की तरह जीता है। जंगल का शेर अपनी शर्तों पर जीवन जीता है और पिंजरे का शेर दूसरों की शर्तों पर जीवन जीता है। यदि हमें कुछ भी मुफ्त में मिल रहा है या आसानी से मिल रहा है, तो मुफ्त में मिले हुए का त्याग करना चाहिए। अपनी मेहनत और कुशलता से कमाया गया धन आपको राजा बनाता है और मुफ्त में मिला धन या आसानी से मिला धन आपको गुलाम बनाता है। जिस प्रकार चिड़िया को पकड़ने के लिए शिकारी दाना डालता है, उसी प्रकार लोगों को फंसाने के लिए चतुर रोग मुफ्त या आसानी से दाना डालकर फंसाते हैं।

यदि आपके कदम आगे नहीं बढ़ रहे हैं, तो आप पीछे जा रहे हैं क्योंकि आगे ना बढ़ने वालों को धीमे-धीमे चलने वाले भी पीछे छोड़ देते हैं। एक जगह पर रुके रहने वाले लोगों को वह भी नहीं मिलता है जिसे धीमे-धीमे चलने वाले लोग छोड़ दिया करते हैं। यदि आप कंफर्ट जोन की जंजीरों में बंधे हुए हैं, तो आप सपने भी नहीं देख सकते, महत्वाकांक्षाएं भी नहीं पाल सकते और आसमान में उड़ने की कल्पनाएं भी नहीं कर सकते। आगे बढ़ने के लिए आशाओं, आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं का होना बहुत जरूरी है। बिना किसी लक्ष्य के आपको उत्साहित कौन करेगा ? यदि आपके पास कोई लक्ष्य नहीं है तो लक्ष्य बनाएं। लक्ष्य छोटे हैं तो बड़े लक्ष्य बनाएं क्योंकि एक जगह पड़े पड़े तो लोहे में भी जंग लग जाता है। अपने मन के सामर्थ्य को हतोत्साहित मत करो। अपने मन को इतना सामर्थ्यवान बनाओ कि किसी भी तरह की चुनौती को स्वीकार करके समाप्त कर सके। कंफर्ट जोन में वही लोग फंसते  हैं, जिनके मन की उड़ान नहीं होती है, जिनके मन की रफ्तार नहीं होती है। मन के घोड़ों को दौड़ाना आसान और मुफ्त होता है। मन को जितना उड़ने के लिए प्रेरित करेंगे, उतना ही कंफर्ट जोन पीछे छूट जाएगा।

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