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Скачать или смотреть कामाख्या देवी मंदिर की 10 बातें जो हर किसी को जान लेनी चाहिए | Kamakhya Devi Mandir

  • भक्ति की शक्ति
  • 2023-05-13
  • 4681
कामाख्या देवी मंदिर की 10 बातें जो हर किसी को जान लेनी चाहिए  | Kamakhya Devi Mandir
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Описание к видео कामाख्या देवी मंदिर की 10 बातें जो हर किसी को जान लेनी चाहिए | Kamakhya Devi Mandir

51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या शक्तिपीठ बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी है। कामाख्या देवी का मंदिर अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है।

असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित यह शक्तिपीठ नीलांचल पर्वत से 10 किलोमीटर दूर है।

पौराणिक कथाओं से इतर इस मंदिर का एक लंबा इतिहास भी रहा है। माना जाता है कि सबसे पहले तो यह आठवीं या नौवीं सदी के बीच बना था, या Mlechchha dynasty के दौरान। इतिहासकारों की माने, 1498 में हुसैन शाह ने इस पर हमला बोला और मंदिर तोड़ डाला।

फिर सन 1500 के आसपास इस मंदिर को फिर से खोज लिया गया। पहले बिहार में कोच वंश के संस्थापक राजा बिश्वसिंह ने इसको ईंट और सोने से बनवाया।

फिर 1565 में उनके पुत्र राजा नरनारायण ने इसकी ठीक से मरम्मत कराई, इसे और बड़ा स्वरूप दिया। आज जो मुख्य मंदिर दिखता है, वह राजा नर नारायण का ही बनवाया हुआ है।

कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है। इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अम्बे की कोई मूर्ति या चित्र आपको दिखाई नहीं देगा। वल्कि मंदिर में एक कुंड बना है जो की हमेशा फूलों से ढ़का रहता है।

इस कुंड से हमेशा ही जल निकलता रहतै है। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है और योनी भाग के यहां होने से माता यहां रजस्वला भी होती हैं।

हिन्दू धरम के पुराणों के अनुसार माना जाता है, कि इस शक्तिपीठ का नाम कामाख्या इसलिए पड़ा ,क्योंकि इस जगह भगवान शिव का मां सती के प्रति मोह भंग करने के लिए, विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे, जहां पर यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया, और इस जगह माता की योनी गिरी थी, जोकी आज बहुत ही शक्तिशाली पीठ है।

यहां वैसे तो सालभर ही भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, वसंती पूजा, मदानदेऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर का अलग ही महत्व है जिसके कारण इन दिनों में लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुचतें है।

आइये जानते है आगे कामाख्या देवी मंदिर के १० रहस्य

नंबर १ - हर साल यहां अम्बुबाची मेला के दौरान पास में स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है। फिर तीन दिन बाद दर्शन के लिए यहां भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ती है। आपको बता दें की मंदिर में भक्तों को बहुत ही अजीबो गरीब प्रसाद दिया जाता है।

नंबर २ - पौराणिक कथाओं में है कि इस मंदिर को कामदेव ने भगवान विश्वकर्मा की मदद से बनवाया था और तब इसका नाम आनंदख्या रखा गया। कामाख्या मंदिर का जिक्र कालिका पुराण, योगिनी तंत्र, शिव पुराण, बृहद्वधर्म पुराण में भी मिलता है।

नंबर ३ - दूसरे शक्तिपीठों की अपेक्षा कामाख्या देवी मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गीला कपड़ा दिया जाता है। कहा जाता है कि जब मां को तीन दिन का रजस्वला होता है, तो सफेद रंग का कपडा मंदिर के अंदर बिछा दिया जाता है। तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से लाल रंग से भीगा होता है। इस कपड़ें को अम्बुवाची वस्त्र कहते है। इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

नंबर ४ - काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी है। कामाख्या देवी की पूजा भगवान शिव के नववधू के रूप में की जाती है, जो कि मुक्ति को स्वीकार करती है और सभी इच्छाएं पूर्ण करती है।

नंबर ५ - मंदिर परिसर में जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है उसकी हर मुराद पूरी होती है। इस मंदिर के साथ लगे एक मंदिर में आपको मां का मूर्ति विराजित मिलेगी। जिसे कामादेव मंदिर कहा जाता है।

नंबर ६ - माना जाता है कि यहां के तांत्रिक बुरी शक्तियों को दूर करने में भी समर्थ होते हैं। हालांकि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल काफी सोच-विचार कर करते हैं। कामाख्या के तांत्रिक और साधू चमत्कार करने में सक्षम होते हैं। कई लोग विवाह, बच्चे, धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामाख्या की तीर्थयात्रा पर जाते हैं।

नंबर ७ - कामाख्या मंदिर तीन हिस्सों में बना हुआ है। पहला हिस्सा सबसे बड़ा है इसमें हर व्यक्ति को नहीं जाने दिया जाता, वहीं दूसरे हिस्से में माता के दर्शन - होते हैं जहां एक पत्थर से हर वक्त पानी निकलता रहता है। माना जाता है कि महीनें के तीन दिन माता को रजस्वला होता है। इन तीन दिनो तक मंदिर के पट बंद रहते है। तीन दिन बाद दुबारा बड़े ही धूमधाम से मंदिर के पट खोले जाते है।

नंबर ८ - माता का सबसे बड़ा शक्तिपीठ यही है। माताजी की पूजा यहाँ बलि देकर होती है। यह बहुत पहले से होता आया है, बल्कि जबसे यह मंदिर बना है शायद तब से एहि रीति है । यहां भैंसे और बकरे की बलि दी जाती है। इसके अलावा गन्ने और कुम्हड़े की भी बलि देते हैं। फलों की भी बलि दी जाती है। मतलब जिसमें लोगों की आस्था हो, उसी की लोग बलि देते हैं।

नंबर ९ - यह शायद भारत का इकलौता मंदिर है, जहां शासक होती हैं महिलाएं और दास होते हैं पुरुष। महिलाओं को यहां पहले दर्शन भी करने दिया जाता है।

नंबर १० - कामाख्या मंदिर तंत्र मंत्र की दसों महाविद्याओं के लिए भी जाना जाता है। अगर योनि तंत्र के हिसाब से मानें तो इसमें बहुत सारे मंदिर हैं। दस महाविद्याओं में से तीन विद्याएं तो मंदिर के अंदर ही है। इसके अलावा बाकी सात मंदिर आपको बाहर मिलेंगे। काली, तारा, छिन्नमस्ता,

#kamakhyadevistory

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