Chardham Yatra | Ep 10 | पैदल यात्रा : देवप्रयाग से रामपुर चट्टी | सबसे यादगार सफऱ। Rural Tales

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Chardham Yatra | Ep 10 | पैदल यात्रा : देवप्रयाग से रामपुर चट्टी | सबसे यादगार सफऱ। Rural Tales

देवप्रयाग से रामपुर चट्टी

देवप्रयाग से अआगे का सफऱ काफी रोमांचक है। वैसे तो देवप्रयाग से श्रीनगर करीब 3 किमी की दूरी है और पैदल मार्ग भी लगभग इतना ही है। देवप्रयाग में बाजार संगम स्थल के सामने पौड़ी गढ़वाल में था  जिसे बाह बाजार कहा है। कहते है पहले इस बाजार में काफी रौनक हुआ करती थी। यहां से करीब ढाई किमी की दूरी तक सड़क मार्ग है और मार्ग अलकनंदा नदी के किनारे है। उसके बाद पुराना पैदल मार्ग शुरू हो जाता है।


करीब 4 किमी की दूरी पर प्राचीन मंदिर है। भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर की स्थिति बेहद जीर्ण शीर्ण है। मंदिर एक रथ और नागर शैली का है। जिसके शिखर और दीवार पर दरारें आ चुकी है। इस मंदिर के बगल में दो मिट्टी, पत्थर के बने पुराने घर है जिसमें पुजारी रहते है।मंदिर के गर्भ गृह में भगवान कृष्ण की प्राचीन मूर्ति है जो करीब एक फ़ीट की है।


📍Vidakoti  google location

https://maps.app.goo.gl/B7u7uJvyMMECm...

खेमानन्द भट्ट(विदाकोटी ) -7310938811


स्थानीय पुजारी ने बताया कि इस स्थान तक रामचंद्र जी माता सीता को विदा करने आए थे। इसलिए इस स्थान का नाम विदाकोटी है। इससे आगे करीब 4 किमी की दूरी पर माता सीता का भी प्राचीन मंदिर है। पूरे मार्ग में विरानी छाई है. कहीं कहीं पर मकानों और दुकानों के खंडहर दिख जाते है। पुराने यात्रा काल के समय के प्याऊ भी जगह जगह पर मौजूद है।


सीता माता का मंदिर एक खुली जगह पर बना है। मंदिर करीब 5 फुट ऊँचा और चौकर है जिसकी छत पत्थरों की है और दीवारें मिट्टी पत्थर की बनी है। यह मंदिर विदाकोटी मंदिर की शैली का नहीं है इसलिए पुराना भी मालूम नहीं पड़ता। मंदिर के आस पास कोई भी अन्य मकान नहीं है मात्र एक पैदल मार्ग है जो आगे नदी की तरफ जा रहा है। मंदिर में शिवलिंग रखा हुआ है।


यह पैदल मार्ग पौड़ी जिले के कोट ब्लॉक से होकर जाता है। पूरा पैदल मार्ग नदी दे मात्र 25 से 50 मीटर की दूरी पर चलता है। कई जगह मार्ग टूटा हुआ है। इस मार्ग के निर्माण में भी उस समय चट्टानों को काटकर रास्ता तैयार किया गया है।


रानीबाग देवप्रयाग से 12 किमी की दूरी पर बसा है। यह पैदल मार्ग की एक प्रमुख चट्टी है।जहाँ पर यात्रियों को रुकने के लिए धर्मशाला भी थी जो अब खंडहर हो चुकी है। यहां पर दो परिवार रहते है। कहते है कि यहां पर रानी का आम का बगीचा हुआ करता था जिसके बाद इसका नाम रानीबाग पड़ा।


दिनेश रॉवत बताते है कि पहले यहां पर यात्रियों की भीड़ लगी रहती थी।यहां पीने का पानी भी है और खेती भी होती है जिसमें दाल, सब्जियाँ, गेहूं,झींगोरा, कोदा, उड़द, ब्याज लहसुन होता है।

📍Ranibag google location

https://maps.app.goo.gl/RCngPfgU2Qs4z...


दिनेश रावत(रानीबाग) Ph 9917075918

रानीबाग से आगे अभी करीब 4 किमी का सफर और आगे चलना था। शाम हो चुकी थी। हालांकि पैदल मार्ग में किसी की दिक्क़त नहीं थी लेकिन अंधेरा सभी को डरा देता है। मैंने आगे कुछ मकान देखें तो रहने के लिए अनुरोध किया लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बल्कि एक सज्जन तो ये मानने को ही तैयार नहीं थे कि मैं हरिद्वार से पैदल चल रहा हूँ।खैर अँधेरे में चलते चलते आखिर मै अपनी मंजिल तक पहुँच ही गया।


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