Class 11th Rajnitik Siddhant chapter 4 Samajik nyaay NCERT based

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अध्याय में दिए गए न्याय के तीन सिद्धांतो की संक्षेप में चर्चा करो। प्रत्येक को उदाहरण के साथ समझाइए।

अध्याय में दिए गए न्याय के तीन सिद्धांत निम्नलिखित है:
समान लोगों के प्रति समान व्यवहार: आज अधिकांश उदारवादी जनतंत्रों में कुछ महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। इनमें जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकार जैसे नागरिक अधिकार शामिल हैं। इसमें समाज के अन्य सदस्यों के साथ समान अवसरों के उपभोग करने का सामाजिक अधिकार तथा मताधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार भी ‘शामिल हैं। ये अधिकार व्यक्तियों को राज प्रक्रियाओं में भागीदार बनाते हैं। समान अधिकारों के अलावा समकक्षों के साथ समान बरताव के सिद्धांत के लिए ज़रूरी है कि लोगों के साथ वर्ग, जाति, नस्ल के आधार पर भेदभाव न किया जाए।

समानुपातिक न्याय: सबके लिए समान अधिकार की दौड़ में एक ही शुरूआती रेखा निर्धारित करने के बावजूद, ऐसे मसलों में न्याय का मतलब होगा, लोगों को उनके प्रयास के पैमाने और अर्हता के अनुपात में पुरस्कृत करना। उदाहरण के तौर पर खनिकों, कुशल कारीगरों अथवा पुलिस कर्मियों जैसे कभी-कभी खतरनाक, लेकिन सामाजिक रूप से उपयोगी पेशों मे लगे लोगों को सदैव वह पारिश्रमिक नहीं मिलता, जो समाज में कुछ अन्य लोगों को होने वाली कमाई की तुलना में न्यायोचित हो। समाज में न्याय के लिए समान बरताव के सिद्धांत का समानुपातिकता के सिद्धांत के साथ संतुलन बिठाने की ज़रूरत है।
विशेष आवश्यकताओं का विशेष ध्यान: न्याय के जिस तीसरे सिद्धांत को हम समाज के लिए मान्य करते हैं, वह कर्त्तव्यों का वितरण करते समय लोगों की विशेष ज़रूरतों का ध्यान रखने का सिद्धांत है। इसे सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का तरीका माना जा सकता है। लोगों की विशेष ज़रूरतों को ध्यान में रखने का सिद्धांत समान व्यवहार के सिद्धांत को अनिवार्यतया खंडित नहीं, बल्कि उसका विस्तार ही करता है।

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