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Скачать или смотреть बिहार बोर्ड क्लास 8 अतीत से वर्तमान अध्याय 7 ब्रिटिश शासन और शिक्षा क्वेश्चन आंसर

  • TEACHERS TALKIES
  • 2024-10-20
  • 35
बिहार बोर्ड क्लास 8 अतीत से वर्तमान अध्याय 7 ब्रिटिश शासन और शिक्षा क्वेश्चन आंसर
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Описание к видео बिहार बोर्ड क्लास 8 अतीत से वर्तमान अध्याय 7 ब्रिटिश शासन और शिक्षा क्वेश्चन आंसर

अध्याय 7 : ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा

अभ्यास

सही विकल्प को चुनें।

(i) विलियम जोंस भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरूरी मानते थे ?

(क) भारत में बेहतर अंग्रेजी शासन स्थापित करने के लिए।

(ख) प्राचीन भारतीय पुस्तकों के अनुवाद (अंग्रेजी में) के लिए।

(ग) अपने भारत प्रेम के कारण।

(घ) भारतीय ज्ञान-विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए।

(ii) आधुनिक शिक्षा की भाषा किसको बनाया गया ?

(क) हिन्दी

(ख) बांगला

(ग) अंग्रेजी

(घ) मराठी

(II) एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की स्थापना किसने किया?

(क) मैकाले

(ख) विलियम जोंस

(ग) कोलबुक

(घ) वारेन हेस्टिंग्स

(iv) औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया? गाँधी जी ऐसा क्यों मानते थे?

(क) भारतीयों द्वारा पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठ मानने के कारण।

(ख) अंग्रेजी भाषा में शिक्षा के कारण।

(ग) पाठ्य पुस्तकों पर शिक्षा को केन्द्रित करने के कारण।

(घ) भारतीयों का अंग्रेजी शासन के समर्थन करने के कारण।

निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ

(क) विलियम जॉन्स : प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान

(ख) रवीन्द्रनाथ टैगोर : गुरु

(ग) टॉमस मेकॉले : अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन

(घ) महात्मा गाँधी : अंग्रेजी शिक्षा के विरूद्ध

(ङ) पाठशालाएँ : प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा


(i)भारत के विषय में विलियम जोंस के विचार कैसे थे? संक्षेप में बताएँ।

उत्तर:विलियम जोन्स भारत के प्रति आदर और सम्मान का भाव अपने मन में रखते थे। मानते थे कि प्राचीन काल में भारत अपने वैभव के शिखर पर था। अगर भारत की श्रेष्ठता को जानना है तो उस समय लिखे जाने वाले महान् भारतीय ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद, स्मृति,धर्म-सूत्र को पढ़ना जरुरी है। उनका मानना था कि अगर भारत में एक बेहतर अंग्रेजी शासन कायम करना है तो इन ग्रंथों को पढ़ना और समझना आवश्यक होगा

(ii)टॉमस मैकॉले भारत में किस प्रकार की शिक्षा शुरू करना चाहते थे, इस सम्बन्ध में उनके क्या विचार थे ?

मैकाले साहब का मानना था कि भारतीयों को व्यवहारिक जीवन की शिक्षा देनी चाहिए। उन्हें यह बताना आवश्यक है कि इंग्लैण्ड एवं अन्य यूरोपीय देश किस प्रकार वैज्ञानिक एवं तकनीकी सफलता हासिल कर सकें।

मैकॉले ने अपना पक्ष अर्थात वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षा का प्रसार, काफी मजबूती से रखा। इस शिक्षा के लिए भाषा के रूप में अंग्रेजी को प्रमुख बताया। वह कहते थे कि अंग्रेजी भाषा पढ़ने से भारतीयों को दुनिया की श्रेष्ठ जानकारी मिल पाएगी।

(iii)भारत में अंग्रेजी शिक्षा का उद्देश्य क्या था? उसका स्वरूप कैसा था?

उद्वेश्य:- वर्ष1854 में इंग्लैण्ड से अंग्रेज प्रशासकों द्वारा ईस्ट इंडिया कम्पनी सरकार के नाम शिक्षा से संबंधित एक नीति- पत्र भेजा गया। इस नीति पत्र (वुड्स डिस्पैच) में भारत में लागू होने वाली संपूर्ण शिक्षा नीति की के उद्देश्य की चर्चा की गई थी। इसका एक बड़ा उद्देश्य था आधुनिक शिक्षा के माध्यम से भारतीय लोगों के मानस को बदलना ताकि उनकी जीवन शैली यूरोपिय हो जाए। आज भी शिक्षा को ही व्यक्ति के मानस को निर्मित करने वाला बड़ा आधार माना जाता है। शायद अंग्रेजों को ऐसा लगता होगा कि उनकी शैली को अगर भारतीय अपना ले तो यहाँ उनका शासन स्थायी बना रहेगा।

स्वरूप:- 1835 में एक अधिनियम पारित किया गया। इसे ही आधुनिक शिक्षा अधिनियम के नाम से जाना गया। इस अधिनियम में यह व्यवस्था की गई कि अंग्रेजी उच्च शिक्षा का माध्यम होगा तथा भारतीय भाषाओं और उनमें दी जाने वाली शिक्षा को प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा। स्कूल स्तर की शिक्षा के स्वरूप को पहले वाले रूप में ही छोड़ दिया गया, फिर भी स्कूली पाठ्यपुस्तकों की भी अंग्रेजी में छपाई होने लगी। इस तरह भारत में पहली बार शिक्षा के माध्यम की भाषा में बड़ा बदलाव हुआ।


(iv) शिक्षा के विषय में महात्मा गाँधी एवं रवीन्द्र टैगोर के विचारों को बताएँ ।

महात्मा गांधी की दृढ़ मान्यता थी कि शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। उनके मुताबिक, अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना देती है, उसने उन्हें अपने सामाजिक परिवेश से काट दिया है और उन्हें "अपनी ही भूमि पर अजनबी" बना दिया है।

महात्मा गांधी का कहना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केंद्रित है। उसमें पाठ्यपुस्तकों पर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यह संस्था 1901 में शुरू की थी। टैगोर जब बच्चे थे तो स्कूल जाने से बहुत चिढ़ते थे। वहाँ उनका दम घुटता था। उन्हें स्कूल का माहौल दमनकारी लगता था। जब वे बड़े हुए तो उन्होंने एक ऐसा स्कूल खोलने के बारे में सोचा जहाँ बच्चे खुश रह सकें, जहाँ वे मुक्त और रचनाशील हों, जहाँ वे अपने विचारों और आकांक्षाओं को समझ सकें। टैगोर को लगता था कि बचपन का समय अपने आप सीखने का समय होना चाहिए। वह अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई शिक्षा व्यवस्था के कड़े और बंधनकारी अनुशासन से उसे मुक्त करना चाहते थे। शिक्षक कल्पनाशील हों, बच्चों को समझते हों और उनके अंदर उत्सुकता, जानने की चाह विकसित करने में मदद दें। टैगोर के मुताबिक,वर्तमान स्कूल बच्चे की रचनाशीलता, कल्पनाशील होने के उसके स्वाभाविक गुण को मार देते हैं।

टैगोर का मानना था कि सृजनात्मक शिक्षा को केवल प्राकृतिक परिवेश में ही प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने कलकत्ता से 100 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण परिवेश में अपना स्कूल खोलने का फैसला लिया। उन्हें यह जगह निर्मल शांति से भरी (शांतिनिकेतन) दिखाई दी जहाँ प्रकृति के साथ जीते हुए बच्चे अपनी स्वाभाविक सृजनात्मक मेधा को नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया।

(v) अंग्रेज विद्वानों के बीच शिक्षा नीति के विषय में किस प्रकार के विवाद थे। इस सम्बन्ध में आप क्य

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