राहुल गाँधी (Rahul Gandhi , विपक्ष का नेता,लोक सभा) अब भारत तोड़ो यात्रा पर व कथनी-करनी में अंतर ???

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राहुल गांधी वर्तमान में एक लम्बे अन्तराल के बाद लोक सभा में विपक्ष के नेता बने हैं। उनके ऊपर देश के सभी वर्ग, समुदाय, धर्म, जाति,लिंग, स्थान अर्थात् पूरे भारत के लोगों के हित में और देश की एकता, अखंडता, संस्कृति,विकास और सर्व धर्म समभाव के लिए काम करने की जिम्मेदारी है। लेकिन अभी उनमें देश की जनता अज्ञानता, अपरिपक्वता और देश की सनातन संस्कृति के प्रति नफ़रत का भाव देख पीड़ा महसूस कर रही है। अभी लगता है की उनका विश्वास देश और देश की संवैधानिक संस्थाओं पर न होकर विदेश एवं विदेशी संस्थाओं पर अधिक है। उनके अनेक कार्य देश को नुकसान और शत्रु देश को लाभ पहुंचाते दिख रहे हैं। राहुल गांधी जी प्रायः देशी संस्थाओं के विरुद्ध विदेशी संस्थाओं की वकालत करने लगते हैं, जैसे हिंदरवर्ग आदि। अब तो सत्ता पक्ष से नफ़रत करते करते देश की सनातन और हिन्दू संस्कृति से भी करने लगे हैं जो, उचित नहीं। भारत की एकता को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति और एकता को जातियों में बांटकर टुकड़े-टुकड़े करने की अंग्रेज़ी कुटिलता की नीति को आगे बढ़ाने की होड़ में सबसे आगे निकलने के लिए कमर कस चुके हैं और सामाजिक एकता, सौहार्द और शांति को कुचलने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ लग रहे हैं। इनका प्रत्येक कार्य या बात समाज को लाभ देने के बजाय तात्कालिक व्यक्तिगत हित पर निहित दिखता है। इनकी कथनी-करनी में बहुत अन्तर है। बात दलित, वंचित, आदिवासी ,महिला , पिछड़ा की करते हैं लेकिन कार्य इनके विरुद्ध और अपने पारिवारिक हित में कर रहे हैं, जिससे लोगों को पीड़ा हो रही है। हर जगह यहां तक कि ब्यूटी कंटेस्ट में भी वाचित, शोषित, दलित, पिछड़ा, आदिवासी समाज को खोजते हैं, जो उचित है परन्तु विपक्ष के नेता या कोई अन्य अवसर मिलता है तो स्वयं, या पतिवार या अपने चाटुकार को मौका देने से नहीं पिछड़ते। अब लगता है कि राहुल गाँधी जी भारत जोड़ो नहीं, वल्कि भारत तोड़ो यात्रा पर निकल चुके हैं। भारत के लोग राहुल गाँधी जी से अभी भी बहुत उम्मीद किए बैठे हैं और देश हित में काम करने की अपील करते हैं।

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