श्रेय:
संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
लेखक - रमन द्विवेदी
भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन....भक्तों हमारे देश में हजारों ऐसे मंदिर हैं जिनसे जुड़े कई हैरतअंगेज़ किस्से कहानियाँ हैं जो न केवल जनसामान्य को रोमांचित करते बल्कि अपने चमत्कारों के समक्ष श्रद्धा और भक्ति से नतमस्तक होने को विवश कर देते हैं। ऐसा ही चमत्कारिक और रहस्यमई मंदिर है आवरी माता का मंदिर ...
मंदिर के बारे में:
भक्तों आवरी माता का मंदिर वीरभूमि, राजस्थान के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले की भदेसर तहसील के आसावरा गांव में स्थित यह मंदिर देवी आवरी माता को समर्पित है। लगभग 750 साल पुराने इस मंदिर की खूबसूरती भक्तों का मन मोह लेती है। क्योंकि ये मंदिर खूबसूरत पहाड़ियों और मनोहर झरनों के बीच बना हुआ है। मंदिर के पास एक पवित्र तालाब और हनुमान जी की एक सुंदर मूर्ति विराजमान है। मंदिर के आसपास का वातावरण बड़ा ही सुहावना रहता है यहाँ हमेशा लोगों की गहमागहमी लगी रहती है।
वास्तुकला:
भक्तों आवरी माता मंदिर की वास्तुकला प्राचीन हिंदू मंदिरों के समान है और वहां हिंदू देवताओं की सुंदर चित्रकारी और संरचनाएं भी हैं और मंदिर की मुख्य मूर्ति मध्य भाग में स्थित है। मूर्ति को सुंदर फूलो और सोने के गहने द्वारा सजाया गया है। मंदिर दो प्रवेश द्वार हैं जिन्हे छोटे टावरों द्वारा बनाया गया है।
मंदिर का इतिहास:
भक्तों आवरी माता का यह मंदिर करीब 750 वर्ष से अधिक पुराना है इसके इतिहास के बारे में भदेसर शहर में एक जमींदार रहता था जिसका नाम आवाजी था। आवाजी के एक पुत्री थी जिसका नाम केसर था और एक पुत्र के अलावा उस जमीदार के सात पुत्र भी थे। कहते हैं कि एक रोज जमींदार आवाजी ने अपने पुत्रों को अपनी पुत्री केसर के लिए एक सुयोग्य वर देखने के लिए भेजा।
आवरी माता का इतिहास:
भक्तों आवाजी के सातों पुत्र अलग-अलग जगह गए और सभी ने अलग अलग जगह अपनी बहन केसर का रिश्ता तय कर दिया। यह सुनकर आवाजी को सात जगह से बारात आने और खून खराबे की चिंता सताने लगी। पिता को चिंतित देख केसर अपनी कुलदेवी की आराधना करती हुई आगामी समस्या के समाधान हेतु प्रार्थना करने लगी। और केसर धरती में समा गयी.
भक्तों कहते हैं कि जिस दिन केसर की शादी होनी थी उस दिन अचानक चमत्कार हुआ और एक जोरदार धमाके के साथ आवाजी के घर पास धरती फट गई। जिसके बाद जमींदार की बेटी केसर उस धरती में समा गई। बेटी को जमीन में समाते हुए देख जमींदार आवाजी ने अपनी पुत्री को पकड़ना चाहा और उसके हाथ में बेटी का पल्लू आ गया।
पिता को बेटी का श्राप:
भक्तों जिससे नाराज होकर केसर ने अपने पिता को वंश समाप्त होने का दे श्राप दिया। आवाजी ने रोते हुये धरती में समाई बेटी केसर से श्राप वापसी के बदले मंदिर बनवाने का वादा किया। तब केसर आवाजी के समक्ष प्रकट हुई और बोली “श्राप तो वापस नहीं होगा लेकिन मंदिर बनवाओगे तो तुम्हारा नाम ज़रूर अमर हो जाएगा” कहकर फिर अंतरध्यान हो गयी। लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र माता असावरा को आवरा माता के नाम से भी पुकारते हैं। जिस स्थान पर माता की मूर्ति स्थापित है, वहीं पर केसर भूमिमग्न हुई थी।
भक्तों केसर के पिता आवाजी ने श्रापमुक्ति हेतु उसी स्थान पर मंदिर निर्माण कर, मूर्ति स्थापित करवा दी। जिस स्थान पर केसर भूमि में समाई थीं। जिसे आज आवरी माता, बड़ी आवरी माता और असावरा रानी के नाम से भी जाना जाता है। पिता को श्राप देकर भी नाम अमर कर गई बेटी।
यहाँ मन की मुराद पूरी होती है:
भक्तों आवरी माता न सिर्फ मेवाड़ व वाग्वर अंचल बल्कि संपूर्ण राजस्थान और गुजरात के शक्ति उपासकों की आस्था का केन्द्र है। आदिवासी अंचल के जन-जन की आरध्या मां आवरी की महिमा दूर-दूर तक फैली है। इस मंदिर की मूर्ति में आवरी माता पूर्णतः जीवंत स्वरूप में विद्यमान है। यहां श्रद्धा और भक्ति से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
अवधारणा:
भक्तों आवरी माता मन्दिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि मंदिर में लोगों की बीमारियाँ ठीक करने की विशेष शक्तियां हैं। कहते हैं कि दूर दराज से पोलियो और लकवाग्रस्त मरीज जो बिस्तर से उठ भी नहीं पाते, जिन्हें उठाकर यहां लाया जाता है, वह भी माता की असीम कृपा से पूर्ण स्वस्थ हो जाते हैं और पैदल चल कर अपने घर जाते हैं। कुछ लोग अपने परिवार के साथ यहाँ उपचार के लिए आते हैं और तब तक यहाँ रुकते हैं जब तक बीमारी से मुक्ति नहीं मिल जाती है।
मंदिर में तेल लेने का रिवाज:
भक्तों आवरी माता मंदिर में रोगी से तेल लेने का एक रिवाज है। इस तेल को मंत्रो और पवित्र रागों द्वारा शुद्ध करके इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रोगी ठीक हो जाता है।
नजदीकी दर्शनीय स्थल:
भक्तों आवरी माता मंदिर असावरा के नजदीक रावत बाघसिंह का स्मारक,जयमल और कल्लाजी की छतरी,पत्ताजी की छतरी,तुलजाभवानी मंदिर, तोपखाना, भामाशाह की हवेली,बनवीर की दीवार,नौलखा भण्डार,श्रृंगार चंवरी,कुम्भा महल,फतहप्रकाश महल संग्रहालय,सतबीस देवरी जैन मंदिर,कुम्भश्याम मंदिर और मीरा मंदिर,घी तेल की बावड़ी,जटाशंकर महादेव का मंदिर,विजय स्तम्भ,महासती स्थल,समिधेश्वर मंदिर,गौमुख,खातण रानी का महल,भाक्सी, चतरंग तालाब, राजटीला, मृगवन,मोहर मगरी,गौरा बादल की हवेली,अद्भुतजी का मंदिर,भीमलत जलाशय और मंदिर, सूरजपोल दरवाजा,साईदास का स्मारक,कीर्ति स्तम्भ,बाणमाता और अन्नपूर्णा माता का मंदिर,राघवदेवजी की छतरी,रतनसिंह के महल और जलाशय, कुकड़ेश्वर कुंड आदि दर्शनीय स्थल हैं यदि आप सैर सपाटा पसंद करते हैं तो इन स्थलों के पर्यटन का लुत्फ उठा सकते हैं।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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