श्रीमद्भगवद्गीता | अध्याय - 9 | श्लोक - 9, 10 | श्री कृष्ण अर्जुन संवाद

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आसक्ति और करतवभिमान कर्म कर्ने से मनुष्या कर्म में जाता है, पर भगवान बार बार श्रीष्टी की रचना करते है, तब भी वो क्यो कर्मो से नहीं बधते है, इसके उत्तर यह भगवान बताते हैं।

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