ॐ अं अंगारकाय नमः Fast 1008 Times | Om An Angarkaya Namah 1008 | Mangal Graha Mantra

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ॐ अं अंगारकाय नमः Fast 1008 Times | Om An Angarkaya Namah 1008 | Mangal Graha Mantra

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0:00 - 1-200 times ॐ अं अंगारकाय नमः
6:12 - 201-400 times ॐ अं अंगारकाय नमः
12:16 - 401-600 times Om An Angarkaya Namah
18:19 - 601-800 times Om An Angarkaya Namah
24:24 - 801 to 1008 times Mangal Graha Mantra


ज्योतिष में सभी नौ ग्रह का अपना विशिष्ट महत्व होता है. सभी ग्रह अपनी दशा/अन्तर्दशा में अपने फल प्रदान करने की क्षमता रखते हैं. यदि ग्रह शुभ होकर पीड़ित है तब उन्हें कई प्रकार से बली बनाया जा सकता है और यदि ग्रह कुंडली में अशुभ भाव का स्वामी है तब भी उसका उपचार किया जा सकता है. ग्रह को शुभ अथवा बली बनाने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जाते है. सबसे आसान, सरल और बिना पैसा खर्च किए काम आने वाला उपाय होता है मंत्र जाप. इसमें आपका थोड़ा सा समय लगता है और फल बहुत अच्छे और शुभ प्राप्त होते हैं.

मंगल की दशा में नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जाप किया जा सकता है. आप किसी भी एक मंत्र का चुनाव अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं. रात्रि समय में ही मंगल के मंत्र का जाप करें तो बेहतर होता है. किसी भी मंत्र की एक माला का जाप करें. एक माला अर्थात 108 बार मंत्र जाप करना.

मंगल के लिए वैदिक मंत्र – Vedic Mantra for Mars
"ऊँ अग्निमूर्धादिव: ककुत्पति: पृथिव्यअयम। अपा रेता सिजिन्नवति ।"

मंगल के लिए तांत्रोक्त मंत्र – Tantrokta Mantra for Mars

ऊँ हां हंस: खं ख:
ऊँ हूं श्रीं मंगलाय नम:
ऊँ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:

मंगल का नाम मंत्र – Naam Mantra for Mars

ऊँ अं अंगारकाय नम:
ऊँ भौं भौमाय नम:

एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ अं अंगारकाय नम:।'
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:'।

जप संख्या- 10,000 (10 हजार)।

मंगल का पौराणिक मंत्र – Poranik Mantra for Mars
ऊँ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम । कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम ।।

मंगल गायत्री मंत्र – Mangal Gayatri Mantra
ऊँ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात

कर्ज के लिए मुख्य रूप से मंगल ग्रह को जिम्मेदार माना जाता है. छठे भाव का स्वामी और छठा भाव भी कर्ज के लिए जिम्मेदार होता है. छठे भाव का स्वामी अच्छी अवस्था में ना होने पर और मंगल ग्रह पीड़ित होने पर कर्ज की समस्या बन जाती है.

मंगल ग्रह की क्या खासियत है-

- मंगल को नवग्रहों में सेनापतिका दर्जा दिया गया है.

- मंगल शक्ति, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पराक्रम का स्वामी है.

-इसका मुख्य तत्त्व अग्नि तत्व है और इसका मुख्य रंग लाल है.

- ताम्बा इसकी धातु है और जौ लाल मसूर आदि इसकी दान के अनाज है.

- मेष और वृश्चिक इसकी राशियां हैं.

- मंगल मकर राशी में उच्च के होते है और कर्क राशी में नीच के होते है.

मंगल के अशुभ होने पर क्या दुष्परिणाम होते हैं-

- व्यक्ति क्रूर और हिंसक स्वभाव का हो जाता है.

- आत्मविश्वास और साहस का स्तर कमजोर होता है.

- व्यक्ति को संपत्ति और जमीन के मामले में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

- व्यक्ति को रक्त सम्बन्धी समस्याएँ घेर लेती है


- अक्सर कर्ज और मुकदमेबाजी लगी रहती है और कभी कभी जेल यात्रा भी हो जाती है.

- अगर विवाह भाव से इसका सम्बन्ध हो तो वैवाहिक जीवन ख़राब हो जाता है हर रोज पारिवारिक कलह क्लेश बना रहता है

मंगल शुभ हो तो क्या परिणाम होते हैं-

- व्यक्ति साहसी और उदार होता है, उसमें आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा होता है.

- व्यक्ति को साहस और तकनीकी क्षेत्रों में खूब सफलता मिलती है.

- व्यक्ति धनवान होता है और उसके पास काफी जमीन जायदाद होती है.

- व्यक्ति का पारिवारिक सम्बन्ध अच्छा होता है.

- ऐसे लोगों को कोई नुकसान नहीं पंहुचा पाता.

- सामान्यतः इनको आयु के 28वे वर्ष से सफलता मिल पाती है.

-ऐसे लोगों के छोटे भाई से बहुत अच्छे संबंध होते हैं.

4 किन गलत आदतों से कर्ज की समस्या बढ़ जाती है-

- छोटे भाई बहनों से आप संबंध बेहतर नहीं रखते हैं.

- अपने मित्रों को हमेशा नीचा दिखाने का प्रयास करते हैं.

- हर काम करने में आपको आलस आता है.

- घर की दक्षिण दिशा में दरारें आ गयी है.

- मंगलवार के दिन भी कर्ज लेने से परहेज नहीं करते.


मंगल देवता को करें प्रसन्न पाए कर्ज से मुक्ति-

- मंगलवार का उपवास रखे और इस दिन नमक का सेवन न करें.

- नित्य प्रातः और सायंकाल हनुमान चालीसा का पाठ करें.

- अगर कर्ज या मुकदमेबाजी हो रही हो तो मंगलवार को बहते पानी में जौ बहायें.

- अगर मंगल दोष समस्या दे रहा हो तो लाल मीठी चीज़ों का दान मंगलवार को करें.

- मंगल के मंत्र का जाप मध्य दोपहर करने से मंगल का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता.

मंगल के मंत्र-

- ओम क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

- धरणी गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभम

कुमारं शक्ति हस्तं तं मंगल प्रणमाम्यहम


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