Pannadhay ki kahani Maharana Pratap Museum

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Panna Dhai Short Story

Udai Singh was left in care of Panna, after Rani Karnavati committed Jauhar in 1535. When Udai was attacked by his uncle Banvir, Panna Dai sacrificed her own son's life to save him.

मेवाड़ के इतिहास में जिस गौरव के साथ प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप को याद किया जाता है, उसी गौरव के साथ पन्ना धाय का नाम भी लिया जाता है, जिसने स्वामिभक्ति को सर्वोपरि मानते हुए अपने पुत्र चन्दन का बलिदान दे दिया था। इतिहास में पन्ना धाय का नाम स्वामिभक्ति के लिये प्रसिद्ध है। विश्व इतिहास में पन्ना के त्याग जैसा दूसरा दृष्टांत अनुपलब्ध है

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