राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराजांचे सर्वाधिक लोकप्रिय हिंदी भजन संग्रह | tukadoji maharaj bhajan #भजन
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🙏👇{राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज -भजन संग्रह }🙏
१) पिता प्याला, प्याला शरब वाला...।
२) इन्सान तेरी आँख में क्या धूल पड गई ...।
३) सुहागन तीरथ करने चली ...।
४) साधु की संगत पाई... ।
५) आया हूँ दरबार तुम्हारे...।
६) मेरे दिलमें गुरुने जादू किया...।
🚩🙏 bhajan lyrics 🙏⬇️✅️
➡️ १) पिता प्याला, प्याला शरब वाला...।
गलेमें क्यो पहनी माला ?
(तर्ज : गेला हरी कुण्या गांवा.. )
गलेमें क्यों पहनी माला ? बदनपर भस्म चढा डाला।।
लगाया चन्दन का टीला !
पीता प्याला, प्याला शराबवाला ! ।।टेक।।
करता तीरथ जा-जाके, नहाता गंगामें बाके।
दर्शन साधू-संतोके करता सीर झुका करके।।
फिरभी अक्कल नहिं आयी, पीकर पडता हैं नाला।
पीता प्याला, प्याला शराबवाला! ।।1।।
जिसने शराब घर लाया, उसने घरही उजडाया ।
किसने इन्सानी पाया? पिया तो जिन्दगिसे खोया ।।
तुझको किसने सिखाया हैं ? घरका मुंह करने काला ।
पीता प्याला, प्याला शराबवाला ! ।।2।।
किसको तुझे फँसाना था, तेरा सब धन लुटाना था।
तुझे दुनियाँसे मिटाना था, चारोंमे नाक कटाना था!
इसी कारणसे छंद दिया, वारे तू भोला-भाला।
पीता प्याला, प्याला शराबवाला ! ।।3।।
तेरा घर नहिं था ऐसा, तमाशा तुने किया कैसा ।
गँवाया शराब में पैसा, फिरता मुरदे के जैसा ।।
तुकड्यादास कहे, सुनले ! लगा दे,व्यसनोंको ताला ।
पीता प्याला, प्याला शराबवाला ! ।।4।।
➡️ २) सुहागन तीरथ करने चली
(तर्ज-बन चले राम )
सुहागन तीरथ करने चली ॥ टेक ।।
अंग भरे जेवर सजवाकर, कंधी तेलसे मली ।।१।।
पतिके सिरपर बोझा देकर, हाथ हिलावत खुली ।।२।।
ऊँट सवारो, घोडा बाँधो, आप रहत है खुली ॥३।।
रोठ बुलाओ, लड़ बनाओ, आप न थोडी हिली ।।४।
पती बिचारा बेल बना है, आप बनी है बली ॥५॥
सन्त-देवता से नहीं नाता, घुमे दुकान और गली।।६॥
क्या होगा तीरथ करनेसे ? पती चढ़ाया सुली ॥७।।
तुकड्यादास कहे ए भाई! काहेको ऐसी पली! ।।८।।
➡️ मेरे दिलमें गुरुने जादू किया
(तर्ज : यह प्रेम सदा भरपूर रहे ... )
मेरे दिलमें गुरुने जादू किया, मेरा ध्यान न लगता है घरमे ।
तनमनमे मेरे छायी है नशा, उस धुंद का चक्कर है सरमे ।।टेक।।
नहि नैन लगे किसी औरन पे, धन माल भले हो लाखोका ।
बस एक दिखे गुरुदेव मेरे, कही लाख दिखे एक पलभरमें ।।1।।
हर रोममे है हर बातमे है, हर चिजमे है गुरुदेव मेरा ।
मै देखू जिधर गुरुदेव ही है, सत्संग बडा दुनिया भरमे ।।2।।
नहीं स्थान उसीका एक रहा, सब स्थान उसीने व्यापे है।
यह प्रकाश पडा नैननमे मेरे, फिर क्यो ढूँडू उसे दरदरमें ।।3।।
उनकी सेवामे काल कटे, अरु अंत हो उनके चरणोमें।
तुकड्या न चहे अब दिलसे कोई, बस लपट रह गुरुकी धूनमे ।।4।।
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