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  • 2023-06-30
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Описание к видео मारक ग्रह क्या है।मारक ग्रह को कैसे जाने।।मारक ग्रह से क्या नुकसान है।।मारक ग्रह के उपाय।।

मारक ग्रह क्या है।मारक ग्रह को कैसे जाने।।मारक ग्रह से क्या नुकसान है।।मारक ग्रह के उपाय।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मारक ग्रहों का जातक की कुंडली में अत्यधिक महत्व होता है। मारक ग्रह एक कुंडली से दूसरी कुंडली में भिन्न होते हैं। प्रत्येक जातक की कुंडली में अलग-अलग मारक ग्रह होते हैं।
मान्यता है कि मारक ग्रह के प्रभाव से मनुष्य को मृत्यु का सामना भी करना पड़ सकता है। परन्तु मारक ग्रह ऐसा अशुभ परिणाम तभी देते हैं जब इनकी महादशा या अंतर्दशा सक्रिय होती है। सामान्य तौर पर मारक ग्रह जातक को कष्ट नहीं पहुंचाते हैं।

मारक ग्रह क्या है ?
आइये पढ़ते हैं मारक ग्रह क्या है –
जातक की कुंडली में मौजूद नवग्रहों में कुछ विशेष ग्रह होते हैं, जो किसी विशेष लग्न में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें ही मारक ग्रह कहा जाता है। मारक ग्रह मनुष्य के जीवन में परेशानी पैदा करने की क्षमता रखते हैं। जब कुछ विशेष परिस्थितियों में मारक ग्रहों की दशा सक्रिय हो जाती है, तब जातक को इससे हानि हो सकती है। सीधे शब्दों में मारक ग्रह ऐसे ग्रह हैं जो हमारे जीवन में कई सारी समस्याओं को जन्म देते हैं। और जिनका हमारे जीवन पर नकारात्मक असर होता है।
कुंडली में मारक ग्रह का अर्थ –
आइये इन्स्टाएस्ट्रो के ज्योतिष से जानते हैं कुंडली में मारक ग्रह का अर्थ –
वह ग्रह जो किसी विशेष कुंडली के लिए अशुभ परिणाम देते हैं उन्हें मारक ग्रह जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में लग्न को शरीर माना गया है। अर्थात लग्न के आधार पर जातक के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। लग्न से अष्टम भाव आयु और दीर्घायु का भाव भी जुड़ा होता है। और जब कुंडली में अष्टम भाव का विश्लेषण होता है। तो कुंडली का तीसरा भाव भी आयु से संबंधित जानकारी देता है।
मारक ग्रह का जातक पर प्रभाव –
मारक ग्रहों का प्रभाव प्रत्येक मनुष्य पर अलग अलग होता है। यदि कोई जातक युवा है, और कम उम्र में उस पर मारक ग्रह का प्रभाव पड़ गया है। तो उसकी मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। वहीं व्यस्क या वृद्ध जातकों पर जब मारक ग्रह का प्रभाव पड़ता है। तब उनकी मृत्यु तो नहीं होती है। पर उन्हें मृत्यु जैसी पीड़ाओं – शारीरिक कष्ट और काम में रुकावट का सामना करना पड़ता है।
इसी प्रकार मारक ग्रहों का प्रभाव भिन्न राशियों पर भिन्न होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ब्रह्माण्ड में नवग्रह होते हैं। परन्तु प्रत्येक राशि के लग्न के लिए अलग-अलग ग्रह मारक की जिम्मेदारी निभाते हैं। आइये पढ़ते हैं मारक ग्रह का जातक पर प्रभाव –

मेष लग्न
मेष लग्न के लिए शुक्र ग्रह एक शक्तिशाली मारक ग्रह माना जाता है। क्योंकि सप्तम भाव का स्वामी शुक्र होता है। कुछ परिस्थितियों में मेष लग्न के लिए बुध ग्रह भी मारक ग्रह माना जा सकता है। क्योंकि यह तीसरे और छठे भाव का स्वामी होता है।

वृषभ लग्न
वृषभ लग्न के लिए मंगल एक शक्तिशाली मारक ग्रह बन जाता है। क्योंकि वृषभ राशि के सप्तम भाव पर मंगल का शासन होता है। वृषभ लग्न में देव गुरु बृहस्पति भी अशुभ ग्रह माना जाता है। क्योंकि बृहस्पति अष्टम के साथ-साथ ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है।

मिथुन लग्न
मिथुन लग्न के दूसरे भाव का स्वामी चंद्रमा होता है। जो अपने अस्थिर और शत्रुतापूर्ण व्यवहार के कारण एक अशुभ मारक ग्रह की भूमिका निभाता है। मंगल भी एक मारक ग्रह बन जाता है। क्योंकि यह छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होता है।

कर्क लग्न
कर्क लग्न का स्वामी शनि ग्रह होता है। अतः यह मारक ग्रह की भूमिका निभाता है। कुछ विशेष स्थितियों में कर्क लग्न में तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी होने के कारण बुध ग्रह को भी अशुभ मारक ग्रह कहा जाता है।

सिंह लग्न
सिंह लग्न के सातवें और छठे भाव का स्वामी होने के कारण शनि एक मजबूत मारक ग्रह कहलाता है।

तुला लग्न
तुला लग्न के जातकों के लिए मंगल ग्रह एक प्रबल मारक ग्रह होता है। तुला लग्न में बृहस्पति तीसरे और छठे भाव का स्वामी होता है। अतः यह भी एक अशुभ ग्रह बन जाता है।
मारक ग्रहों के प्रभावों से बचने के उपाय –

ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई उपाय होते हैं जिससे जातक को ग्रह नक्षत्रों के बुरे प्रभावों से बचाया जा सकता है। तो आइये पढ़ते हैं मारक ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ज्योतिष उपाय –
भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए और विधि पूर्वक रुद्राभिषेक करना चाहिए। महादेव के आशीर्वाद से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र “ॐ नमः शिवाय मृत्युंजय महादेवाय नमोस्तुते” का नियमित रूप से जाप करें।
मारक ग्रह के प्रभाव से बचने के लिए श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
मारक ग्रह का प्रबल प्रभाव कम करने के लिए लग्नेश की पूजा करें तथा इससे जुड़े मंत्रों का जाप करें।

वृश्चिक लग्न
सप्तम और बारहवें भाव का स्वामी होने के कारण शुक्र एक प्रबल मारक ग्रह बन जाता है। इसके अतिरिक्त, आठवें और एकादश भाव का स्वामी होने के नाते बुध ग्रह भी कष्टदायक ग्रह बन जाता है।

धनु लग्न
धनु लग्न में शनि मारक ग्रह बन जाता है क्योंकि शनि दूसरे और तीसरे भाव का स्वामी होता है। शुक्र ग्रह छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी होने के कारण मारक ग्रह कहलाता है।

मकर लग्न
मकर लग्न में चंद्रमा की दशा कष्टदायक होती है। तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी होने के कारण बृहस्पति ग्रह भी अशुभ फल देने वाला मारक ग्रह बन जाता है।

कुंभ लग्न
कुंभ लग्न में बृहस्पति एक मारक ग्रह होता है। सप्तम भाव का स्वामी होने के कारण सूर्य और तृतीय भाव का स्वामी होने के कारण मंगल ग्रह भी मारक का कार्य करता है।

मीन लग्न

मीन लग्न के तीसरे भाव का स्वामी शुक्र आठवें भाव का स्वामी होता है। इसलिए यह एक शक्तिशाली मारक ग्रह कहलाता है। शनि भी बारहवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होने के कारण कष्टकारी ग्रह बन जाता है।

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