डोंरू काँसे की थाली बजाकर घड़याला लगाया गया | उत्तराखंड संस्कृति हमारे रिवाज़ - भाग 2

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आज इस वीडियो के माध्यम से में आपको घड़याला और मंडान के बीच के अंतर को समझेंगे। हमारे उत्तराखंड में देवी देवताओ को खुश करने के लिए मंडान, जागर और घड़याला और अन्य कई गतिविधिया की जाती है।
मंडान में ढोल दमो हमारे पहाड़ो के वाद्य यंत्र का स्तेमाल किया जाता है। लेकिन वही घड़याला में थाली बजाने के साथ साथ एक और वाद्य यंत्र का स्तेमाल किया जाता है जो की वीडियो में भी आपको देखने को मिलेगा। अगर आपको इस वाद्य यंत्र का नाम पता है तो आप जरूर बताये।
घड़याला और मंडान देवी देवताओं और हंत्या जो की आकस्मिक मृत्यु की वजह से अपना जीवनकाल पूरा नहीं कर पाते उनको खुश करने के लिए भी लगाया जाता है।
घड़याला ज्यादातर रात के वक़्त ही लगाया जाता है।
बहुत सारे और भी अंतर हो सकते है अगर आपको कोई अंतर पता हो तो आप वीडियो कमेंट सेक्शन में जरूर अपनी राय दे।


वीडियो लोकेशन - टिपरी नवाकोट गांव, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
मुझे आशा है की आपको ये वीडियो जरूर पसंद आएगा।

जय भारत जय उत्तराखंड।
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