KB on Devtas in Vastu Purush Mandala (VPM) @ Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University

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Dr. Khushdeep Bansal talks on Devtas in the Vastu Purush Mandala (VPM) @ Shri Lal Bahadur Shastri National Sanskrit University
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अपने कर्मों को सिद्ध करके दुख मुक्त सुखी जीवन को साकार करने वाले वैदिक ज्ञान को सरलता से जानने व सीखने का केन्द्र है महागुरुकुल। महागुरुकुल में जानने की यह शुरूआत भगवान द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताए हुए ज्ञान मार्ग पर ही आधारित है।

श्रीमद्भगवद्गीता में अर्जुन को समझाते हुए भगवान कहते हैं कि संसार में सब कुछ तीन गुणों से बना है। इन सत्व, रजस और तमस गुणों से पैदा होने वाले ज्ञान, कर्म और भाव की विभिन्न मात्राओं के संयोग से ही इस संसार का विस्तार है। प्रत्येक मनुष्य में ज्ञान, कर्म और भाव के मात्रा की विभिन्नता से उसकी प्रकृति, स्वभाव और स्वकर्म निर्धारित हैं। अपनी प्रकृति द्वारा अपने कर्म से बंधा हुआ व्यक्ति अपने इस स्वकर्म में टस से मस नहीं हो सकता।

अपने कर्म को उत्तमता से करके ही दुख मुक्त, सुखी एवं उत्तम जीवन को साकार किया जा सकता है, अन्य किसी भी ढंग से नहीं। अपनी मूल प्रकृति को पहचानकर अपने स्वकर्म को उत्तमता से करके ही कर्मों में सिद्धि प्राप्त हो सकती है। भगवान कहते हैं कि अर्जुन अपने कर्म को करने वाला व्यक्ति कभी भी किसी अनिष्ठ को प्राप्त नहीं होता। भ्रमवश, अज्ञानतावश या किसी प्रभाववश जब कोई व्यक्ति अपने कर्म से भटक कर विमुख हो जाता है, तभी वह दुख या पीड़ा पाता है।तभी वह अनिष्ठ या हानि करता है।

हमारे सभी वैदिक शास्त्र जैसे आयुर्वेद, योग, वास्तु, ज्योतिष व मंत्र इत्यादि का मूल ध्येय व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार उसे उसके कर्म में सिद्धि प्रदान करवाना ही है। महागुरुकुल में इन विषयों विशेषज्ञ अवलोकन करते हैं कि उसे विमुख करने, भटकाने वाले या कोई अन्य प्रभाव क्या हैं? जिस वजह से उस व्यक्ति को उसके कर्मों में सिद्धि प्राप्त नहीं हो रही। उन कारणों को पहचानकर दुख मुक्त और उत्तम जीवन साकार करवाने के उपाय करना ही हमारे ज्ञान का मूल प्रयोजन है। हमारे वैदिक ज्ञान की धरोहर के इसी ध्येय की पूर्ति का संकल्प ही महागुरुकुल की स्थापना का आधार है। महागुरुकुल में विशेषज्ञों से मिलकर आप दुख मुक्ति के उपाय प्राप्त कर सकते हैं। वैदिक विषयों को सीख सकते है।

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