Vidyapati Padavali 04 || UGC NET HINDI | सैसव जौवन दुहु मिलि गेल, स्रवनक पथ दुहु लोचन लेल॥ विद्यापति

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This video discus about the Vidyapati Padavali 04 poem written by Mythil Kokil Vidyapati.
सैसव जौवन दुहु मिलि गेल, स्रवनक पथ दुहु लोचन लेल ॥
वचनक चातुरि लहू-लहू हास, धरनिये चाँद कएल परगास ॥
मुकुर हाथ लए करए सिंगार, सखि पूछडइ कइसे सुरत - बिहार ॥
निरजन उरज हेरइ कत बेरि, बिहँसइ अपन पयोधर हेरि ॥
पहिलें बदरि-सम पुन नवरंग, दिन-दिन अनँग अगोरल अंग ॥
माधव पेखल अपरुब बाला, सैसव जौवन दुहु एक भेला ॥
विद्यापति कह तोहें अगेआनि, दुहु एक जोग इह के कह सयानि ॥(04)

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