Tu Kisi Aur Ki Jageer Hain (Ae Jaan E Ghazal) Aslam Sabri ki World Famous qawali

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This is one of the best all time hit Aslam Sabri"s Qawali
Ghazal Audio Song || Tu Kisi Aur Ki Jageer Hain Ae Jaan E Ghazal By Aslam Sabri
Song : Tu Kisi Aur Ki Jageer Hain (Ae Jaan E Ghazal)
Album : Jaan E Ghazal
Singer : Aslam Sabri
Label : Sonic Qawwali
aslam sabri ki qawwali aye meri jane ghazal is an evergreen qawwali
Lyrics just enjoy
ग़ज़ल: तू किसी और की जागीर है ऐ जान-ए-ग़ज़ल लोग तूफ़ान उठा देंगे मेरे साथ न चल
शायर: ज़फ़र कलीम.
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी,
यूँ कोई बेवफा नही होता,
जी बहुत चाहता है सच बोलें,
क्या करें हौसला नही होता।
अपना दिल भी टटोल कर देखो,
फासला बेवजह नही होता।
एक इमारत लब-ए-जमुना,
वही अंदाज़-ओ-अदा,
मुगलिया दौर की गम्माज़ नज़र आती है,
जब भी महताब की हलकी सी किरन पड़ती है,
ताज़ की शक्ल में मुमताज़ नज़र आती है।
रात तेरी नही, रात मेरी नही,
जिसने आँखों में काटी वही पायेगा।
कोई कुछ भी कहे और मैं चुप रहूँ,
ये सलीका मुझे जाने कब आयेगा।
क्या यूँ ही कल भी मेरे घर में अंधेरा होगा,
रात के बाद सुना है कि सवेरा होगा
आज जो लमहा मिला, प्यार की बातें कर ले,
वक्त बेरहम है कल तेरा न मेरा होगा।
चाँद जैसा बदन, फूल सा पैरहम,
जाने कितने दिलो पे गज़ब ढायेगा,
आजकल तू कयामत से कुछ कम नही,
जो भी देखेगा दीवाना हो जायेगा
लेकिन जान-एमन,
तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
जो मेरे शहर में कुछ रोशनी लाये होंगे,
उन चरागों ने कई घर भी जलाये होंगे
हाथ उनके भी यकीनन हुए होंगे ज़ख्मी,
जिसने राहों में मेरी काँटे बिछाये होंगे
एक आशिक ने रात पिछली पहर,
अपने महबूब के ना आने पर,
कर दिये ताज महल के टुकड़े,
आब-ए-जमुना में फेंक कर पत्थर,
भीग जाती हैं जो पलके कभी तनहाई में,
काँप उठता हूँ मेरा दर्द कोई जान ना ले,
यूँ भी डरता हूँ कि ऐसे में अचानक कोई,
मेरी आँखों में तुम्हे देख के पहचान न ले।
एक सब्र है इसके सिवा कुछ पास नही है,
बरबाद ए तमन्नाओं का एहसास नही है,
कमज़र्फ नही हूँ कि जो मैं माँग के पी लूँ,
और ये भी नही है कि मुझे प्यास नही है।
हर सनमसाज़ ने पत्थर पे तराशा तुझको,
पर वो पिघली हुई रफ्तार कहाँ से लाता,
तेरे पैरों में तो पाज़ेब पिन्हा दी लेकिन,
तेरी पाज़ेब की झनकार कहाँ से लाता?
चाँदी जैसा रंग है तेरा,
सोने जैसे बाल.
एक तू ही धनवान है गोरी,
बाकी सब कंगाल कि गोरी बाकी सब कंगाल
तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
सोज़ में तू है, साज़ में तू है,
मेरे जीने का राज़ भी तू है,
सारी दुनिया में नूर तेरा है,
तेरे बिन हर तरफ अंधेरा है।
दिल तेरा और धड़कने तेरी,
तू ही कुल कायनात है मेरी,
एक एक जाम जुस्तजू तेरी
एक एक साँस आरजू तेरी
चाँद छुपता है शर्म के मारे
तेरी राहों की धूल हैं तारे,
ये तख़ल्लुल नही हक़ीकत है,
तेरा कूचा नही है जन्नत है
एक मुसव्विर का शाहकार है तू,
चश्म ए नरगिस का इन्तज़ार है तू
रंग भी तू है राग भी तू है,
फूल भी तू है खार भी तू है।
ज़ीस्त की वारदात कुछ भी नही,
तू नही तो हयात कुछ भी नही,
साँस लेन तो एक बहाना है,
जिंदगानी तेरा ठिकाना है।
ये शबाब और ये जमाल कहाँ,
इस जहाँ में तेरी मिसाल कहाँ,
पर लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल,
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
अये ज़फर के शऊर की मलिका,
हुस्न की मय ना इस तरह छलका
थे पुजारी तेरे फिराक़-ओ-मजाल
तेरे शाइदा थे क़तील-ओ-फराज़,
तेरे सौदाई हैं शमीम-ओ-खुमार
उफ्फ् तेरा हुस्न, उफ्फ् तेरा सिंगार
तू कि खय्याम की रुबाई है,
एक छलकती हुई सुराही है
तू कि आतिश के दिल का शोला है,
और नासिर के फन का ज़लवा है
मिर्ज़ा सौदा का तू क़सीदा है,
और यगाना का तू क़ाबा है।
तू है इंशा के खाब की ताबीर,
और है मुश-हक़ी का हुस्न-ए-ज़मीर
तुझसे थी तानसेन की हर तान,
तुझपे बैजू भी दिल से था क़ुरबान,
तू है ग़ालिब का ज़ौक-ए-ला फानी
और मोमिन की तर्ज़-ए-वज़दानी
ज़ौक के फन की आबरू तू है,
दाग़ के दिल की आरज़ू तू है,
जोश ने तुझको प्यार से पूजा
और ज़िगर ने तुझे सलाम किया,
जितने फनकार बेनज़ीर हुए,
तेरी ज़ुल्फों के सब असीर हुए,
पर लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
तुझको अल्लाह ने बक्शा है जो ये हुस्नो अदा,
पेश करते हैं तुझे सब ही मोहब्बत का क़िरा
और दिलबवालो की दुनिया में है बस तेरा ही राज
तेरी मस्ताना किरामी पे बहारें कुर्बाँ
तेरी आँचल की परस्तार है मौज-ए-तूफाँ,
तुझपे होता है किसी हूर के पैकर गुमाँ,
तेरे जज़्बात की कीमत नही समझेगा कोई,
तेरा क़िरदार-ए-शराफत नही समझेगा कोई,
मैं तेरे प्यार को रुस्वा नही होने दूँगा,
तेरे साये को भी मैला नही होने दूँगा,
यूँ सर-ए-राह तमाशा नही होने दूँगा,
मान बिस्मिल का कहा अपने इरादे तू बदल,
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
तू किसी और की, जागीर है ऐ जान-ए-गज़ल,
लोग तूफान उठा लेंगे मेरे साथ न चल
हया अदा आई, गूरूर आया हिज़ाब आया,
ना आना था जिसे वो आ गई पर वो नही आई,
...जाम ओ जुनूँ सब है (ये लाईन मुझे कम समझ आई)
लो वो काली घटा भी आ गई पर वो नही आई,
तुम्हारे वादा-ए-फरहा से जिसकी शान कायम थी,
लो वो सुबह ए कयामत आ गई पर वो नही आई,
हया अदा आई, गूरूर आया हिज़ाब आया,
हजारों आफतें ले कर हसीनो पर शवाब आया,
जो तुम आये तो नींद आई, जो नींद आई तो ख्वाब आया,
मगर तेरी जुदाई में ना नींद आई ना ख्वाब आया
कल मिला वक़्त तो जुल्फें तेरी सुलझा लूँगा,
आज उलझा हूँ ज़रा वक्त को सुलझाने में
यूं तो पल भर में सुलझ जाती हैउलझी जुल्फें,
उम्र कट जाती है पर वक्त के सुलझाने मे,
कोई हँसे तो तुझे गम लगे हँसी न लगे,
तू रोज़ रोया करे उठ के चाँद रातों में,
खुदा करे कि तेरा मेरे बगैर मन न लगे
जब तुम्हे जाना ही था तो क्यों लिया आने का नाम
जान दे दूँगा जो तूने फिर लिया जाने का नाम
अये मेरी जान ए गज़ल
अये मेरी जान ए गज़ल
शायर: ज़फ़र कलीम.

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