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Скачать или смотреть ईंटें, मनके तथा अस्थियां|| कक्षा 12 इतिहास|| revision class #2 || by

  • GK With CK
  • 2023-12-24
  • 44
ईंटें, मनके तथा अस्थियां|| कक्षा 12 इतिहास|| revision class #2 || by
class 12 history revision classAadarsh Study CentreCr katariyaChhota Ram sirCr katariya sirबजरंगजी सरओंकारजी सरaadarsh Public Sr Sec school deuaadarsh school deudeu schooldeu collegeITI deuIndian Historyईंटें मनके तथा अस्थियां
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ईंटें, मनके तथा अस्थियां|| कक्षा 12 इतिहास|| revision class #2 || by ‪@CrKatariya001‬

Q1. हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल कौनसा है?
A हड़प्पा
B मोहनजोदड़ो
C कालीबंगा
D लोथल
Q2. हड़प्पा सभ्यता का सबसे अनूठा पहलू था–
A शहरी केंद्रों का विकास
B जल निकास प्रणाली
C दुर्ग
D निचला शहर
Q3. हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशेषता थी–
A शहरी केंद्रों का विकास
B नियोजित जल निकास प्रणाली
C दुर्ग
D निचला शहर
Q4. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की स्थापना कब हुई?
1875
1861
1921
1924
Q5. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की स्थापना किसने की?
A अलेक्जेंडर कनिंघम
B जॉन मार्शल
C दयाराम साहनी
D राखल दास बनर्जी
Q6. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग भारत सरकार के किस मंत्रालय के अधीन काम करता है?
A गृह मंत्रालय
B वित्त मंत्रालय
C संस्कृति मंत्रालय
D कार्मिक मंत्रालय
Q7. भारतीय पुरातात्विक संरक्षण विभाग के पहले महानिदेशक कौन थे
A अलेक्जेंडर कनिंघम
B जॉन मार्शल
C दयाराम साहनी
D राखल दास बनर्जी
Q8. हड़प्पा सभ्यता की सड़कों तथा गलियों को किस पद्धति में बनाया गया था?
Ans. ग्रीड पद्धति।
Q9. 1856 में सर्वप्रथम हड़प्पा का मानचित्र किसने जारी किया था?
A ए कनिंघम ने
B जॉन मार्शल ने
C दयाराम साहनी ने
D राखल दास बनर्जी ने
Q10. विश्व में वाटर प्रूफिंग का पहला उदाहरण किसे माना जाता है?
Ans. विशाल स्नानागार
Q11. सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरतम स्थल कौन सा है?
A मांडा
B शोर्तुघई
C मुंडीगोक
D कालीबंगा

मोहनजोदड़ो - एक नियोजित शहरी केंद्र (हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन)
प्रमुख विशेषताएं
नगर नियोजन प्रणाली जल निकास प्रणाली व सफाई

हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता नगरों का विकास था (नगरीय सभ्यता)।
हड़प्पा सबसे पहले खोजा गया स्थल था ।
जबकि मोहनजोदड़ो सबसे प्रसिद्ध पूरास्थल था ।
इन प्रमुख नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया था और फिर उसके अनुसार कार्य किया जाता था।
बस्ती दो भागों में विभाजित थी-
A.दुर्ग
B.निचला शहर

A. पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊंचाई पर बना था जिसे इतिहासकारों ने दुर्गा नाम दिया है।
यहां सार्वजनिक भवन बने होते थे जिनमें शासक वर्ग रहता था।
दुर्ग की ऊंचाई का कारण यह था कि यह कच्ची ईंटों के चबूतरे पर बना था।
दुर्ग दीवार से घिरा हुआ था ।
इससे दुर्ग को निचले शहर से अलग कर दिया जाता था ।
चार दिवारी पक्की ईंटों की बनाई जाती थी ।
ईंटें धूप में सुखाकर या भट्टी में पका कर बनाई जाती थी। इंटें एक निश्चित अनुपात की होती थी।
ईंटों की लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई का अनुपात क्रमशः 4:2:1 होता था।

धोलावीरा तथा लोथल में पूरी बस्ती किलेबंद थी तथा शहर के कई हिस्से भी दीवारों से घेरकर अलग किए गए थे।
लोथल में दुर्ग दीवार से घिरा तो नहीं था पर कुछ ऊंचाई पर बनाया गया था।

B. पूर्वी भाग बड़ा था लेकिन यह निचले इलाके में था ।जिसे निचला शहर नाम दिया है। यहां के घरों में सामान्य लोग रहते थे।
निचला शहर भी दीवार से घिरा हुआ था । इसके अतिरिक्त कई भवनों को ऊंचे चबूतरो पर बनाया गया था जो नींव का कार्य करते थे। ये चबूतरे भी मिट्टी से बने थे।
भवनों के निर्माण के लिए बहुत बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ी होगी ।
एक बार चबूतरो के बनने के बाद शहर का सारा भवन निर्माण का कार्य चबूतरो पर एक निश्चित क्षेत्र तक सीमित था।
इस प्रकार प्रतीत होता है कि पहले बस्ती का नियोजन किया गया था और फिर उसके अनुसार निर्माण कार्य किया गया था।

दुर्ग –
नगर के दुर्ग पर ऐसी संरचनाऐं मिली है , जिनका प्रयोग शायद सार्वजनिक कार्यों के लिए किया जाता था।
1. माल गोदाम
2. विशाल स्नानागार

1. माल गोदाम – यह एक विशाल संरचना है, परंतु आज इसके ईंटों से बने केवल निचले हिस्से ही शेष रह गए हैं, जबकि ऊपरी हिस्से नष्ट हो गए हैं। ये हिस्से शायद लकड़ी से बने थे।✅शायद इसका उपयोग आपसी विचार विमर्श, धार्मिक आयोजन, सामाजिक आयोजन के लिए किया जाता होगा।
2. विशाल स्नानागार – (बनावट विशेषताएं एवं महत्व)
यह दुर्ग के आंगन में बना एक आयताकार जलाशय जो चारों ओर से एक गलियारे (गैलरी) से घिरा हुआ है।
जलाशय के तल तक जाने के लिए इसके उत्तरी तथा दक्षिणी भाग में दो सीढ़ियां बनी हुई थी।
जलाशय के किनारो पर ईंटें जमा कर तथा जिप्सम के गारे का प्रयोग करके जलबद्ध (जल भराव) किया गया था l (पानी का रिसाव रोका)।
इसके तीनों और कमरे बने हुए थे, जिनमें से एक में एक बड़ा कुआं था ।
जलाशय से पानी एक बड़े नाले में बह जाता था ।
इसके उत्तर में एक गली के पार अपेक्षाकृत एक छोटी संरचना बनी हुई थी, जिसमें आठ स्नानागार बनाए गए थे । एक गलियारे के दोनों और 4–4 स्नानागार बने थे।
प्रत्येक स्नान घर से नालियां, गलियारे के साथ-साथ बने एक नाले में मिलती थी ।
इसका प्रयोग किसी विशेष अनुष्ठानिक स्नान (पुरोहितों के लिए) के लिए किया जाता था। अनुष्ठानिक प्रथा का स्पष्ट संकेत नहीं मिलता है । न ही यह पता लगा है कि जो लोग अनुष्ठान करते थे उनके पास राजनीतिक सत्ता होती थी
✅शायद यहां विशेष लोग विशेष अवसरों पर स्नान करते थे
✅कालीबंगा और लोथल से अग्निकुंड मिले हैं – यज्ञ करते होंगे।
नालों का निर्माण – (नियोजित जल निकास प्रणाली)
हड़प्पा नगरों की प्रमुख विशेषताओं में से एक– नियोजित जल निकास प्रणाली थी ।
सड़कों और गलियों को लगभग एक ग्रीड पद्धति में बनाया गया था जो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
सड़कों और गलियों के साथ नालियों को बनाया गया था। नालियों को ढकने की व्यवस्था होती थी।
सड़कों और गलियों के अगल-बगल (आस–पास) आवासों को बनाया गया था।
घरों के गंदे पानी की नालियों को गली की नालियों से जोड़ा गया था।
घरों की नालियां पहले एक होदी या मलकुंड में खाली होती थी, जिसमें ठोस पदार्थ जमा हो जाता था और गंदा पानी गली की नालियों में बह जाता था ।
बहुत लंबे नालों में कुछ अंतरालों पर सफाई के लिए होदियां बनाई गई थी ।

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