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Скачать или смотреть देवउठनी एकादशी व्रत कथा | Dev Uthani Ekadashi 2024 । एकादशी पूजा विधि । Dev Uthani Ekadashi kab hai

  • Anant Gyanam
  • 2024-11-11
  • 722
देवउठनी एकादशी व्रत कथा | Dev Uthani Ekadashi 2024 । एकादशी पूजा विधि ।  Dev Uthani Ekadashi kab hai
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Описание к видео देवउठनी एकादशी व्रत कथा | Dev Uthani Ekadashi 2024 । एकादशी पूजा विधि । Dev Uthani Ekadashi kab hai

देवउठनी एकादशी की व्रत कथा और महत्व | तुलसी विवाह का रहस्य | Dev Uthani Ekadashi 2024 । एकादशी पूजा विधि । Dev Uthani Ekadashi kab hai

देवउठनी एकादशी 2024 | भगवान विष्णु जागरण की पौराणिक कथा और महिमा
Dev Uthani Ekadashi का रहस्य | तुलसी विवाह की सम्पूर्ण विधि और महत्व
देवउठनी एकादशी व्रत महिमा | भगवान विष्णु की नींद से जागृति की कथा
2024 देवउठनी एकादशी | भगवान विष्णु और तुलसी विवाह की अद्भुत कथा
भगवान विष्णु जागरण | Dev Uthani Ekadashi व्रत कथा और लाभ

नमस्कार मित्रों, आपका स्वागत है हमारे चैनल पर! आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देवउठनी एकादशी की एक अद्भुत और पवित्र कथा। हम जानेंगे इस दिन के महत्व, पौराणिक कथा, व्रत की विधि और इससे मिलने वाले शुभ फलों के बारे में।
सबसे पहले, यह जानना ज़रूरी है कि देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में क्या महत्व है।
देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है।
चार महीने की योग-निद्रा के बाद, भगवान विष्णु इस दिन जागते हैं। इस दौरान सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञ, आदि स्थगित रहते हैं। लेकिन जैसे ही भगवान जागते हैं, सभी मंगल कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं।

देवउठनी एकादशी की प्राचीन कथा]
अब हम सुनाते हैं इस पवित्र पर्व से जुड़ी एक प्राचीन कथा।
बहुत समय पहले की बात है, जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे इस संकट को समाप्त करें। इसके बाद भगवान विष्णु ने चार महीने तक लगातार धरती पर युद्ध किया और राक्षसों का संहार किया। लेकिन इस दौरान भगवान विष्णु बहुत थक गए।
उन्होंने माता लक्ष्मी से कहा, "हे देवी, अब मुझे कुछ समय के लिए विश्राम की आवश्यकता है।" माता लक्ष्मी ने सुझाव दिया कि वे चार महीने की योग-निद्रा में चले जाएं ताकि पूरी तरह से विश्राम कर सकें।
इस प्रकार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक योग-निद्रा में चले गए।
राजा बलि और वामन अवतार की कथा]
लेकिन इस दिन का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है। एक और प्रसिद्ध कथा इस दिन से जुड़ी है वामन अवतार की कथा।
एक बार, सतयुग में एक महान दानवीर राजा बलि हुआ करते थे। वे इतने दानशील और पराक्रमी थे कि उन्होंने स्वर्ग लोक पर भी अधिकार कर लिया। देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे राजा बलि को नियंत्रित करें।
भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में राजा बलि के दरबार में पहुंचे। उन्होंने बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया।
वामन देव ने जैसे ही अपना पहला पग उठाया, उन्होंने पूरे पृथ्वी लोक को नाप लिया। दूसरे पग में उन्होंने स्वर्ग लोक को माप लिया। तीसरे पग के लिए जब कोई स्थान नहीं बचा, तो राजा बलि ने अपना सिर अर्पित कर दिया।
इस प्रकार, भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का अधिपति बनाया और वचन दिया कि वे हर साल चार महीने तक पाताल लोक में निवास करेंगे। यही चार महीने भगवान की योग-निद्रा का समय माना जाता है।
देवउठनी एकादशी के धार्मिक अनुष्ठान
इस बार कार्तिक माह की एकादशी 12 नवंबर को उदय तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा. वहीं इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6 बजे के बाद किया जाएगा.
अब जानते हैं इस दिन को कैसे मनाया जाता है।
प्रातःकाल स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें।
भगवान को तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी विशेष महत्व रखता है। तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम (विष्णु स्वरूप) के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
व्रतधारी इस दिन फलाहार करते हैं और रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करते हैं।
अगले दिन द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

व्रत के लाभ और पुण्य फल
इस दिन व्रत रखने से क्या लाभ होता है?
देवउठनी एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
इसे करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस व्रत का पालन करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और घर में समृद्धि लाता है।
देवउठनी एकादशी कब है? 2024
इस बार कार्तिक माह की एकादशी 12 नवंबर को उदय तिथि में होने के कारण देवउठनी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा. वहीं इसका पारण 13 नवंबर को सुबह 6:42 बजे के बाद किया जाएगा.
12 नवम्बर 2024 मंगलवार
एकादशी तिथि प्रारंभ
11 नवम्बर सोमवार शाम 6:46 से प्रारंभ
एकादशी तिथि समाप्त
12 नवम्बर मंगलवार शाम 4:04 पर समाप्त
सर्वार्थ सिद्धियोग
12 नवम्बर मंगलवार सुबह 7:51 से अगले दिन सुबह 5:40 तक
व्रत का पारण
13 नवम्बर 2024 को सुबह 6:42 से 8:51 तक कर सकते है।
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