Chor Market, nagpur, chor bajar, wholesale market, Prince galaxy

Описание к видео Chor Market, nagpur, chor bajar, wholesale market, Prince galaxy

Get what you want at dirt cheap prices at Chor Bazar, held every Saturday opposite Empress Mall. This market is with everything and with vendors everywhere. This place is called Chor Bazaar aka Shaniwari Market which is set-up every Saturday near Santra Market in the Second Capital City of Nagpur.

नागपुर. कारीगरों के काम आने वाला पाना, पेंचिस हो या हाईटेक मोबाइल, लैपटॉप या फैशनेबल जींस, टीशर्ट, सभी चीजें शहर में कहीं एक जगह मिलेंगी तो एक ही नाम आएगा वह है शनिचरा बाजार. समय या चलन के साथ पुरानी हो चुकी कई चीजें यहां ढूंढने से मिल जाएंगी. बोलचाल की भाषा में ‘चोर बाजार’ के नाम से भी पहचाना जाने वाला यह मार्केट आज सैकड़ों परिवारों की आवक का जरिया है. 70 वर्ष से भी ज्यादा यह पुराना बाजार अपने ठीक सामने शुरू हुए चमचमाते इम्प्रेस मॉल के बावजूद न केवल अपना अस्तित्व बचाए हुए है, बल्कि समय के साथ इसमें और विस्तार देखने मिला है. काफी कम खर्च में हर किसी की जरूरत का सामान उपलब्ध कराने वाले इस बाजार को इतने वर्षों में भी प्रशासन जगह नहीं दिला पाया.

मुंबई के बाद दूसरा
जानकार बताते हैं कि यह बाजार कई दशकों से लग रहा है. पूरे विदर्भ में इतना बड़ा बाजार और कहीं नहीं लगता. महाराष्ट्र में मुंबई के बाद अपनी तरह का यह दूसरा बाजार है. पूरे विदर्भ से लोग यहां खरीदी करने आते हैं. पहले इस बाजार में सिर्फ कबाड़ व लोहे की वस्तुएं ही मिला करती थीं लेकिन जिस तरह से समय बदला उसी तरह यह बाजार भी पूरा हाईटेक हो गया है. आज यहां लोहे, कबाड़ के साथ-साथ कम्प्यूटर, लैपटॉप, टेबलेट, की-बोर्ड, मोबाइल, डीवीडी, कैमरा जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम से लेकर अन्य काम की वस्तुएं भी कम दाम में मिल जाती हैं. जो लोग बाहर से महंगी वस्तुएं नहीं ले पाते वे यहां का रुख करते हैं. व्यापारी मुकेश बताते हैं कि इस बाजार में सामान्य से लेकर धनाढ्य वर्ग तक के लोग आते हैं. यहां पर लाखों की वस्तुएं हजारों रुपये में मिल जाती हैं. बहुत सी पुराने जमाने की वस्तुएं जो किसी संग्रहालय में देखने मिलती हैं वे भी बाजार में बिकने के लिए आती हैं. ऐसी वस्तुएं यदि बाहर खरीदने जायेंगे तो इनके दाम बहुत अधिक होते हैं. इसलिए धनाढ्य लोग भी इस बाजार में आते हैं.

महंगाई और अतिक्रमण की मार
बाजार में करीब 70 वर्षों से दूकान लगा रहे एक बुजुर्ग व्यापारी ने बताया कि 50 वर्ष पहले यहां से बहुत फायदा होता था लेकिन आज इतनी अधिक महंगाई बढ़ गई है कि अब नाममात्र का फायदा ही होता है. महंगाई के कारण व्यापार करना भी मुश्किल हो गया है क्योंकि यहां सिर्फ एक ही दिन बाजार लगाना पड़ता है, यदि रोज लगायें तो अतिक्रमण उन्मूलन दस्ते वाले सामान उठा ले जाते हैं. इस कारण शनिवार को जो धंधा हो गया बस उसी में गुजर-बसर करनी पड़ती है. और अभी ऐसा है कि जिस तरह समय के साथ बाजार बढ़ा है, उसी तरह होने वाला फायदा भी बंट गया है.

एम्प्रेस मिल की जगह बने माल वालों ने कई बार बाजार को हटाने की कोशिश की लेकिन वे अब तक सफल नहीं हो पाये. आज यह सिर्फ लोहा-कबाड़ बाजार ही नहीं रहा, बल्कि यह एक मिश्रित बाजार बन चुका है. यहां पर गद्दे, चादर से लेकर तो पुराने फर्नीचर, कपड़े, जींस, हर गाड़ियों के छोटे से बड़े पार्ट्स, कूलर, पंखे, सिलाई मशीन, पंखे, रिमोट, जूता-चप्पल, पुरानी वाशिंग मशीन, जूसर मशीन, इलेक्ट्रॉनिक व लोहे वाली प्रेस, इलेक्ट्रिकल सामान, होल्डर, इलेक्ट्रिक बोर्ड, बटन, नकली सुगंधित अगरबत्ती जिसमें थोड़ी देर खुशबू आती है, दुपहिया व चौपहिया वाहनों के पुराने टायर, ट्यूब, पेट्रोल तराजू, बांट, पाना, पेंचिस, नट, बोल्ट, बड़े स्पीकर्स भी यहां कम दामों में मिल जाते हैं.

कई बार दिया आश्वासन
आज महानगर में यह बाजार ‘चोर बाजार’ के नाम से मशहूर है. बहुत से लोग समझते हैं कि इस बाजार में जो भी वस्तुएं मिलती हैं वे सब चोरी की रहती हैं लेकिन व्यापारी अरुण ने बताया कि ऐसा नहीं कि सभी वस्तुएं चोरी की रहती हैं. उन्होंने बताया कि यहां 80 प्रश लोग ईमानदारी से धंधा करते हैं. यहां पर वही सामान आता है जिसकी नीलामी होती है और बड़े-बड़े बंगलों से निकली हुई पुरानी चीजें यहां बिकने आती हैं.

हर पुरानी चीजों को रिपेयर व डेंटिंग कर नया करके बेचा जाता है. यूं कहें कि यहां लाखों की वस्तु हजारों में मिल जाती है. पहले बाजार सिर्फ एम्प्रेस माल की रेंज तक ही सीमित था लेकिन अब यह धीरे-धीरे बढ़ते हुए टाटा पारसी स्कूल की रेंज तक पहुंच गया है. मिल बंद हो जाने की वजह से कई लोग बेरोजगार हुए थे. उनमें से कुछ ने यहीं पर अपनी दूकान जमा ली. आज यहां लगभग 500 से अधिक दूकानें हैं. यहां के व्यापारियों ने एक कमेटी बनाकर मनपा से स्थायित्व की मांग भी कई बार की लेकिन हर बार मनपा की ओर से सिर्फ आश्वासन ही दिया गया.

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