कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा, जिनके घर से मिला बेहिसाब पैसा, सुना चुके हैं ये फैसले
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा कल शाम ही से चर्चा में हैं. उनके सरकारी बंगले में आग लगने और वहां भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर के बाद वे आलोचना झेल रहे हैं. कहा जा रहा है कि जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे, तभी उनके घर में आग लगी. परिवार वालों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड को बुलाया. आग बुझाने के दौरान कमरों में रखे भारी नोट के भंडार के बारे में जानकारी हुई.
अब जस्टिस वर्मा के खिलाफ जांच या महाभियोग की मांग भी की जा रही है. देश की सर्वोच्च अदालत आने वाले दिनों में ऐसा कुछ करेगी या फिर नहीं? इस सवाल के जवाब मिलने बाकी हैं. पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने उनको दिल्ली हाईकोर्ट से हटा इलाहाबाद भेजने का फैसला किया है. जस्टिस वर्मा कौन हैं, किस तरह वह दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंचे, उनके बड़े फैसले क्या रहे, आइये जानें.
कौन हैं जस्टिस वर्मा?
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जनवरी 1969 में इलाहाबाद में जन्मे जस्टिस वर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम किया. फिर मध्य प्रदेश के रिवा यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद अगस्त 1992 से वकालत करने लगे. अक्टूबर 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज बने. फरवरी 2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ही के स्थायी न्यायधीश हो गए. अक्टूबर 2021 – यानी करीब साढ़े तीन साल पहले उनका तबादला हुआ.
इसके बाद वे दिल्ली हाईकोर्ट आए. हाईकोर्ट के जज बनने से पहले वे 2012 से 2013 के बीच उत्तर प्रदेश के मुख्य स्थायी अधिवक्ता भी रह चुके हैं. बतौर वकील वे सिविल मामलों में विशेषता रखते थे. साथ ही, संवैधानिक, औद्योगिक, कॉरपोरेट, टैक्सेशन और पर्यावरण के मामलों में भी पैरवी करते थे.
जस्टिस वर्मा के 3 फैसले
जस्टिस वर्मा के महत्वपूर्ण फैसलों की अगर बात की जाए तो इन्होंने ही कांग्रेस पार्टी द्वारा इनकम टैक्स का नए सिरे से मूल्यांकन करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज को किया था. साथ ही, नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़ ‘Trial by Fire’ पर रोक लगाने से इनकार किया था. सीरीज पर रोक लगाने के लिए रियल एस्टेट कारोबारी सुशील अंसल ने कोर्ट में याचिका दाखिल किया था.
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