खल्लारी माता मंदिर | Khallari Mata Mandir | Raipur City Chhattisgarh | Vlogs Rahul

Описание к видео खल्लारी माता मंदिर | Khallari Mata Mandir | Raipur City Chhattisgarh | Vlogs Rahul

खल्लारी माता मंदिर | Khallari Mata Mandir | Raipur City Chhattisgarh | Vlogs Rahul
_____________________________________________
Business enquiry
[email protected]

Instagram id -   / vlogs_rahul_78  
_____________________________________________

खल्लारी माता मंदिर | Khallari Mata Mandir | Raipur City Chhattisgarh | Vlogs Rahul
Khallari Mandir Mahasamund
Khallari Mata Mandir
Khallari Mata Mandir Chhattisgarh
Dongargarh Bamleshwari Mata
Dongargarh Mela 2023
Maa Bamleshwari Mandir
Chandi Mata Mandir Bagbahara
Man Angar Moti Dhamtari
Dantewada Danteshwari Mandir Bastar
Mahamaya Mandir Ratanpur
Marhi Mata Chhattisgarh
Raipur Tourist Place
Dhamtari Tourist Place
Ambikapur Tourist Place
Bilaspur Tourist Place
Rajnandgaon Tourist Place
Bastar Tourist Place
Chhattisgarh Tourist Place

भारत का वह प्रदेश जहां बसते हैं अनेकों देवी देवता। धान का कटोरा कहे जाने वाले यह छत्तीसगढ़ अपनी विशेषता के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। आज हम छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित खल्लारी माता के मंदिर के बारे में बात करेंगे। माता का यह मंदिर खल्लारी ग्राम की पहाड़ियों पर बिल्कुल शीर्ष पर स्थित है। यह महासमुंद में दक्षिण की ओर 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खल्लारी का इतिहास देखा जाए तो आपको बता दें कि जब कलचुरी वंश की एक शाखा रायपुर पर स्थापित की गई थी तब कलचुरी वंश की शुरुआती राजधानी खल्लारी थी। उस समय में खल्लारी का पूरा इलाका मृतकागड़ नाम से जाना जाता था। सन 1409 में ब्रह्मा देव राय के राज में कलचुरी वंश की राजधानी को खल्लारी से रायपुर में बदल दिया गया था। बात करें खल्लारी और रायपुर के बीच की दूरी की तो खल्लारी और रायपुर के बीच लगभग 80 किलोमीटर का फासला है। वैसे तो छत्तीसगढ़ के सभी क्षेत्रों का बखान महाभारत में वर्णित है। ठीक उसी प्रकार महाभारत में इस जगह को खाल्लवतिका के नाम से जाना जाता था। इस जगह का वर्णन महाभारत और रामायण में भी मिलता है इससे पता लगाया जा सकता है इस हिडिंबा जब पांडवो के पास पहुंची तब वह भीम की गठीली काया को देखकर मनमोहित हो गई। भीम अपने भाई और माता कुंती के सोने पर पहरा देते हुए किसी साहसी की भांति प्रतीत हो रहा था। हिडिंबा भीम को पहले ही नजर में अपना पति मान चुकी थी। हिडिंबा भीम को और करीब से देखना चाहती थी इसलिए उसने एक सुंदरी का रूप धारण किया और भीम के पास जा पहुंची। जब भीम ने हिडिंबा को देखा तो भीम अचंभित रह गया कि इतनी सुन्दर स्त्री इस घने जंगल में अकेली क्यों घूम रही है। भीम ने आखिरकार उस स्त्री से पूछ ही लिया की - हे सुंदरी! तुम कौन हो और तुम इतने घने जंगल में अकेले क्यों घूम रही हो।जवाब में उस सुंदरी ने भीम से कुछ भी नहीं छुपाया और सभी बाते सच सच बता दिया। उस सुंदरी ने कहा कि मैं एक हिडिंबा नाम कि एक राक्षसी हूं और मैने आपको पहली ही नजर में अपना पति स्वीकार कर लिया है। हिडिंबा ने आगे कहा - मेरा भाई एक क्रूर व्यवहार का एक खतरनाक राक्षस है और वह आप सभी को अपना भोजन बनाना चाहता है। मै आपको और आपके पूरे परिवार को हिडिंबसुर राक्षस से बचा सकती हूं। इतने में ही बहन हिडिंबा को आने में देर होता देख हिडिंबसुर स्वयं वहां पर जा पहुंचा और वहां पर अपनी बहन को भीम से प्रेम की बाते करते देख क्रोधित हो गया। क्रोधित हिडिंबसुर ने अपनी बहन पर हाथ उठा दिया जिसका भीम ने विरोध करते हुए कहा - तू एक नारी पर हाथ उठाता है तू कोई वीर नहीं है बल्कि तू एक डरपोक है। अगर तू वीर है तो तू मेरे से युद्ध कर। इसके पश्चात हिडिंबसुर ने भीम द्वारा दिए गए चुनौती को स्वीकार किया और भीम से युद्ध किया। भीम महाबलशाली था और हिडिंबसुर उस वन के राक्षसों के राजा। इस दोनों आपस में एक से बढकर एक थे। इस तरह से यह युद्ध कई घंटो तक चला और अंततः महाबलशाली भीम ने हिडिंबसुर का वध कर दिया। युद्ध के दौरान पांडव और उनकी माता कुंती की नींद खुल चुकी थी और माता कुंती ने पास खड़ी उस सुंदरी से कारण पूछा जिसके जवाब में हिडिंबा सब कुछ बता दिया था। जब हिडिंबसुर का वध करके पांडव अपनी माता के साथ वहां से जाने लगे तब हिडिंबा ने माता कुंती के चरणों में गिर कर खुद को भीम की पत्नी के तौर पर स्वीकार करने के लिए गिड़गिड़ाने लगी। माता कुंती ने हिडिंबा का भीम के प्रति प्रेम देखकर अपने बेटे भीम से कहा कि तुम हिडिंबा को अपनी पत्नी स्वीकार कर लो और इससे ब्याह रचा कर एक सुखी जीवन जियो। इतने में ही भीम के भाई युधिष्ठिर ने भी हिडिंबा और भीम की जोड़ी को अनुकूल बताया और साथ ही साथ एक शर्त भी रखी। युधिष्ठिर ने हिडिंबा से कहा कि भीम सूरज की रौशनी यानी कि दिन के समय में तुम्हारे साथ रहेगा और रात्रि में हम लोगो के साथ। हिडिंबा ने युधिष्ठिर के शर्त को मान लिया और इस तरह दोनों की शादी करा दी गई। शादी को हुए एक साल हो गए थे तब हिडिंबा को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। हिडिंबा द्वारा जन्म दिए गए पुत्र के सिर पर बाल नहीं थे इसलिए उसका नाम घटोत्कच रखा गया। घटोत्कच जन्म से ही एक मायावी बालक था वह अपना शरीर अपनी इक्षा अनुसार छोटा या बड़ा कर सकता था। यह पूरा कथा महाभारत में वर्णित है। इस कथा का संबंध इसी

खल्लारी माता मंदिर | #KhallariMataMandir | #RaipurCity #Chhattisgarh | #VlogsRahul
#KhallariMandirMahasamund
#KhallariMataMandir
#KhallariMataMandirChhattisgarh
#DongargarhBamleshwariMata
#DongargarhMela2023
#MaaBamleshwariMandir
#ChandiMataMandirBagbahara
#ManAngarMotiDhamtari
#DantewadaDanteshwariMandirBastar
#MahamayaMandirRatanpur
#MarhiMataChhattisgarh
#RaipurTouristPlace
#DhamtariTouristPlace
#AmbikapurTouristPlace
#BilaspurTouristPlace
#RajnandgaonTouristPlace
#BastarTouristPlace
#ChhattisgarhTouristPlace

Комментарии

Информация по комментариям в разработке