विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव नोट्स, class 10 science chapter 12 notes in hindi

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विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव नोट्स, class 10 science chapter 12 notes in hindi
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव नोट्स, class 10 science chapter 13 notes in hindi. जिसमे हम चुंबकीय क्षेत्र , क्षेत्र रेखाएं , सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र , दक्षिण ( दायाँ ) हस्त अंगुष्ठ नियम , विधुत धारावाही वृताकार पाश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र , परिनालिका , फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम, दिष्ट धारा ,  प्रत्यावर्ती धारा , घरेलू विद्युत परिपथ। 

चुम्बक :-.

🔹 चुम्बक वह पदार्थ है जो लौह तथा लौह युक्त चीजों को अपनी तरफ आकर्षित करती है । .

❇️ चुम्बक के गुण :-.

प्रत्येक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं – उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव ।.

समान ध्रुव एक – दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं ।.

असमान ध्रुव एक – दूसरे को आकर्षित करते हैं । .

स्वतंत्र रूप से लटकाई हुई चुम्बक लगभग उत्तर – दक्षिण दिशा में रुकती है , उत्तरी ध्रुव उत्तर दिशा की और संकेत करते हुए ।.

❇️ चुम्बक के ध्रुव :-.

🔹 प्रत्येक चुम्बक के दो ध्रुव होते हैं :- .

उत्तरी ध्रुव .

दक्षिणी ध्रुव.

🔶 उत्तर ध्रुव :- उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे को उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं । .

🔶 दक्षिण ध्रुव :- दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं ।.

❇️ चुम्बकीय क्षेत्र :-.

🔹 किसी चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है , उस चुंबक का चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है ।.

चुम्बकीय क्षेत्र का SI मात्रक टेस्ला ( Tesla ) है । .

चुंबकीय क्षेत्र एक ऐसी राशि है जिसमें परिमाण तथा दिशा दोनों होते हैं । .

किसी चुंबकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है जिसके अनुदिश दिक्सूची का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है ।.

❇️ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ :-.

🔹 चुम्बक के चारों ओर बहुत सी रेखाएँ बनती हैं , जो क्षेत्रीय रेखाएं उत्तरी ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिणी ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं । इन रेखाओं को चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं ।.

❇️ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण :-.

क्षेत्र रेखाएं बंद वक्र होती हैं । .

प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र में रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं । .

दो रेखाएँ कहीं भी एक – दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती क्योंकि यदि वे प्रतिच्छेद करती हैं तो इसका अर्थ है कि एक बिंदु पर दो दिशाएँ जो संभव नहीं हैं । .

चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता को क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दर्शाया जाता है । .
नोट :- हैंसक्रिश्चियन ऑस्टैंड वह पहला व्यक्ति था जिसने पता लगाया था कि विद्युत धारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है ।.

❇️ सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-.

चुम्बकीय क्षेत्र चालक के हर बिंदु पर सकेंद्री वृतों द्वारा दर्शाया जा सकता है ।.

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम या दिक्सूचक से दी जा सकती है । .

चालक के नजदीक वाले वृत निकट – निकट होते हैं । .

चुम्बकीय क्षेत्र a धारा की शक्ति ।.

चुम्बकीय क्षेत्र a=1/चालक से दूरी ।.

❇️ दक्षिण ( दायाँ ) हस्त अंगुष्ठ नियम :-.

🔹  कल्पना कीजिए कि आप अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हो कि आपका अंगूठा विद्युत धारा की ओर संकेत करता हो तो आपकी अगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा बताएँगी । इसे दक्षिण ( दायाँ ) हस्त अंगुष्ठ नियम का नियम कहते हैं ।.

❇️ विधुत धारावाही वृताकार पाश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-.

चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक बिंदु पर संकेन्द्री वृत्तों द्वारा दर्शाया जा सकता है । .

जब हम तार से दूर जाते हैं तो वृत निरंतर बड़े होते जाते हैं । .

विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिंदु से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के केंद्र पर सरल रेखा जैसे प्रतीत होने लगती है।.

पाश के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एक समान होती है ।.

❇️ विधुत धारावाही वृत्ताकार पाश के चुम्बकीय क्षेत्र को प्रभावित करने वाले कारक :-.

चुम्बकीय क्षेत्र a चालक में से प्रभावित होने वाली धारा ।.

चुम्बकीय क्षेत्र a=1/चालक से दूरी ।.

चुम्बकीय क्षेत्र कुंडली के फेरों की संख्या ।.

चुम्बकीय क्षेत्र संयोजित है । प्रत्येक फेरे का चुम्बकीय क्षेत्र दूसरे फेरे के चुम्बकीय क्षेत्र में संयोजित हो जाता है क्योंकि विद्युत धारा की दिशा हर वृत्ताकार फेरे में समान है ।.

❇️ परिनालिका :-.

🔹 पास – पास लिपटे विद्युत रोधी तांबे के तार की बेलन की आकृति की अनेक फेरों वाली कुंडली को परिनालिका कहते हैं ।.

🔶 परिनालिका का उपयोग :-.

🔹 परिनालिका का उपयोग किसी चुम्बकीय पदार्थ जैसे नर्म लोहे को चुम्बक बनाने में किया जाता है ।.

🔶 परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र :-.

🔹परिनालिका का चुम्बकीय क्षेत्र छड़ चुम्बक के जैसा होता है । परिनालिका के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र एक समान है तथा समांतर रेखाओं के द्वारा दर्शाया जाता है । .

🔶 परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा :-.

परिनालिका के बाहर – उत्तर से दक्षिण .

परिनालिका के अंदर – दक्षिण से उत्तर .

❇️ विद्युत चुंबक :-.

🔹 परिनालिका के भीतर उत्पन्न प्रबल चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किसी चुंबकीय पदार्थ , जैसे नर्म लोहे , को परिनालिका के भीतर रखकर चुंबक बनाने में किया जा सकता है । इस प्रकार बने चुंबक को विद्युत चुंबक कहते हैं ।.

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