दशा का फल - अन्तर्दशा नियम part -1( Nitin Kashyap )

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अन्तर्दशा का फलित करते समय अधिकतर ज्योतिषी कुंडली के भाव और ग्रहों की दृष्टि युति का ही प्रयोग करते है| जबकि विंशोत्तरी दशा नक्षत्र आधारित है| इस video में Nitin Kashyap बता रहे है की किस प्रकार नक्षत्र और तारा का प्रयोग कर हम अंतर दशा का फल ज्ञात कर सकते है| इस नियम के अनुसार महादशा के नक्षत्र से अन्तर्दशा के नक्षत्र तक गिने, जो संख्या आये उसे नौ से भाग से और शेष फल पर ध्यान दें| यदि संख्या 9 से कम हो तो भाग देने की आवश्यकता नही होती है|यदि शेष संख्या 1 हो तो जन्म तारा आती है, ऐसी दशा में कर्म अनुसार फल मिलते है| विपत, प्रत्त्यरि और वध तारा (3, 5 और 7 शेष) आना शुभ नही होता है| शेष को शुभ तारा माना जाता है| मुहुर्त और प्रश्न में भी इसका प्रयोग होता है|

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