Oneshwar Mahadev || ओणेश्वर महादेव || Garhwali Bhajan : Singers – Babli Sajwaan Rawat & Anil Duriyal

Описание к видео Oneshwar Mahadev || ओणेश्वर महादेव || Garhwali Bhajan : Singers – Babli Sajwaan Rawat & Anil Duriyal

यह लोकगीत उत्तराखंड देवभूमि के सुप्रसिद्ध ओणेश्वर महादेव मंदिर, टिहरी गढ़वाल, ब्लॉक प्रताप नगर, पट्टी ओण पर आधारित गढ़वाली भजन हैं जोकि इस मंदिर की विभिन्न के प्रकार की विशेषताओं को दर्शाता है जिसको सुप्रसिद्ध लोकगायिका बबली सजवाण रावत जी जोकि खुद में एक गीतकार भी हैं द्वारा लिखा व गाया गया हैं और उनका साथ सुप्रसिद्ध लोकगायक अनिल दुरियाल जी ने दिया है ।

(मंदिर के बारे में अधिक जानकारी के लिए डिस्क्रीप्शन पूरा पढ़ें)

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Female Singer & Lyricist – Babli Sajwaan Rawat
Male Singer – Anil Duriyal
Lyricist – Babli Sajwaan Rawat
Producer – Yashpal Singh Bagri
Co-Producer – Lavish Bagri
Music & Recordist – Sanjay Rana (Saaz Studio)
Video Edited – Jaypal Dhalwala
Poster Edited – Ravi Maindola

Special Thanks to :
Director – Madan Rawat & Sovan Thalwaal Cameramen – Rajesh Thalwaal & Vikky Thalwaal Drone Camera – Binni Rawat

Support By :
Dinesh Dimri, Vipin Rana and all of you

Contact Number : Bagri Production House| +40 – 720 487 462
Digitally powered by : Ravi Maindola | 8077225528 | www.digitalurlife.com
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ओणेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी :
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महादेव का ऐसा मंदिर जो उत्तराखंड के जनपद टिहरी गढ़वाल में ब्लॉक प्रताप नगर के पट्टी ओण में स्थित ग्राम सभा देवाल में स्थित प्राचीन मंदिर है, इस मंदिर को भगवान शिव स्वरुप पूजा जाता है, पहाड़ों के बीच में उपस्थित है, मंदिर अपनी सुंदरता और मान्यता के लिए बहुत प्रसिद्ध है | मंदिर में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी दर्शन के लिए एक बार आए थे इस मंदिर में श्रीफल ही चढ़ाए जाते हैं, एक श्रीफल और चावल अपने ईष्ट को पूजने की परंपरा इस मंदिर में सालों से हैं इस मंदिर में एक व्यक्ति पर ओणेश्वर महादेव महादेव आते हैं जो कि नागवंशी राजा , पवार वंश के लोग व कई प्रमुख जाति पर अवतरित होते हैं | देवता की पूजा के लिए ब्राह्मण मंदिर में उपस्थित होते हैं | श्रावण मास में हजारों भक्त महादेव के दर्शन करने यहां आते हैं तथा उनका जलाभिषेक अपने हाथों से करते हैं । ओणेश्वर महादेव मंदिर में महा – शिवरात्रि के दिन एक भव्य मेला भी लगता है। जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं |

पौराणिक कथा :
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स्थानीय लोगो के अनुसार एक बार जब वहां के लोग अपने देवता के कुछ निशान को लेकर उनके निवास स्थान की ओर जा रहे थे, निवास स्थान की तरफ जाते समय गाँव के लोगो को जब थकन लगी तो वे एक कांटेदार पेड़ के नीचे बैठे जिस पेड़ को पहाड़ी में भेकल कहा जाता है, जैसे ही वे आराम करके खड़े उठे तो कुछ ऐसा हुआ जिससे वे सभी लोग परेशान हो गए हुआ यहाँ की जिस स्थान पर उन्होंने देवता का निशान रखा था वह निशान उस स्थान से टस से मस भी नहीं हो रहा था | लोगो के भरसक प्रयास करने पर भी वह वहां से नहीं हिला यहां सब देख कर कुछ लोगों अपने गांव की तरफ गए तथा वहां के लोग व बुजुर्गों से कहा कि हमारे देवता का निशान उस स्थान से उठ नहीं रहा हमारी भरसक प्यार करने के बाद भी |

कहा जाता है कि जब यहां घटना हुई तो उसी रात्रि में उस गांव के बुजुर्ग के सपने में उनके देवता है जोकि जटाधारी बालक शिव रूप में बुजुर्ग के सपने में आए तथा उन्होंने बुजुर्ग से कहा कि अब मेरा स्थान उसी कांटेदार पेड़ के नीचे हैं जहां पर गांव वालों ने मुझे आराम करते समय रखा था इसीलिए आप मेरा मंदिर उसी स्थान पर बनाएं क्योंकि मैं अब से वही वास करूंगा |

सुबह उठते ही बुजुर्ग ने गांव वालों से स्वप्न की बात बताई तब सभी गांव वासियों ने उस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना की तथा वहां पर एक प्राकर्तिक रूप से विशाल लिंग था | जिसके साथ मंदिर की स्थापना की गई जिसे हम आज ओणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जानते हैं |

ओणेश्वर महादेव मंदिर की मान्यता :
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इस अलौकिक महादेव मंदिर की उत्पत्ति कुज्जू सौड़ ओनालगांव के ऊपर मानी जाती है । लोगो के अनुसार एक बालक कि अल्पायु में मृत्यु होने के कारण उक्त स्थान पर उस बालक द्वारा अलौकिक घटनायें की गई | गांव वालों का कहना है कि जब वे अपनी गायों को घास चुगने हेतु जंगलों में भेज देते थे तो उनकी गायों का वे सम्पूर्ण दूध पी जाया करते थे, रात को स्वप्न में तरह-तरह की घटनाओं से सकार आदि अनेक उदाहरण आज भी वहां के स्थानीय लोगों द्वारा सुनने को मिलते हैं ओणेश्वर महादेव मंदिर के निकट एक कुंड है इस कुंड को सूरजकुंड कहा जाता है | कहा जाता है कि जो भी इस कुंड में स्नान करता है उसे गंगोत्री,हरिद्वार जैसे गंगा में स्नान करने के समान माना जाता है | एक रोचक बात यह भी बता दूं कि कहा जाता है मंदिर में आकर जो भी निसंतान स्त्री संतान प्राप्ति के लिए पूजा करती है उसे संतान प्राप्ति का सुख प्राप्त हो जाता है, ऐसी यहां मान्यता है |

कहां से पहुंच सकते हैं :
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ऋषिकेश से 75 किलोमीटर न्यू टेहरी से लगभग 80-90 किलोमीटर दूरी पर स्थित है पट्टी ओण के मध्य ग्राम सभा देवल गांव में यह भव्य मंदिर है तथा या विकास खंड प्रताप नगर में पड़ता है आप यहां लुटेरी से लंबगांव होकर भी जा सकते हैं |

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