#वामन_अवतार

Описание к видео #वामन_अवतार

#वामन_अवतार_कथा_{राजा_बलि_}

लेखक- मूलचंद स्वामी छापुड़ा कलां

गायक- विजय रोशन बाड़ी जोड़ी

ढोलक वादक- बबलू नैनावत शाहपुरा

संगतकार- हेमराज सैनी रोशन वर्मा महिपाल मीणा

Video by- Mool chand swam

Camera- Raju swami Paota

Recording- Shri Nathu Singh Smriti Sansthan

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एक समय की बात है जब देवता और दानवो में बड़ी घोर लड़ाई छिड़ जाती है। देवताओं की तरफ से राजा इंद्र युद्ध की अगवाई कर रहे थे। और दानवो की तरफ से राजा बलि दैत्यों के सिरमौर थे। देवता और दानवो की सेना आमने-सामने आ जाती है। देवराज इंद्र अपने ऐरावत हाथी पर सवार थे और राजा बलि अपने विमान पर सवार थे। दैत्य और देवताओं की तरफ से बड़े-बड़े शूरवीर मायावी दैत्य और देव आपस में घोर युद्ध करने लग जाते हैं।
तो क्या बताया।
भजन -1
देवो के राजा के सामने, दैत्य बली नाम का।
सुनो लगाकर ध्यान जिकर अब, देवासुर संग्राम का।।
1. छिड़गी घोर लड़ाई विरोचन, भिडग्या जा समरासुर से।
मांची हाहाकार युद्ध में, शिव भिडगे जंभासुर से।
शुंभ निशुंभ से पड़ग्या पाला, शिव शंकर की बाम का।।
सुनो लगाकर ध्यान जिकर अब...........
2. राहु के संग लड़े चंद्रमा,अग्नदेव महिषासुर से।
शुक्राचारी लड़े बृहस्पति, शनि देव नरकासुर से।
राजा हितेषी का वरुण देव ने, रोम उड़ा दिया चाम का।।
सुनो लगाकर ध्यान जिकर अब..........
3. देव असुर आपस में भिड़ गए, क्रोध भरा था मन में।
कट-कट शीश पड़े धरणी में, चढ़ गई धूल गगन में।
इंद्र के संग जंग लड़े वो, राजा बलि नाम का।।
सुनो लगाकर ध्यान जिकर अब...
4. धनुष उठाया बलिराज ने, इंद्र पर दिया तान सुनो।
माया का संसार रचा कर मारण लाग्या बाण सुनो।
चला मूलचंद शब्द तीर विजय, खाले बड़े काम का।।
सुनो लगाकर ध्यान जिकर अब...

सजनो इस प्रकार देव और दानव आपस में घोर युद्ध करने लग जाते हैं राजा विरोचन समरासुर से और भगवान शिव जंभासुर से भिड जाते हैं। उधर चंद्रदेव राहु से और अग्नि देव महिषासुर से वरुण देव राजा हितेशी से और मां भद्रकाली शुम्भ निशुंभ से युद्ध करने लग जाती है। सजनो इस प्रकार सभी देव और दोनों की सेना आपस में भिड़ जाती है। उधर देवराज इंद्र दानवराज बली से युद्ध करने लग जाते हैं। राजा बलि जितने प्रहार करते इंद्र उन प्रहारो का प्रति उत्तर देकर उन्हें नष्ट करते जा रहे थे। सजनो युद्ध इतना भयंकर हो रहा था कि धरती की धूल आसमान में चढ़ जाती है और दिव्यास्त्र के टकराव से आसमान में भयंकर बादल छा जाते हैं और बिजली कड़कने लग जाती है उधर राजा बलि अपनी माया फैलाते हैं और आसमान में एक पर्वत का मायावी निर्माण करते हैं उस पर्वत से बड़ी-बड़ी सिलाए देवो के ऊपर गिरती हैं। और उसी पर्वत से अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्र चलते हैं और बड़े-बड़े राक्षस और राक्षसी नंग धड़ंग अवस्था में प्रकट होकर देवों का संघार करने लग जाते हैं। युद्ध में बहुत से देव और दानव मारे जाते हैं और राजा बलि भी इंद्र के वज्र के प्रहार से पृथ्वी पर गिर जाते हैं। उधर ब्रह्मा जी इस भयंकर युद्ध को देखकर नारद जी को युद्ध भूमि में भेजते हैं और युद्ध समाप्ति का आदेश दिलाते हैं। सज्जनों युद्ध का विराम हो जाता है। सभी अपने अपने लोको को चले जाते हैं। उधर राजा बली जो इंद्र के वज्र से मारे जा चुके थे। दैत्य उन्हें उठा कर अपने गुरु शुक्राचार्य के पास लेकर जाते हैं‌। शुक्राचार्या राजा बलि की नबज नाड़ी देखने लग जाते हैं।
And Mor.........................................

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