Radio Play - SKANDGUPT by Jaishankar Prasad | Episode - 2

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स्कन्दगुप्त (22.8.2020)
( कड़ी#2)
इस नाटक की पहली कड़ी में आप तत्कालीन मगध साम्राज्य और उस पर हुए हूणों के आक्रमण की कहानी सुन चुके हैं | देश की रक्षा के लिए मगध के वीरों के शौर्य से भी आपका परिचय हो चुका है | हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद का लिखा यह ऐतिहासिक नाटक प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के आठवें राजा स्कन्दगुप्त की कहानी है । इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो वर्तमान समय में बिहार की राजधानी पटना है। स्कन्दगुप्त ने जितने वर्षों तक शासन किया उतने वर्षों तक युद्ध किया। बर्बर हूणों से भारत की रक्षा करने का श्रेय स्कन्दगुप्त को जाता है। हूण मध्य एशिया में निवास करने वाले बर्बर कबीलाई लोग थे। उन्होंने हिन्दुकुश पर्वत शृंखला पार करके गांधार प्रदेश पर अधिकार कर लिया और फिर भारत में गुप्त साम्राज्य पर धावा बोला। किन्तु वीर स्कन्दगुप्त ने उन्हें खदेड़ दिया। हूणों के अतिरिक्त उसने पुष्यमित्रों को भी विभिन्न संघर्षों में पराजित किया। पुष्यमित्रों को परास्त कर अपने नेतृत्व की योग्यता और शौर्य को सिद्ध कर स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की | उसने विष्णु स्तम्भ का निर्माण करवाया | जयशंकर प्रसाद का लिखा यह नाटक अतीत के भारतवर्ष की कहानी तो कहता ही है, भारत के शौर्य और वीरता की स्मृतियों से भी आपका परिचय करवाता है |

लेखक परिचय :
जयशंकर प्रसाद हिन्दी कवि, नाटककार, उपन्यासकार तथा निबन्धकार थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। उन्होंने हिन्दी काव्य में एक तरह से छायावाद की स्थापना की जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म एवं व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई और कामायनी तक पहुँचकर वह काव्य प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में भी प्रतिष्ठित हो गया। बाद के प्रगतिशील एवं नई कविता दोनों धाराओं के प्रमुख आलोचकों ने उसकी इस शक्तिमत्ता को स्वीकृति दी। इसका एक अतिरिक्त प्रभाव यह भी हुआ कि खड़ीबोली हिन्दी काव्य की निर्विवाद सिद्ध भाषा बन गयी।
जयशंकर प्रसाद ने आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक और दो भावात्मक, कुल 13 नाटकों की सर्जना की। 'कामना' और 'एक घूँट' को छोड़कर उनके सभी नाटक मूलतः इतिहास के पन्नों में सिमट गए चरित्रों और घटनाओं पर केन्द्रित हैं | वास्तव में उनके लिखे नाटक भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना के प्रतिबिंब हैं | उनके कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं: स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, जन्मेजय का नाग यज्ञ, राज्यश्री, कामना, एक घूंट।

Title: SKANDGUPT
(Episode #2)
Writer: Jaishankar Prasad
Director: Chiranjit
(Refurbished by Sh.Vinod Kumar, Programme Executive, CDU, DG; AIR.)
A presentation of Central Drama Unit, DG; AIR.

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