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Скачать или смотреть योगदर्शन सूत्र (Patanjali Yoga Sutra 3.10 - 3.12) विभूति पाद |

  • Yogacharya Kundan
  • 2025-12-04
  • 30
योगदर्शन सूत्र  (Patanjali Yoga Sutra 3.10 - 3.12) विभूति पाद |
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Описание к видео योगदर्शन सूत्र (Patanjali Yoga Sutra 3.10 - 3.12) विभूति पाद |

📘 विभूति पाद — सूत्र 10

तस्यान्तः क्षयं न पुनर्भवः ॥१०॥

शब्दार्थ

तस्य — उसी (निर्विचार समाधि) का

अन्तः क्षयम् — भीतर से पूर्ण क्षय

न पुनर्भवः — दोबारा उत्पत्ति नहीं होती


भावार्थ

जब साधक निर्विचार समाधि में स्थित हो जाता है, तब चित्त में उठने वाले सूक्ष्म संस्कार और वृत्तियाँ पूर्णतः नष्ट हो जाती हैं।
उनकी पुनः उत्पत्ति नहीं होती।

सरल व्याख्या

गहरी समाधि में मन इतना शांत हो जाता है कि पुराने संस्कार भी मिट जाते हैं और वे दोबारा नहीं उठते — यही अन्तः क्षय है।


---

📘 विभूति पाद — सूत्र 11

सर्वार्थतैकाग्रतेयोः क्षयॊदयौ चित्तस्य समाधिपरिणामः ॥११॥

शब्दार्थ

सर्वार्थता — अनेक विषयों में मन का भटकना

एकाग्रता — एक विषय में मन की स्थिरता

क्षय–उदय — समाप्ति और उत्पत्ति

समाधि-परिणाम — समाधि का प्रभाव

भावार्थ

समाधि के अभ्यास से

भटकने की प्रवृत्ति (सर्वार्थता) क्षीण होती है,

और एकाग्रता की प्रवृत्ति उदित होती है।


यही चित्त का समाधि-परिणाम है।

सरल व्याख्या

समाधि का अभ्यास मन को बदल देता है—
भटकना कम होता है, और एकाग्रता बढ़ती है।
---

📘 विभूति पाद — सूत्र 12

ततः पुनः शान्तोदितौ तुल्यप्रत्ययौ चित्तस्यैकाग्रतापरिणामः ॥१२॥

शब्दार्थ

शान्त–उदित — शांत होने वाले और उत्पन्न होने वाले विचार

तुल्यप्रत्ययौ — समान / संतुलित

एकाग्रता-परिणाम — एकाग्रता का परिवर्तन


भावार्थ

जब चित्त एकाग्र हो जाता है, तब
शांत होने वाले और उत्पन्न होने वाले विचार संतुलित हो जाते हैं।
विचारों के उतार-चढ़ाव का प्रभाव मन पर नहीं पड़ता।

सरल व्याख्या

एकाग्र मन में विचार आते रहते हैं पर उनका असर नहीं होता।
मन पूरी तरह स्थिर और संतुलित हो जाता है।
---

📌 तीनों सूत्रों का सार

सूत्र 10 — समाधि से संस्कार नष्ट होते हैं।

सूत्र 11 — भटकना कम, एकाग्रता बढ़ना ही समाधि-परिणाम है।

सूत्र 12 — विचार संतुलित हो जाते हैं; मन अडोल होता है।

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