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Скачать или смотреть मृत्यु के बाद आखिर होता क्या है? मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन में दूसरा शरीर धारण करती है

  • the_divine_infinity
  • 2025-09-01
  • 492
मृत्यु के बाद आखिर होता क्या है? मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन में दूसरा शरीर धारण करती है
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Описание к видео मृत्यु के बाद आखिर होता क्या है? मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन में दूसरा शरीर धारण करती है

मरने के बाद आत्मा कितने दिन घर में रहती है? मृत्यु के बाद आखिर होता क्या है? मृत्यु के बाद आत्मा कितने दिन में दूसरा शरीर धारण करती है? अक्सर ये सवाल मन में आ ही जाते हैं। ऐसे में कई बार हमें गलत जानकारियां मिलती हैं जैसे - मृत्यु के बाद आत्मा भूत-प्रेत बन जाती है या फिर भटकती है या फिर स्वर्ग में जाकर आराम करती है आदि। लेकिन पुराण क्या कहते हैं ये जानना जरूरी है।गीता में श्रीकृष्ण आत्मा के अजर अमर और शाश्वत होने की बात कहते हैं। भगवान इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं,नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।इसका अर्थ है कि, आत्मा को ना तो कोई शस्त्र काट सकता है, ना आग उसे जला सकती है, ना पानी उसे भिगो सकता है और ना ही हवा उसे सुखा सकती है। इस श्लोक के अर्थ से ही साफ है कि मनुष्य की मृत्यु आत्मा की मृत्यु नहीं है, सिर्फ शरीर का नाश हुआ है, आत्मा तो अपने सफर पर निकली है।अब सवाल उठता है कि अगर एक शरीर से निकलकर आत्मा अपने सफर पर निकल गई है तो वो जाएगी कहां? और कितने दिन लगेंगे उसे नया शरीर धारण करने में और क्या ये जरूरी है कि वो नया शरीर धारण करे? क्योंकि अगर ऐसा है तो मोक्ष पिक्चर में कहां आता है फिर?गरुड़ पुराण के अनुसार,
मृत्यु के बाद आत्मा को बहुत लंबा सफर तय करना पड़ता है। मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक पहुंचती है जहां उसे यमराज के सामने पेश किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस यात्रा में आत्मा को लगभग 86 हजार योजन की दूरी तय करनी पड़ती है।
इसके बाद कर्मों के हिसाब से आत्मा की ये 86 हजार योजन की दूरी तय होती है। कर्म अच्छे तो यमलोक पहुंचने में किसी तरह की प्रताड़ना नहीं होती और अगर कर्म बुरे तो कहा जाता है कि आत्मा को कष्ट पहुंचाया जाता है।कर्मों के अनुसार मिलता है पुनर्जन्म
गरुड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि मनुष्य के द्वारा किए गए कर्म ही उसकी आत्मा के सफर को तय करते हैं। आपको ईश्वर ने एक हार्डवेयर दे दिया जिसे शरीर कहते हैं, इसमें सॉफ्टवेयर है आपकी आत्मा। आप इस हार्डवेयर के जरिए जो भी इस सॉफ्टवेयर में फीड कर रहे हैं वही इस सॉफ्टवेयर की नियति तय करेगा।

आप अच्छे कार्य कर रहे हैं तो आत्मा जन्म मृत्यु के बंधनों से मुक्त हो जाएगी लेकिन इसमें भी कई नियम हैं क्योंकि मनुष्य जब तक अपने पूर्वजन्मों के कर्म के बंधन से मुक्त नहीं हो जाता, मोक्ष नहीं मिलता। जिन लोगों को लगता है कि अगला जन्म ही नहीं है वो बिना सोचे समझे, जांचे परखे कर्म किए चले जाते हैं। उन्हें पता भी होता है कि वो बुरे कर्म कर रहे हैं तब भी वह इसे जारी रखते हैं। ऐसे ही लोगों का पुनर्जन्म होता है और उनकी आत्मा फिर से पृथ्वी लोक पर मनुष्य के रूप में जन्म लेकर उन बुरे कर्मों का फल भुगतती है।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण आपको उन लोगों की जिंदगी में देखने को मिलेगा जो कुछ गलत काम नहीं करते, कोई बुरी आदत नहीं है, हमेशा लोगों को भला करते हैं लेकिन उनके जीवन से कष्ट कभी कम नहीं होते। ये उन लोगों के पूर्वजन्मों के कर्म होते हैं जो उन्हें इस जीवन में भुगतने होते हैं। यह कर्म जो वो इस जीवन में कर रहे होते हैं ये इनके संचित कर्म बन जाते हैं जिनका फल इन्हें इस जन्म के बाद मिलता है। हां कई बार ईश्वरीय कृपा इन कर्मफलों को बदल देती है लेकिन ईश्वर की कृपा भी सबको नहीं मिलती।कितने दिन में पुनर्जन्म लेती है आत्मा?
पौराणिक शास्त्रों के मुताबिक, पुनर्जन्म मृत्यु के तीसरे दिन से लेकर 40 दिन में होता है। यानि आत्मा इन 40 दिनों के सर्कल से भी गुजर सकती है और मोक्ष प्राप्त भी कर सकती है। अब ये आपके हाथ में है कि आपकी आत्मा को ईश्वर को पाना है या फिर से सांसारिक माया में लौटना है।

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