ऐतिहासिक स्मारक, Class 5, पर्यावरण और हम, Question Answer, Bihar Board

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   • पर्यावरण और हम CLASS 5 BIHAR BOARD  

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Nalanda University History: भारत में खुला था दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय, जानें नालंदा विश्वविद्यालय से जुड़ी बातें...
सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 450 ई. में की थी नालंदा विश्वविद्यालय की स्‍थापना।
एक समय यह विश्‍व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था।
नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है।

गोलघर: पटना का सबसे मुख्य आकर्षण 
पटना में घूमने की जगह की बात करें तो शहर की पहचान बन चुका गोलघर वास्तु कला का अद्भुत नमूना है। इसका निर्माण 1770 ईस्वी में इस क्षेत्र में आए अकाल के बाद अंग्रेजों द्वारा गोदाम के रूप में अन्न भंडारण के लिए करवाया गया था।

यह एक स्तूप के आकार का गोल ढांचा है और इसमें
पटना संग्रहालय: पटना के अतीत पर एक नजर ।
यह संग्रहालय बिहार का पहला संग्रहालय है और मुगल और राजपूत शैली की वास्तुकला से निर्मित है।  स्थानीय लोग इसे जादू घर के नाम से जानते हैं।  यदि आप पटना का इतिहास जान्ने में रूचि रखतें हैं, ये आपके लिए सही जगह है। 
इसमें प्रवेश करते हैं एक यक्षिणी की मूर्ति है, जो यहां की प्रमुख आकर्षण  है। हिंदू और बौद्ध धर्म की अनेक निशानियां, मौर्य और गुप्त काल की दुर्लभ मूर्तियां, भगवान बुद्ध की अस्थियां यहां की धरोहर है, आपको आपके अतीत में ले जाएंगे।

शहीद स्मारक: पटना में वीर शहीदों को करें नमन ।यह स्मारक उन सात शहीदों की याद में बनवाया गया था, जिन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में विधानसभा पर तिरंगा फहराया था और अपनी जान की कुर्बानी दी थी। यह पटना के मुख्य आकर्षण में से एक है।

खुदा बख्श लाइब्रेरी: ऐतिहासिक पांडुलिपियों का खज़ाना
इस लाइब्रेरी को देश की पहली लाइब्रेरी होने का गौरव प्राप्त है।भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया है।
इस लाइब्रेरी में राजपूत और मुगलकालीन पेंटिंग्स, कुरान की अद्भुत प्रति और अरबी,फारसी तथा मुगलकालीन दुर्लभ पांडुलिपियां संग्रहित है।

गांधी संग्रहालय: पटना में बापू को जान्ने का मौका गोल घर के सामने स्थित गांधी संग्रहालय में गांधी जी की स्मृतियों से जुड़ी चीजों को देखा जा सकता है। इसमें गांधी जी के पूरे जीवन को चित्रों और मूर्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है।

अगम कुआं: पटना में मुग़ल काल की याद दिलाता है
पटना में घूमने के ऐतिहासिक स्थल में ये एक प्रमुख स्थल है। यह कुआं चारों ओर से लाल दीवारों से घिरा हुआ है जिसमें बीच में जालीदार खिड़कियां बनी है।
कहा जाता है कि सम्राट अशोक के शासन में लोगों को यातना देने के बाद इसमें फेंक दिया जाता था। अब वर्तमान में मान्यता है कि इस कुएं में सिक्का डालने से मन्नत पूरी होती है।

कुम्हरार: पटना में इतिहास के लिए उपयुक्त 
पटना के ऐतिहासिक स्थल में कुम्हरार अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यहां मौर्य काल के अवशेष देखे जा सकते हैं। खुदाई में यहां 80 स्तंभों वाले हॉल के अवशेष भी मिले हैं।
इसमें एक संग्रहालय है जहां खुदाई के दौरान मिले तांबे के बर्तन आभूषण,सिक्के इत्यादि रखे हैं। इसे अब पार्क का रूप दिया गया है और स्थानीय लोगों के लिए यह एक पसंदीदा पिकनिक स्थल है।

तख्त श्री हरिमंदिर जी: पटना का प्रमुख तीर्थ स्थल
 गुरुद्वारा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म स्थान है।
सिक्ख आस्था से जुड़ा यह ऐतिहासिक गुरुद्वारा, सिखों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।इसमें गुरु गोविंद सिंह जी के स्मृति चिन्ह आज भी रखे हैं जिन्हें आप देख सकते हैं।

पादरी की हवेली: मदर टेरेसा से जुड़ा पटना का एक ऐतिहासिक स्थल ईसाई मिशनरी द्वारा स्थापित किया गया यह चर्च बिहार का सबसे पुराना चर्च है। इस चर्च से मदर टेरेसा भी जुड़ी हुई थी। यहीं से उन्होंने नर्सिंग का प्रशिक्षण लिया था और फिर पीड़ितो की सेवा में लग गई थी।
वर्तमान में इस चर्च में अनाथालय और स्कूल जैसे सामाजिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं।

शेरशाह की मस्जिद: 16वीं सदी में बनी मस्जिद अफगानी शैली में निर्मित इस मस्जिद का निर्माण शेरशाह सूरी ने सोलहवीं शताब्दी में करवाया था।
पटना में घूमने के ऐतिहासिक स्थल में ये एक महत्वपूर्ण स्थल है। शेर शाह सूरी मस्जिद का केंद्रीय गुंबद चार छोटे गुंबदों से घिरा हुआ है। डिजाइन का अनूठा हिस्सा यह है कि यदि आप किसी भी कोण से देखते हैं तो केवल तीन गुंबद दिखाई देते हैं।

पटन देवी: पटना का एक प्रमुख ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर
पटन देवी एक ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर है। इसे मां पटनेश्वरी भी कहते हैं। यह मंदिर मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है, सालों भर यहां श्रद्धालु आते रहते हैं।
कहा जाता है कि पाटलिपुत्र शहर का नाम मां पटन देवी के नाम पर ही पटना पड़ा।

सदाकत आश्रम: डॉ राजेंद्र प्रसाद की स्मृतियों को संजोए
 इसमें प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की स्मृतियों को संजो कर रखा गया है। इसे डॉ राजेंद्र प्रसाद की कर्म भूमि के रूप में जाना जाता है, यहीं पर उन्होंने अपनी अंतिम सांसे ली थी।
गंगा तट पर बने इस आश्रम का सुंदर और शांत माहौल आप का मन मोह लेगा।


जालान संग्रहालय: अनमोल वस्तुओं का संग्रह
यह एक निजी संग्रहालय है और इसमें जाने के लिए आपको पहले अनुमति लेनी पड़ती है, तभी आप जा सकते हैं। स्थानीय लोगों में यह किला हाउस के नाम से प्रसिद्ध है।
इसमें पुरातन काल की अनेक चीजों के साथ साथ नेपोलियन का लकड़ी का बिस्तर भी है, मुझ से इतिहास प्रेमी अवश्य ही देखना चाहेंगे।

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