भक्तों के बीच का व्यवहार | प्रभुपाद लीलामृत | ISKCON Rohini | 19 Apr 2024 | Gopal Krishna Goswami

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भक्तों के बीच का व्यवहार | प्रभुपाद लीलामृत | ISKCON Rohini | 19 Apr 2024 | Gopal Krishna Goswami

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मुख्य टिप्पणियाँ-

1.श्रील प्रभुपाद ने जब हिप्पियों को दीक्षा दी तब नियम इतने कड़े नहीं थे, आज के समय पर नियम बहुत कड़े हैं, क्या वो हम पुराने नियमों को दोबारा लेकर नहीं आ सकते।
2. श्रील प्रभुपाद ने हिप्पियों को हैपी कैसे बनाया।
3. क्या गुरु शिष्य के सारे कर्मफल को हमेशा के लिए ले लेता है।
4. केवल दीक्षा लेना ही काफी नहीं है, दीक्षा तो प्रथम चरण है।
5. मंदिर का निर्माण हो गया है (ISKCON रोहिणी) लेकिन ये प्रथम चरण है अब भक्तों की संख्या कैसे बढेगी वो निर्भर करता है आपस में भक्तों के व्यवहार के ऊपर।
6. भक्तों का व्याहर् निर्भर करता है “त्रिनाद अपि सुनी चेना”…के ऊपर।
7. श्रील प्रभुपाद ने कैसे पहले न्यूयॉर्क फिर सैन फ्रांसिस्को फिर मॉन्ट्रियल में एक के बाद एक कृष्ण भावनामृत (ISKCON) की स्थापना की और भक्तों की संख्या बढ़ती गई।
8. देवता मंत्रालय के आदेश के अनुसार पंच तत्व की स्थापना ISKCON रोहिणी में की गई और लक्ष्मी प्रह्लाद नृसिंहदेव की स्थापना संत नगर में की गई क्योंकि लक्ष्मी नृसिंहदेव के लिए अलग मंदिर बनाना पड़ता है।
9. ISKCON में मैनेजमेंट प्रणाली अच्छा है जिसके करण शोषण हो ही नहीं सकता।
10. फंड कलेक्शन कभी बंद नहीं होगा चार चीज़ों की आवश्यकता हमेशा रहेगी- भूमि, श्रम, संगठन और मूलधन।
11. रोहिणी मंदिर का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है, अभी भी बहुत सारी जगह पर निर्माण बाकी है, संग्रहालय भी बनाना है।
12. ऐसा नहीं है कि जो धन नहीं देता उसका आदर नहीं करता, ISKCON में धन देने वाला हो या ना देने वाला हो सबको आदर करने की शिक्षा मिलती है। 13. प्रह्नोउत्तर: जप में सुधार, भक्तों के बीच मधुर संबंध कैसे हो, भक्तों की संख्या मंदिर में कैसे बढ़ेगी, कृष्ण और जीवो के बीच का संबंध और गुरु और शिष्य के संबंध के बीच की समानता, भक्तो मे सेवाए करते समय मन मुटाव का करण और उसमें सुधार के उपाय, क्या हम बाकी विग्रहों के साथ श्रीजगन्नाथ जी को स्थापित करके पूजा नहीं कर सकते, क्या विनम्र बन ने से लोग मेरा फायदा उठाएंगे..

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