रामचरितमानस मासपारायण प्लेलिस्ट
• मासपारायण
प्रसङ्ग: अष्टमूर्ति शङ्कररुप ब्रह्मकुल की वन्दना, सीता लक्ष्मण संयुक्त बटोही राम की वन्दना, रामजी के गुणो की गूढ़ता, सीता का पुष्प श्रृङ्गार, बल परीक्षा के लिये जयन्त का वायस वेष् धारण, सीता पर चोच प्रहार, ब्रह्मास्त्र प्रयोग, जयन्त का पलायन, नारद का उपदेश, जयन्त की शरणागति, प्रभु का छोह, मुनियों से विदा, अत्रि के आश्रम में आगमन, सत्कार, पूजा स्तुति, स्तुति की फल-श्रुति, अनसूया सीता मिलन, श्रीसीताजी को अनसूयाजी का नारी-धर्म उपदेश, दूसरे वन में जाने के लिये अत्रि की अनुमति, श्रीरामजी का आगे प्रस्थान, राम लक्ष्मण के बीच में सीता की शोभा, प्रकृति की अनुकूलता, विराध वध में प्रभु की पण्डिताई, विराध की गति, शरभङ्ग के यहाँ आगमन, शरभङ्ग का कथन, शर रचना करके मुनि का बैठना, हृदय में वास के लिए वरदान माँगना, योगाग्नि से शरीर त्याग, शरभङ्ग की गति, पृथ्वी को निशिचर हीन करने की प्रतिज्ञा, सब मुनियो के आश्रमों मे जाकर सुख देना, प्रभु का आगमन सुनकर सुतीक्ष्ण मुनि का अतिशय प्रेम, समाधि से प्रभु का जगाना, मुनि से भेंट, आश्रम में जाकर पूजा, स्तुति,मुनि की रुचि अनुसार वरदान, मुनि के साथ प्रभु का आगस्ताश्रम के लिए प्रस्थान, पंथ में भक्ति-कथन, सुतीक्ष्ण का जाकर गुरु को संवाद देना, अगस्त्य जी का दौड़ना, अगस्त्य जी से भेंट, कुशल प्रश्न पूछना, मुनिसमूह में शोभा, के वध का मन्त्र पूछना, मुनि की स्तुति, वरदान माँगना, वही वास करने की अनुमंति, मुनि की आज्ञा पाकर रामजी का दण्डक वन प्रवेश, गीधराज से भेंट, गोदावरी के निकट पर्ण गृह बनाकर वास, मुनियों का राक्षसों के त्रास से मुक्त होना, वन वर्णन और प्रकृति के सौन्दर्य की अभिवृद्धि, लक्ष्मणजी के तीन प्रश्न, भगवान श्रीराम द्वारा माया निरुपण, ज्ञाननिरुपण, परमवैराग्य निरुपण, ईश्वर-जीव भेद निरुपण, ज्ञानदीप का बीज, भक्ति से भगवान का शीघ्र द्रवित होना, भक्ति की स्वतंत्रता, सतसङ्ग से अनुपम सुखमूल भक्ति की प्राप्ति, भक्तिचिन्तामणि बीज, विप्र चरण प्रीति तथा स्वधर्माचरण, उससे विषय वैराग्य तथा भगवद् धर्म में अनुराग, भगवद् लीला में रति, सन्त चरण में प्रेम, मन, कर्म वचन से भजन, लक्ष्मण को सुख प्राप्ति, सूर्पणखा का पंचवटी मे आगमन, दोनो भाइयों पर मोहित होना, प्रेम प्रस्ताव, प्रभु का उसे लक्ष्मण के पास भेजना, लक्ष्मण का उसे समझाकर फिर प्रभु के पास लौटाना, रामजी का फिर् उसे लक्ष्मण के पास भेजना, लक्ष्मण द्वारा तिरस्कार, सूर्पनखा का प्रभु के पास आकर भयङ्कर रुप प्रकट करना, रामजी के इङ्गित करने पर लक्ष्मण द्वारा श्रवण नासिका छेदन, सूर्पणखा द्वारा खरदूषण को धिक्कार, खरदूषण का ससैन्य प्रस्थान, लक्ष्मण का सीता को राम की आज्ञा से गिरि कन्दरा में ले जाना, राम की युद्ध के लिये तैयारी, खरदूषण का दूत भेजना, रामजी का उत्तर, धावा, धनुषटङ्कार, प्रभु की पण्डिताई, सबका वध, लक्ष्मण का सीता को लाना, प्रभु का सुर मुनि सुखदायक चरित्र, खर-दूषण का शव देखकर् सूर्पणखा का रावण के यहाँ जाना, रावण का सान्त्वना देना, रावण का रात्रि में विचार, दृढ मन्त्र, एकाकी रथ पर चढ़कर मारीच के पास जाना, लक्ष्मण का कन्द मूल लेने वन जाना, रामजी का सीताजी से अपना विचार प्रगट करना, अपना प्रतिबिम्ब वहाँ रखकर सीताजी का अग्निप्रवेश, दशकन्धर का मारीच के पास जाना, रावण का उसे कपटमृग बनकर सीताहरण में सहायक होने के लिये अनुरोध, मारीच का समझाना, रावण का क्रोध, मारीच का निश्चय, रावण के साथ चलना, मारीच का मनोरथ, सीता का स्वर्णमृग देखना,रामचन्द्र से मृगछाला के लिये सीता की प्रार्थना,लक्ष्मण का पहरा,रामचन्द्र का मृग वध के लिए प्रस्थान, पीछा करना, मृग का कपट। मृग वध ॥ रामचन्द्र के स्वर से मृग का लक्ष्मण को पुकारना । मारीच की गति, प्रभु का लौटना, आर्तगिरा सुनकर लक्ष्मण को जाने के लिए सीता का आदेश, लक्ष्मण का समझाना, सीता का क्रोध, लक्ष्मणजी का प्रस्थान, दशानन का यति के वेष में आगमन, राजनीति भय प्रीति दिखलाना, सीताका सन्देह,रावण का निजरूप प्रकाश-पुर्वक अपना नाम ख्यापन, सीताहरण, सीता विलाप, जटायु रावण युद्ध, जटायु का पक्षच्छेदन, रावण का पुन: सीता को ले चलना, रावण का सीता को अशोकवन में रखना, सीता का रामछ॑वि हृदय धारण पुर्वक नाम रटना, लक्ष्मण को आते देखकर राम की वाह्य चिन्ता, आश्रम पर जाना, विलाप, लक्ष्मण का समझाना, सीता की खोज मे लतातरु पाती से पूछते चलना, सीताजी का नखशिख वर्णन, गीध को पडा़ हुआ देखकर उसके सिर पर हाथ रखना, गीध का सब वृत्तान्त सुनना, राम-जटायु संवाद, गीध की गति। गीध कृत राम की हरिरुप से स्तुति, अविरल भक्ति माँगकर हरिधाम प्रस्थान, रामचन्द्र द्वारा गीध क्रिया, सीता को खोजते हुए चलना, वन-वर्णन,कबन्ध वध, गन्धर्व रूप कबन्ध द्वारा आत्मकथा निवेदन, रामचन्द्र द्वारा ब्राह्मणमहिमा कथन, भागवदधर्म उपदेश, शबरी के यहाँ रामजी का जाना,शबरी द्वारा पुजा स्तुति नवधा भक्ति का उपदेश, जनकसुता की सुधि पूछना, शबरी की भविष्यवाणी, शबरी का योगाण्नि से देह त्याग, पम्पासरकी ओर प्रस्थान, विरही की भाँति विषाद करना, कामसेना के व्याज से वसन्त वर्णन, सरोवर वर्णन, स्नान, तरु छाया में परम प्रसन्न होकर बैठना, देव मुनियों का आगमन और स्तुति, नारदजी का आना, नारद का स्वागत, नारद की विनती, राम नाम का सब नामों से अधिक श्रेष्ठ होने का वरदान, विवाह न होने देने का कारण पूछना, रामजी का उत्तर, भक्त शिशु बालक, ज्ञानी प्रौढ़ तनय, अतः भक्त की विशेष रखवारी, मोह की सेना में नारी का अति दारुण दु खद होना, नारी में छवो ऋतु, भारी निविडान्धकारमयी रात्रि, बुद्धि बल, शील, सत्य मछलियो के लिए नारी बंशी, नारदजी का सन्त लक्षण पूछना, प्रभु का उत्तर, फल श्रुति, ग्रन्थकर्ता का मन को उपदेश इत्यादि
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