स्कन्द-पुराण की दिव्य-कथा || Legend of Skanda-Purana || श्री त्र्यम्बकेश्वर जी महाराज || 28/08/21

Описание к видео स्कन्द-पुराण की दिव्य-कथा || Legend of Skanda-Purana || श्री त्र्यम्बकेश्वर जी महाराज || 28/08/21

#चातुर्मास-सत्संग-ज्ञान-यज्ञ-समारोह

#अखिल-भारतवर्षीय-धर्मसंघ एवं #स्वामी-करपात्री-फाउंडेशन

#धर्मसम्राट #स्वामी श्री #करपात्री जी #महाराज के #कृपापात्र-शिष्य वीरव्रती श्री प्रबल जी महाराज के यशस्वी तपोनिष्ठ विद्वान सन्तवरेण्य #बाल-ब्रह्मचारी परम श्रद्धेय वितराग शिरोमणी अनंतश्री विभूषित श्री #त्र्यम्बकेश्वर-चैतन्य जी महाराज

समर्थ श्री त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज का जन्म एक सम्भ्रान्त #पाराशर-परिवार में मिती श्रावण सुदो 10, बुधवार, दिनांक 8 अगस्त 1973 को #नोयडा (#उत्तरप्रदेश) में हुआ था। इनकी शैक्षणिक उपलब्धियां M.A (संस्कृत, हिन्दी), #व्याकरणाचार्य (नरवर), B.ed शिक्षाशास्त्री, #यूजीसी-नेट, पूर्व प्राचार्य #धर्मसंघ-महाविद्यालय भादरा, हनुमानगढ़ (राज.) रही है। आपके शिक्षा गुरू परमवीतराग अनन्त श्री #स्वामी-विष्णुआश्रमजी महाराज रहे है और दीक्षा • गुरू यज्ञसम्राट वीरव्रती श्री प्रबल जी महाराज रहे है। 2003 में नासिक (त्र्यम्बकेश्वर ) कुम्भ में माँ गोदावरी की सन्निधि में नैष्टिकब्रह्मचर्य

दीक्षा सम्पन्न हुई तथा आपको त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य नाम प्राप्त हुआ, इससे पहले गोपाल जी नाम से जाने जाते थे। दीक्षोपरान्त साधनापक्ष पर विशेष बल देते हुए परमपूज्य जीतराग शिरोमणि समर्थ श्री त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज त्रिपथगामिनी माँ गंगा व मेकलसुता माँ नर्मदा जी की पावन परिक्रमा कर त्याग वैराग-सेवा शुश्रुषा का पाठ पढ़ा और वेदमाता गायत्री का प्रथम पुरुश्चरण 2008-09 में भगदान श्री विश्वनाथ की नगरी काशी में मौन होकर किया एवं दूसरा पुरुश्चरण 2011-12 में माँ गंगा के किनारे भृगुजी महाराज की तपोस्थली भृगुक्षेत्र में मौन रहते हुए किया, यह स्थान उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिल में पड़ता है। तीसरा पुरुश्चरण 2021 में श्री #कृष्णनगरी #वृन्दावनधाम (मथुरा) उ.प्र. किया


महाराजश्री के निर्देशन में वेद-वेदांगों की परम्परा को अक्षुण बनाने में पाठशालाओं का संचालन हो रहा है, जिनमें #वेद-व्याकरण #ज्योतिष-साहित्य आदि का ज्ञान प्रदान किया जा रहा है। गावो विश्वस्य मातरः
#सनातन-धर्म की रीढ़ #गौमाता है। पूज्य श्री महाराज के द्वारा देश के कई कोनों में #गोशाला संचालित है। महाराजश्री कभी किसी से धनविषयक चर्चा नहीं करते है। भगवान पर आस्था व उन्हीं की कृपा से देव, द्विज, गो, गीता गायत्री व शास्त्रों के बल से अनन्य उर्जा का स्त्रोत महाराज श्री के रग-रग से टपकता रहता है। वर्णाश्रम धर्म की रक्षा के लिए पूज्य श्री का जीवन है। अपने गम्भीर विचारों को प्रवचन व लेखन के माध्यम से समाज में ग्रन्थों का प्रणयन कर वाग्देवता की उपासना होती है। '

महाराजश्री की भावनादेश में
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तुनिरामयाः । सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुखः भाग्भवेत् ।।
शान्तिः शान्तिः शान्तिः


#प्रवचन #प्रसंग-स्कन्द-पुराण की #दिव्य-कथा ( #वेद, #पुराणोपनिषद संवलित पावन #कथा) स्थान- #हरिशेवा-उदासीन-आश्रम, सनातन #मंदिर, #भीलवाड़ा

Комментарии

Информация по комментариям в разработке