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दंड से बचना चाहते हैं, तो समझौता करें
हम मनुष्य में से किसी एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता है, कि मैं एक भी पाप नहीं किया हुं।
क्योंकि यदि हम मनुष्य पापी न होते, तो शायद स्वर्ग दूतों की तरह परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित रहते।
परन्तु हम मनुष्य धर्मी नहीं, बल्कि पापी और अपराधी हैं। क्योंकि रोमियो ३ की २३ कहता है, की सबने पाप किया है।
अर्थात हमें यह स्वीकार करना जरूरी है, की हम सब पापी हैं।
यदि हम मनुष्य की दृष्टि में कोई भी व्यक्ति पाप, अपराध या किसी प्रकार का कोई गुनाह करता है, तो हम उसे जेल की सजा या दंड देने की वकालत करते हैं। मजेदार बात तो यह है, कि हम प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर की दृष्टि में एक एक पापी और अपराधी हैं। फिर भी हम लोग दुसरे को दंड देने की बात करते हैं। परन्तु यह तो निश्चित है, कि प्रत्येक पापी और अपराधियों को दंड मिलेगा। यदि आप लोग प्रभु परमेश्वर की दंड से बचना चाहते हैं, तो यह वचन को जरूर ध्यान से सुनें। क्योंकि हम मनुष्य प्रकृति के कुछ घटनाएं और चिन्हों को देख कर यह अंदाज लगा लेते हैं, की कुछ होने वाला है। परन्तु वास्तव में हम लोग परमेश्वर की इच्छा और योजनाओं को नहीं समझ पाते हैं। इसलिए प्रभु की वचन को सुनना जरूरी है।
क्योंकि लूका १२ की ५४ से ५९ में इस प्रकार लिखा है, कि और उस ने भीड़ से भी कहा, जब बादल को पच्छिम से उठते देखते हो, तो तुरन्त कहते हो, कि वर्षा होगी; और ऐसा ही होता है।
और जब दक्खिना चलती दखते हो तो कहते हो, कि लू चलेगी, और ऐसा ही होता है।
हे कपटियों, तुम धरती और आकाश के रूप में भेद कर सकते हो, परन्तु इस युग के विषय में क्यों भेद करना नहीं जानते?
और तुम आप ही निर्णय क्यों नहीं कर लेते, कि उचित क्या है?
जब तू अपने मुद्दई के साथ हाकिम के पास जा रहा है, तो मार्ग ही में उस से छूटने का यत्न कर ले ऐसा न हो, कि वह तुझे न्यायी के पास खींच ले जाए, और न्यायी तुझे प्यादे को सौंपे और प्यादा तुझे बन्दीगृह में डाल दे।
मैं तुम से कहता हूं, कि जब तक तू दमड़ी दमड़ी भर न देगा तब तक वहां से छूटने न पाएगा॥
यह वचन हमें दो बात सिखाती है, पहला यदि हमारे दैनिक जीवन में किसी के साथ किसी भी प्रकार कि कोई गड़बड़ी या झमेला हो, तो जेल जाने जैसी सजा या दंड से बचने के लिए आपसी समझौता करना चाहिए। और दूसरी बात यह है, कि हम सब मनुष्यों पापी ही हैं, और परमेश्वर की न्याय के हिसाब से पापीयों की सजा नरक का जेल ही है। इसलिए हम सब मनुष्यों को न्यायालय अर्थात विचार दिन आने से पहले परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह से अपनी सारी पाप और गुनाहों के लिए, पश्चाताप करते हुए, क्षमा मांग लेनी चाहिए। जिससे हम नरक रूपी कैदखाना में बंद होने से बच जाएंगे।
क्योंकि यदि आप जानते हैं, कि पापीयों को परमेश्वर नरक की सजा देते हैं, और यह जानते हुए भी यदि आप पाप और गुनाहों को करते रहते हैं, तो लूका १२ की ४७ और ४८ के वचन के अनुसार बहुत मार खाएंगे। क्योंकि उसमें इस प्रकार लिखा है, कि और वह दास जो अपने स्वामी की इच्छा जानता था, और तैयार न रहा और न उस की इच्छा के अनुसार चला बहुत मार खाएगा। परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा, इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत मांगा जाएगा, और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से बहुत मांगेंगें।
इसलिए यदि हम मनुष्यों को परमेश्वर की दंड से बचना है, यानी नरक सजा से बचना चाहते हैं, तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी अपनी चाल-चलन को सुधारें, पश्चाताप करें, पाप को छोड़ें और परमेश्वर को पकड़ें तथा सच्चाई और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करते रहें। धन्यवाद।
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