कबीर के अमर दोहे अर्थ के साथ नीचे देखें | आसान शब्दों में जीवन बदलने का ज्ञान | Timeless Wisdom of Kabir
यह वीडियो कबीर के अमर दोहों पर आधारित है, जो जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं। कबीर के दोहे न केवल जीवन के दर्शन को समझने में मदद करते हैं, बल्कि वे हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी प्रेरित करते हैं। इस वीडियो में, हम कबीर के कुछ सबसे प्रसिद्ध दोहों को आसान शब्दों में समझाएंगे और बताएंगे कि वे हमारे दैनिक जीवन में कैसे लागू किए जा सकते हैं। यदि आप जीवन के बारे में गहराई से सोचना चाहते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में बदलना चाहते हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। कबीर के दोहों का समयहीन ज्ञान आपको जीवन के हर पहलू में आगे बढ़ने में मदद करेगा।
These are 10 timeless dohas (couplets) of Kabir that hold deep wisdom about life, love, humility, patience, and the value of truth. Each doha is simple yet powerful, carrying lessons that are relevant even today. Kabir’s words teach us how to live with compassion, mindfulness, and balance.
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कबीर के दोहे - अर्थ के साथ :
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
👉 ऊँचा होकर भी जो दूसरों को सुख नहीं दे, उसका कोई लाभ नहीं।
कबीरा खड़ा बाज़ार में, माँगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर॥
👉 सबकी भलाई चाहो, न किसी से विशेष लगाव रखो, न किसी से बैर।
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
👉 जो करना है, उसे तुरंत करो; जीवन का भरोसा नहीं।
साईं इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाय॥
👉 प्रभु! इतनी ही कृपा दो कि परिवार का भरण-पोषण हो जाए और कोई भूखा न रहे।
दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय॥
👉 सब दुख में भगवान को याद करते हैं, पर जो सुख में भी स्मरण करे, उसे दुख नहीं घेरता।
तिनका कभूँ न निंदिए, जो पाँवन तर होय।
कभूँ उड़ आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय॥
👉 छोटे से छोटे को भी तुच्छ मत समझो; कभी वही भारी कष्ट दे सकता है।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥
👉 संसार में बुराई खोजने निकला तो कोई बुरा न मिला; जब अपने मन को देखा तो सबसे बुरा स्वयं निकला।
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥
👉 ग्रंथ पढ़ने से कोई पंडित नहीं होता; सच्चा ज्ञान प्रेम है।
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहै, थोथा देइ उड़ाय॥
👉 सच्चा साधु वही है जो सार ग्रहण करे और निरर्थक को त्याग दे।
कबीरा तेरी झोपड़ी, गल कटियन के पास।
जैसा करेगा वैसा भरेगा, तू क्यूँ भया उदास॥
👉 कर्मों का फल हर किसी को भुगतना है; इसलिए चिंता मत करो।
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Music and Production : Vijay S Sharma for @JioMoksh
                         
                    
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