कक्षा 11 RBSE CBSE NCERT हिन्दी साहित्य अंतरा संध्या के बाद सुमित्रानंदन पंत शब्दार्थ और भावार्थ

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इस वीडियो में कक्षा 11 अंतरा पाठ्य पुस्तक में से, 'संध्या के बाद' कविता जिसके कवि सुमित्रानंदन पंत है ,के शब्दार्थ और भावार्थ को बहुत ही अच्छे से समझाया गया है
आप को अच्छे से समझ आ गया होगा !
कोई प्रश्न या सुझाव हो तो कॉमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं!!
धन्यवाद!अंजू पोखरना!!

'संध्या के बाद ' कविता के इस अंश में प्रकृति में होने वाले खूबसूरत परिवर्तन को कवि ने बहुत ही सुकुमारता से चित्रित किया है।
सूर्यास्त के समय संध्याकाल की लालिमा वृक्षों के शिखर पर फैली हुई है।पीपल के पत्ते भी सुनहरे लग रहे हैं। सुनहरी किरणें पीपल के पत्तों से झरती हुई ऐसी लग रही है जैसे सुनहरे रंग वाले सैंकड़ो झरने गिर रहे हैं। क्षितिज पर ओझल होता हुआ सूरज ,नदी में स्तम्भ की तरह धंसता हुआ दिखाई दे रहा है।गंगा जल चितकबरे अजगर की भांति धीरे धीरे सरक रहा है।
गंगा तट की रेती ,जल सभी पीले और सुनहरे लग रहे हैं । मंदिर में शंख और घंटे बज रहे हैं। तट पर वृद्ध और विधवा महिलाएं ,बगुलों की तरह जप और ध्यान में मग्न है।
इन पंक्तियों में मानवीकरण, उपमा,अनुप्रास अलंकारों का बहुत ही सुंदर प्रयोग हुआ है।तत्सम शब्दों की बहुतायत है। शान्त रस है।



'सन्ध्या के बाद ' कविता का भावार्थ लिंक 02
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'संध्या के बाद ' कविता का लिंक 03
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