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Скачать или смотреть अजामिल की मोक्ष कथा | अंतिम समय में विष्णु नाम का चमत्कार

  • Prabhu Ram Jee
  • 2025-10-04
  • 146
अजामिल की मोक्ष कथा | अंतिम समय में विष्णु नाम का चमत्कार
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Описание к видео अजामिल की मोक्ष कथा | अंतिम समय में विष्णु नाम का चमत्कार

पाप करने के बावजूद मिल सकता है मोक्ष, अजामिल की यह कथा बताती है मुक्ति पाने का रहस्य
हिन्दू धर्म के पौराणिक कथाओं में कई ऐसी कथाएं हैं, जिसके जरिये लोग कई बातें सीख सकते हैं, उनसे प्रेरणा ले सकते हैं, धर्म के मार्ग के मार्ग पर चल सकते हैं और अपने पाप से मुक्ति भी पा सकते हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है अजामिल ब्राह्मण की, जिसका वर्णन श्रीमद् भागवत पुराण में है। यह कथा यह बताती है कि किस प्रकार धर्म से भ्रष्ट होने के बावजूद एक अच्छा कर्म आपको मोक्ष तक दिला सकता है। तो, चलिए जानते हैं पूरी कथा...
कथा के अनुसार, अजामिल एक सदाचारी और सद्गुणों वाला ब्राह्मण था, जो कन्नौज में रहता था। वह धर्म परायण और सच्चा हृदय वाला व्यक्ति था। एक बार अजामिल जब जंगल से घर लौट रहा था, तो रास्ते में उसने एक व्यक्ति को मदिरा पीकर एक वेश्या के साथ विहार करते देख लिया। यह सब देखकर उसका मन विचलित हो गया और अब वह मन ही मन उस वेश्या के बारे में सोचने लगा, उसे पाने की कामना करने लगा। उस वेश्या का साथ पाने के लिए और उसे प्रसन्न करने के लिए वह उसपर अपनी संपत्ति लुटाने लगा। धीरे-धीरे उसने अपने पिता की भी सारी संपत्ति उसपर लुटा दी और अपनी नवविवाहित पतिव्रता पत्नी का भी त्याग कर दिया। अजामिल अब पूरी तरह से धर्म से विमुख हो चुका था। एक बार कुछ साधु उसके गांव में आए और उसके घर पर रात्रि में विश्राम करने की इच्छा जताई। अजामिल ने उनके सोने और खाने का प्रबंध कर दिया और उनका पूरा सेवेआ-सत्कार किया। जब सुबह सभी संत तैयार होकर जाने लगे, तो अजामिल ने उनसे क्षमा मांगते हुए कहा कि मैं कोई भगवान का भक्त नहीं हूं बल्कि मैं तो एक महापापी हूं और मैं वेश्या के साथ रहता हूं। मैं आपको कोई दक्षिणा भी नहीं दे सकता।
सारे साधु अजामिल की सेवा भाव से प्रसन्न थे। इसलिए, उन्होंने उससे कहा कि तुमने हमें आश्रय दिया और हमारा सेवा सत्कार किया, तो हमें दक्षिणा में अब कुछ नहीं चाहिए। लेकिन अगर तुम अपना कल्याण चाहते हो, तो बताओ तुम्हारे घर में कितने बच्चे हैं। अजामिल ने बताया कि उसके घर में उस वेश्या से नौ बच्चे हैं और अभी वह गर्भवती है। संतों ने कहा कि इस बार जो तुम्हारी संतान होगी, तुम उसका नाम नारायण रखना और तेरा कल्याण हो जाएगा। यह कहकर सभी संत चले गए।

पुत्र के नाम ने अजामिल को दिलाया मोक्ष
कुछ समय पश्चात अजामिल को एक पुत्र हुआ और उसने उसका नाम नारायण रखा। अजामिल अपने बाकी सभी पुत्रों की तुलना में अजामिल से बहुत अधिक प्रेम करता था। वह हर समय अपने पुत्र को याद करता रहता और नारायण नारायण कहता रहता था। इस तरह समय बीत गया और अजामिल बहुत वृद्धि हो गया। मृत्यु उसके सर पर आ चुकी थी। एक दिन उसने देखा कि उसे ले जाने के लिए अत्यंत भयानक तीन यमदूत आए हुए थे। उन्हें देखकर उसके शरीर के रोए खड़े हो गए और वह बहुत भयभीत हो गया। उस समय उसका पुत्र नारायण कुछ ही दूरी पर खेल रहा था। यमदूतों को देखकर अजामिल अपने पुत्र को पुकारने लगा 'नारायण... नारायण!' मेरी रक्षा करो।
भगवान विष्णु के दूत और यमराज के दूत के बीच बहस जब भगवान के पार्षदों ने देखा कि अजामिल मरते समय नारायण नाम का जप कर रहा है, तो वह वहाँ तुरंत आ पहुंचे। उस समय यमदूत अजामिल के शरीर से उसकी सूक्ष्म आत्मा को खींच रहे थे। भगवान विष्णु के दूतो ने तुरंत यमदूतों को ऐसा करने से रोका। यमदूतों ने कहा कि इसने जीवनभर केवल पाप और अधर्म किया है। यह नरक भोगने के योग्य है। इसपर भगवान् विष्णु के दूतों ने कहा कि जिस पल इसने नारायण का नाम लिया, इस चार शब्द ने इसके सारे पाप धुल दिए। उन्होंने कहा कि तुम जिसको ले जा रहे हो, इसने सभी जन्मों के पापों का प्रायश्चित कर लिया है क्योंकि इसने विवश होकर ही सही लेकिन अंतिम समय में भगवान के कल्याणकारी नाम का उच्चारण किया है। इस प्रकार, नारायण नाम के इन चार अक्षरों के उच्चारण से ही अजामिल के समस्त पापों का नाश हो गया और उसने अपने समस्त जीवन के पापों का प्रायश्चित कर लिया। अपने अंतिम समय में उसे नारायण का नाम लेने से मोक्ष की प्राप्ति हो गयी।
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