Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत

  • Shree Krishna
  • 2024-08-18
  • 535490
श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत
shree krishnashri krishna ramanand sagarkrishna swapnil joshisri krishnaradhe__world1996shrikrishnashreekrishnaradhashreekrishnaquotesradheykrishna🙏radhekrishnajaishreekrishnaradhe_radhe🙏lordkrishnaradheradhekrishnaleelakrishnaloveharekrishnagopalradheyradheykrishnakrishnashreemadbhagwadgeetaramanandsagarshrikrishnaravindrajainश्रीकृष्णश्रीमद्भगवद्गीतामहाभारतsarvadamansarvadamanbanerjeekrishnakathashree krishna kathaभगवान कृष्णkrishna stories
  • ok logo

Скачать श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео श्री कृष्ण भाग 71 - हस्तिनापुर में दूत का आना। श्री कृष्ण का संधि पत्र । रामानंद सागर कृत

"Ramanand Sagar's Shree Krishna Episode 71 - Hastinapur Mein Doot Ka Aana. Sri Krishna Ka Sandhi Patra.

मगध नरेश जरासंध द्वारा बारम्बार मथुरा पर चढ़ाई करने से वहाँ की प्रजा त्रस्त रहने लगी तो श्रीकृष्ण ने एक नयी नगरी बसाने का निश्चय किया। उनके आदेश पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भारत के पश्चिमी दिशा में एक समुद्री द्वीप पर अति भव्य और सुख सुविधाओं से पूर्ण वैभवशाली नगर द्वारिकापुरी का निर्माण किया। श्रीकृष्ण ने योगमाया की के माध्यम से सभी मथुरावासियों को द्वारिका भिजवा दिया। इसके बाद श्रीकृष्ण और बलराम ने ऐसी लीला की कि जरासंध यह समझने लगा कि वे दोनों भाई गोमान्तक पर्वत की आग में जलकर भस्म हो गये हैं। इसके बाद जरासंध स्वयं को मथुरा का सम्राट घोषित कर देता है और हस्तिनापुर यह सन्देश भिजवाता है कि महाराज धृतराष्ट्र जो कृष्ण के भय से पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर को युवराज घोषित करना चाहते हैं, उन्हें अब डरने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि कृष्ण मर चुका है। वह अब चाहें तो अपने पुत्र दुर्योधन को युवराज बना सकते हैं। शल्य को शंका होती है कि द्रोणचार्य और भीष्म ऐसा नहीं होने देंगे। इस पर जरासंध कहता है कि कोई कितना भी पराक्रमी क्यों न हो, राजा के टुकड़ों पर पलने से उसका स्वाभिमान समाप्त हो जाता है और वो अन्दर से खोखला हो जाता है। धृतराष्ट्र कृष्ण बलराम की मौत का समाचार सुनकर प्रसन्न होता है। शकुनि धृतराष्ट्र से कहता है कि यदि उस दिन आपने मथुरावालों की सहायता के लिये अपनी सेना भेज दी होती तो आज परिस्थितियाँ हमारे विपरीत होतीं। इससे शकुनि की कुटिल नीतियों पर धृतराष्ट्र का विश्वास बढ़ता है। द्वारिकापुरी की प्रथम राजसभा में श्रीकृष्ण अक्रूर से भारत खण्ड के समस्त राजाओं को द्वारिकापुरी राज्य के स्थापना की सूचना और उनके साथ मैत्री का प्रस्ताव भेजने को कहते हैं ताकि शान्ति का वातावरण बन सके। द्वारिका का राजदूत सन्धि पत्र लेकर हस्तिनापुर महाराज धृतराष्ट्र के समक्ष भी उपस्थित होता है। धृतराष्ट्र इस सन्धि प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति देना चाहता है किन्तु शकुनि आपत्ति जताता है कि इसके पहले किसी ने भी द्वारिका का नाम नहीं सुना है। राजदूत बताता है कि द्वारिका समुद्र के एक द्वीप पर बसाया गया नया राज्य है। शकुनि इस पर द्वारिका का यह कहते हुए अपमान करता है कि फिर तो यह कोई मछुआरों की बस्ती है जहाँ उनके झोंपड़े बने होंगे और मछली पकड़ने का काम होता होगा। राजदूत शान्त स्वर में उत्तर देता है कि द्वारिका इतनी विशाल है कि वहाँ द्वारिकाधीश अपने पूरे कुल और कई अक्षौहिणी व चतुरंगी सेना के साथ निवास करते हैं। वहाँ के घरों की सीढ़ियाँ हीरों से जड़ी हुई है। नगर के मार्ग पन्नों से बने हैं और वहाँ एक ऐसा सभागृह है जिसे स्वर्ग से लाया गया है। शकुनि अपनी आदत से बाज नहीं आता। वह कहता है कि राजदूत की बातों से लगता है कि यह नगरी किसी जादूगर अथवा भूत प्रेत या गर्न्धव ने बनायी है। राजदूत उत्तर देता है कि जिन्होंने यह नगरी बसायी है, उन्हें राजा कहलाना पसन्द नहीं है। इसलिये हम उन्हें भक्तिभाव से द्वारिकाधीश कहते हैं। इस पर धृतराष्ट्र पूछते हैं कि उस द्वारिकाधीश का कोई नाम तो होगा। तब राजदूत उनका नाम लेता है ‘‘श्रीकृष्ण’’। यह नाम सुनते ही धृतराष्ट्र की सभा में मिश्रित प्रतिक्रिया होती है। श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धाभाव रखने वालों के चेहरे खिल उठते हैं किन्तु शकुनि के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगती है। धृतराष्ट्र का चेहरा भी स्तब्धित होता है। शकुनि कहता है कि कृष्ण तो मथुरा से भागते समय गोमान्तक पर्वत में जलकर मर गये थे। तब राजदूत कहता है कि आपकी मिली सूचना गलत है। वे मथुरा से भागे नहीं थे। उन्होंने केवल अपनी राजधानी बदली है। ठीक यही सूचना मगध नरेश जरासंध की राजसभा में भी पहुँचती है। वह कहता है कि यानि कृष्ण कांटा अभी तक निकला नहीं है। इसपर शिशुपाल कहता है कि जब कृष्ण स्वयं आपके रास्ते से हट गया है तो अब वो कांटा ही कहाँ रहा। राजकुमार रुक्मि कहता है कि कृष्ण की दशा अब एक चूहे की भाँति है जो आपके डर से सदैव अपने बिल में छिपा रहेगा। किन्तु हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र परेशान है। वह शकुनि से कहता है कि अगर मैंने तुम्हारे कहने पर दुर्योधन को युवराज बना दिया होता तो हस्तिनापुर में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाती। यदुवंशी बहुत ताकतवर हैं। श्रीकृष्ण का यह सन्धिपत्र एक तरह की धमकी है। अब विवश होकर मुझे युधिष्ठिर को युवराज बनाना पड़ेगा। इस पर शकुनि खुला विद्रोह करते हुए कहता है कि यदि मेरे भान्जे दुर्योधन को युवराज नहीं बनाया गया तो मैं राजनीति की ऐसी अन्तिम चाल चलूँगा जिसमें युधिष्ठिर की मृत्यु होगी।

Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev
संपादक - गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर॰ मिश्रा / सहदेव

Cast / पात्र
Sarvadaman D. Banerjee
सर्वदमन डी. बनर्जी
Swapnil Joshi
स्वप्निल जोशी
Ashok Kumar
अशोक कुमार बालकृष्णन

In association with Divo - our YouTube Partner

#shreekrishna #shreekrishnakatha #krishna"

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]