जैव विविधता का संरक्षण- वन्य जीवों का संरक्षण (Conservation of wildlife)| jaiv vividhata sanrakshan

Описание к видео जैव विविधता का संरक्षण- वन्य जीवों का संरक्षण (Conservation of wildlife)| jaiv vividhata sanrakshan

इस वीडियो में मैंने वन्य जन्तुओं का संरक्षण (Conservation of Wild Animals) बताया है जिसके अंतर्गत वन्य जन्तुओं का संरक्षण दो प्रकार से होता है-
1. स्वस्थाने संरक्षण (In situ Conservation)-इस प्रकार के संरक्षण में विभिन्न वन्य जातियों का संरक्षण उनके प्राकृतिक वास स्थानों में किया जाता है। इस प्रकार के संरक्षित क्षेत्रों को अभयारण्य (reserves) कहते हैं। ये राज्य सरकार के अधीन होते हैं। इसके अन्तर्गत विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान (national parks), जन्तु विहार (sanctuaries) तथा आरक्षित जीवमण्डल (biosphere reserve) आते हैं।
2. उत्स्थाने संरक्षण (Ex situ Conservation)-इस प्रकार के संरक्षण में वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक आवास से हटाकर अन्य सुरक्षित स्थानों पर रखा जाता है। इसके लिए आनुवंशिक संसाधन केन्द्र (genetic resource centre), जीन बैंक आदि की स्थापना की जाती है, जहाँ अंडे, वीर्य, बीज तथा पराग आदि सुरक्षित रखे जाते हैं।
वन्य जन्तु विहार (Wild Life Sanctuaries)-वन्य जन्तु विहार या अभयारण्य (sanctuaries) वे क्षेत्र हैं जिनमें
जन्तुओं को केवल संरक्षण दिया जाता है। इस स्थान पर मनुष्य को केवल उन्हीं कार्यों को करने की आज्ञा दी जाती है जो जन्तुओं को सीधे प्रभावित नहीं करते, जैसे लकड़ी तथा चारे का उत्पादन, मवेशियों को चराना आदि। जन्तु विहार की सीमा निर्धारित नहीं होती। हमारे देश में लगभग 537 जन्तु विहार हैं जिनका क्षेत्रफल हमारे देश के क्षेत्रफल का लगभग 3% है।
राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)-राष्ट्रीय उद्यान वह क्षेत्र है जिसे वन्य जीवन के बचाव, बेहतर जीवन तथा जैविक
सन्तुलन के लिए घोषित किया गया हो। इस क्षेत्र में मानव द्वारा पेड़ काटना, मवेशियों को चराना, खेती करना आदि वर्जित होता है। राष्ट्रीय उद्यान की सीमा निर्धारित होती है। हमारे देश में 103 राष्ट्रीय उद्यान हैं जो लगभग 35 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि को घेरे हुए हैं। यह हमारे देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 1% है।

Комментарии

Информация по комментариям в разработке