राधा कृष्ण मन्दिरको प्राण प्रतिष्ठा (उद्घाटन)

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नेपाल, बागमती प्रदेशको काभ्रेपलाञ्चोक जिल्ला पाँचखाल -१०बेला मा अवस्थित राधा कृष्ण मन्दिरको प्राण प्रतिष्ठा (उदघाटन) मिति २०८१/०५/०२ गते भव्य रुपमा सम्पन्न भएको थियो। पाँचखाल नगर,वडा कार्यालय जस्तै विविध अरु सहयोगी मन भएको भक्तजनहरूको माया, आशिर्वादले गर्दा नै आज हामिले यस राधा कृष्ण मन्दिर बनाउन सफल भएका छौ। सहयोग गर्नुहुने सबैजनालाई हामि "राधा कृष्ण" मन्दिरको समिति तर्फबाट विशेष धन्यवाद दिन चाहन्छौं।
अजै पनि हामि राधा कृष्ण मन्दिरको हितको लागि केहि सहयोग गर्छौ भन्ने चाहाना भएको भक्तजनहरूको लागि तल सम्पर्क नम्बर राखिएको छु सम्पर्क गर्न सक्नुहुनेछ :

१.निल प्रसाद पराजुली (अध्यक्ष)-985-1162331
२.दिपक सापकोटा -985-1179128
३.उमकान्त सापकोटा -9841104658
४.मनिराम प्याकुरेल -9841441357
५.हिरामणि प्याकुरेल -9860463081

"राधा-कृष्ण प्रेम श्लोक संस्कृत"
युगलाष्टकम् सहित
इस अंक में राधा-कृष्ण प्रेम श्लोक संस्कृत, युगलाष्टकम् सहित, हिंदी अर्थ सहित संकलित हैं। राधाकृष्ण के रिश्ते को दिव्य प्रेम का उच्चतम रूप माना जाता है। कृष्ण शुद्ध प्रेम के अवतार थे। कृष्ण और गोपियों के बीच सम्वन्ध आधुनिक रिश्तों की तरह नहीं। बल्कि उच्चतम प्रेम की भावना है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण तक पहुचने का माध्यम केवल राधा जी (भक्ति और प्रेम) ही है।


राधा कृष्ण प्रेम
आप पर और आपके परिवार पर श्री वृषभानु नंदिनी, कृति कुमारी, नित्य निकुंज विहारिणी, राज राजेश्वरी, लाडली श्री राधारानी जी की कृपा सदैव बनी रहे।

राधा-कृष्ण प्रेम श्लोक संस्कृत
“कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थ- श्रीराधारानी, भगवान श्रीकृष्ण में रमण करती हैं।भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराधारानी में रमण करते हैं। इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण की पूर्ण-सम्पदा श्रीराधारानी हैं। श्रीराधारानी का पूर्ण-धन श्रीकृष्ण हैं। इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थात- भगवान श्रीकृष्ण के प्राण श्रीराधारानी के हृदय में बसते हैं। श्रीराधारानी के प्राण भगवान श्री कृष्ण के हृदय में बसते हैं। इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण के नाम से श्रीराधारानी प्रसन्न होती हैं। श्रीराधारानी के नाम से भगवान श्रीकृष्ण आनन्दित होते हैं! इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
भावार्थ- श्रीराधारानी भगवान श्रीकृष्ण के शरीर में रहती हैं। भगवान श्रीकृष्ण श्रीराधारानी के शरीर में रहते हैं! इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो।

“कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थ- श्रीराधारानी के मन में भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के मन में श्रीराधारानी विराजती हैं! इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थात- श्रीराधारानी नीलवर्ण के वस्त्र धारण करती हैं। भगवान श्रीकृष्णपीतवर्ण के वस्त्र धारण करते हैं। इसलिए मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

“वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।।”

– युगलाष्टकम्
अर्थ- श्रीराधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं। भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं! इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण श्रीराधा- कृष्ण के आश्रय में गुजरे।

।।युगलाष्टकम् समाप्त।।

कृष्ण प्रेम श्लोक
“कृष्णम् वंदे जगद्गुरूम्”

“राधा साध्यम् साधनं यस्य राधा,
मंत्रो राधा मन्त्र दात्री: च राधा ।
सर्वं राधा जीवनम् यस्य राधा,
राधा राधा वाचि किम् तस्य शेषम्।।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ॥
वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥
श्री कृष्णम् गोविन्दम् वासुदेवम् हरी..!!”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“नयनम् मधुरम हस्तम् मधुरम्,
जय श्री कृष्णम् जय श्री कृष्णम्।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक
“सुंदरम् राम सिया रघुत्तम राम रमेति्,
सुंदरम् राधा कृष्णम् गोंविंदम् राधेश्याम्।।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“आद्या शक्ति स्वरूपाय परमाह्लदकारिणी,
समश्लिष्टम् उभयरूपम् राधा कृष्णम नमाम्यहम।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“नमी राधे नमामि कृष्णम।।
हे भक्तवृंदो के प्राण प्यारे ,
नमामि राधे नमामि कृष्णम।।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“कृष्णम वन्दे नन्द कुमारं,
राधा वल्लभं। नवनीत चोरं मुरलीधर सुकुमार शरीरं
गोपी वल्लभ नन्द किशोरं”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“ॐ श्री राधा-कृष्णम-गोपी कृष्णम गो लोक वासिनः।
प्रेमी भक्तानि ददातु प्रेमानन्दनम भगवान राधा-कृष्णम वन्दे! कोटि-कोटि ब्रह्माण्डे स्वामिनः।।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक

“हे!भक्तवृंदो के प्राण प्यारे ,नमामि राधे नमामि कृष्णम।
हे! भक्तवृंदो के प्राण प्यारे ,नमामि राधे नमामि कृष्णम।।”

– राधा कृष्ण प्रेम श्लोक


राधा कृष्ण कि जय।

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