जानिए, ASHOK GEHLOT के शिकार की लिस्ट में TOP 10 पर कौन रहा | Rajasthan Tak

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राजस्थान में अशोक गहलोत के समर्थक हमेशा य़े बात कहा करते थे कि राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सीमा, अशोक गहलोत पर ही शुरु होती है और अशोक गहलोत पर ही खत्म होती है...पिछले 40 साल से राजस्थान में गहलोत कांग्रेस का चेहरा बने हुए हैं... गहलोत के कई उपनाम हैं.... उन्हें लोग जादूगर से लेकर 'मारवाड़ का गांधी' तक कहते हैं.... गहलोत को समझने के लिए कांग्रेस उनकी 40 साल की राजनीति को भी समझना जरूरी है। साल 1998 में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष परसराम मदेरणा थे.... मदेरणा उस वक्त कांग्रेस के सबसे ताकतवर नेता माने जाते थे. पश्चिम राजस्थान में वो कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा और सबसे बड़े जाट नेता थे. तब राजस्थान में जाट समुदाय के तीन बड़े नेताओं की तिकड़ी की चलबल थी. इनमें बलराम जाखड़, परसराम मदेरणा और रामनिवास मिर्धा शामिल थे. मदेरणा की अगुवाई में साल 1998 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव लड़ा. लेकिन, जब बारी आई मुख्यमंत्री बनाने की तो पार्टी आलाकमान ने युवा नेता अशोक गहलोत को चुना. उस वक्‍त से मदेरणा और गहलोत के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई. जाट समुदाय की नाराजगी गहलोत के खिलाफ बढ़ी....साल 2003 में गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस की विधासनभा चुनाव में हार के बाद बाड़मेर से तत्कालीन सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला था. गहलोत को जाट विरोधी करार देने के लिए सोनाराम कांग्रेस में गहलोत के खिलाफ मुखर थे.... सोनाराम खुद जाट चेहरे के रूप में सीएम बनना चाहते थे, लेकिन गहलोत ने बाड़मेर में ही नए युवा जाट नेता हरीश चौधरी और अनुभवी हेमाराम चौधरी के जरिए सोनाराम को ही किनारे कर दिया.... आखिरकार सोनाराम को कांग्रेस छोड़नी पड़ी....फिर साल 2008 में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी थे.... डॉ. जोशी राहुल गांधी की पसंद थे.... कांग्रेस द्वारा डॉ. जोशी की अगुवाई में चुनाव लड़ने से माना जा रहा था कि पार्टी अगर चुनाव जीती तो सीएम डॉ. जोशी ही होंगे, लेकिन जोशी हैरतअंगेज तरीके से एक वोट से चुनाव हार गए. इसके बावजूद डॉ. जोशी ने सीएम पद के लिए दावा ठोका, लेकिन सफल नहीं हो पाये और सीएम बने अशोक गहलोत....उस समय परसराम मदेरणा के बेटे महिपाल मदेरणा ने भी सीएम पद के लिए दावा ठोका.... महिपाल मदेरणा को जाट विधायकों और पश्चिम राजस्थान में अपनी पैठ से समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन मतदान में डॉ. जोशी और महिपाल गहलोत के सामने नहीं टिक पाए. गहलोत विधायकों की पसंद के दावे से दूसरी बार सीएम बने.... उसके बाद राजस्थान में कांग्रेस जोशी और गहलोत गुट में बंट गई. साल 2008 में जोशी भीलवाड़ा से सासंद चुने गए... फिर राहुल गांधी की पसंद से कैबिनेट मंत्री बने.... राजस्थान की सियासत में गहलोत ने जोशी की पकड़ धीरे धीरे कम कर उनको हाशिये पर धकेल दिया.... महिपाल मदेरणा भंवरी देवी सीडी कांड में फंस गए. भंवरीदेवी की हत्या के आरोप में मदेरणा जेल में हैं... 2013 में मुख्यमंत्री रहते अशोक गहलोत विधानसभा चुनाव बुरी तरह हारे. कांग्रेस को महज 21 सीटें मिली. इससे गहलोत राहुल गांधी समेत पार्टी आलकमान की नापसंद बन चुके थे... राजस्थान और केंद्र में कांग्रेस की सियासत में गहलोत को किनारे कर दिया था. वर्ष 2014 में राजस्थान कांग्रेस की कमान सचिन पायलट को सौंपी गई. पायलट महज 40 साल में पीसीसी के अध्यक्ष बने. पायलट राहुल गांधी की पसंद थे. पायलट ने डॉ. सीपी जोशी के उलट पूरे राजस्थान के खूब दौरे किए. युवाओं को कांग्रेस से जोड़ा. कांग्रेस की वर्क कल्चर बदल दी. कई नए प्रयोग किए. पायलट की इस आंधी में गहलोत की टीम राजस्थान में किनारे होने लगी... गहलोत की किस्मत तब फिर पलटी जब गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें वहां का प्रभारी बनाया गया था...कभी राहुल गांधी की नापसंद माने जाने वाले गहलोत अचानक उनके पंसदीदा हो गए. गुजरात चुनाव भले ही कांग्रेस हार गई, लेकिन गहलोत राहुल गांधी की पसंद बन गए... वो गांधी परिवार के फिर नजदीक आ गए... सोनिया गांधी ने गहलोत को अघोषित रूप से राहुल का मेंटर बना दिया... फिर जनार्दन द्धिवेदी को हटाकर कांग्रेस का संगठन महसचिव.... यहीं से गहलोत फिर से राजस्थान की सियासत में ताकतवर हो गए... गहलोत का दखल धीरे धीरे फिर राजस्थान की सियासत में बढ़ने लगी.... साल 2018 के चुनाव में तमाम समीकरणों के बावजूद गहलोत एक बार फिर आगे चल रहे पायलट को किनारे कर आलाकमान की पंसद से सीएम पद पर आसीन हुए, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो कुछ
भी हो रहा है, उससे अशोक गहलोत काफी गुस्से में हैं,उनके ऐसे तेवर देखकर तो यही लगता है कि जो काम बड़े-बड़े सियासी सूरमा ना कर सके, वो काम सचिन पायलट ने करके गहलोत को चित करने की पूरी तैयारी कर ली है।


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