बिहार में कैसे हुई चाय की खेती की शुरुआत!आज 8000किसान 20 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन करते हैं।

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बिहार के 8000 किसान 20000 एकड़ में 20 करोड़ किलोग्राम ग्रीन लीफ का उत्पादन कर रहे हैं ।

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Sudhakar Singh
Krishify

© लवकुश
आवाज एक पहल

बिहारियों को भी नहीं पता, राज्य में होता है चाय उत्पादन। देश में है पांचवा स्थान; रूस तक निर्यात।

चाय उत्पादन की जब भी बात होती है तब हमारे दिमाग में असम दार्जिलिंग और तमिलनाडु के ठंडे पहाड़ी इलाकों का नाम उभरकर आता है। बिहार के किशनगंज में चाय उत्पादन होना बिहार सहित देश के अन्य लोगों को भी अचंभित करता है। राज्य के भी ज्यादातर लोग को नहीं पता कि किशनगंज में चाय का उत्पादन होता है। बैक टू फार्मिंग:- एग्रीकल्चर टूर ऑफ बिहार के दौरान जब हम लोग किशनगंज के चाय के बागानो में पहुंचे तो हम सब हतप्रभ रह गए। दरअसल किशनगंज बिहार का सबसे पूर्वी छोर पर स्थित जिला है जिसकी सीमा बंगाल के सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग से लगती है। यहां का वातावरण कमोबेश दार्जिलिंग के जैसा ही है। चारों तरफ से जंगलों का होना और अनेकों बरसाती नदी से घिरे रहने के कारण यहां की जलवायु चाय उत्पादन के लिए मुफीद है। किशनगंज में हमारी मुलाकात चाय के बड़े उत्पादक मनी दफ्तरी जैमिनी, शहजाद सहित अन्य चाय बागान मालिकों से हुई।

किशनगंज में 90 के दशक में कुछ किसानों ने चाय बागान लगाने का प्रयत्न किया। प्रारंभिक सफलता के बाद जिले के ठाकुरगंज, पेठिया और किशनगंज प्रखंड के अन्य किसान भी अपनी किस्मत आजमाने लगे। प्रकृति का साथ मिला और सबका चाय बागान सफलतापूर्वक उत्पादन देने के काबिल हो गया। यहां की चाय की गुणवत्ता भी कमोबेश दार्जिलिंग वाली चाय की जैसी ही है। आज किशनगंज के विभिन्न प्रखंडों के लगभग 8000 किसान 20,000 एकड़ में प्रतिवर्ष 200000000 किलोग्राम ग्रीन लीफ का उत्पादन कर रहे हैं। फिलहाल इलाके मे 11 निजी प्रोसेसिंग यूनिट भी उपलब्ध है जहां पर ग्रीन लीफ को चाय से चाय बनाया जा रहा है। कुल पतियों के उत्पादन के लिहाज से देखा जाए तो यहां पर तकरीबन 50 प्रोसेसिंग यूनिट लगाए जाने की संभावनाएं हैं। फिलहाल 4.5 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन प्रतिवर्ष हो रहा है जिसे आसपास के इलाकों अन्य राज्यों में बेचने के अलावे रूस तक निर्यात किया जा रहा है। सरकार भी चाय उत्पादों का सहयोग कर रही है और बिहार के चाय के नाम से इसकी ब्रांडिंग करने की कोशिश जारी है। हम बिहारियों को हर कप में यहां की चाय पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
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