भौतिकवादी कभी सफल नहीं हो सकते। धार्मिक मनीषी कभी असफल नहीं हो सकते। Puri Shankaracharya Ji

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भौतिकवादी कभी सफल नहीं हो सकते। धार्मिक मनीषी कभी असफल नहीं हो सकते। Puri Shankaracharya Swami Nishchalanand Saraswati Ji, Govardhan Math Puri Peeth

पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के प्रवचनों को पढ़ने के लिए इस ब्लॉग पर जायें - https://jagadgurusandesh.blogspot.com

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00:10 - भूदेवी ने महाराज पृथु को कहा - वैदिक महर्षियोंके द्वारा चिर परीक्षित और प्रयुक्त जो सिद्धांत हैं उनकी धज्जि उड़ाकर, उनकी उपेक्षा कर, उनको ताक पर रखकर नवीन कोई भी उत्कर्ष की उद्भावना की जाएगी उसके गर्भसे विनाश निकलेगा। भौतिकवादी हो और सफल हो, सर्वथा असम्भव है। हर मोर्चे पर जो असफल रहे उसीका नाम भौतिकवादी है। हर मोर्चे पर जो सफल हो उसी का नाम धार्मिक है आध्यात्मिक है।

01:10 - हर मोर्चे पर जो असफल रहे उसीका नाम भौतिकवादी है। हर मोर्चे पर जो सफल हो उसी का नाम धार्मिक है आध्यात्मिक है।

02:20 - पृथ्वीके धारक तत्व

04:54 - क्या विश्वमें, भारत में अर्थ पुरुषार्थ रह गया है?

06:20 - नोटों के बण्डल, सोने-चाँदी का नाम अर्थ नहीं है। अर्थ सचमुच में जिसको कहते हैं - सुखद भोग्य पदार्थ का नाम अर्थ है। सुख-शान्ति में प्रयुक्त और विनियुक्त भोग्य पदार्थ का नाम अर्थ है। परम अर्थ परमात्मा की अभिव्यक्ति यह सृष्टि है। इसका साक्षात् या परम्परा से परम अर्थ परमात्मा की अभिव्यक्ति में उपयोग और विनियोग करने में जो समर्थ है उसी के जीवन में अर्थ है।

07:25 - अर्थ की जिसे परिभाषा ही नहीं मालूम है वही अर्थ के विशेषज्ञ बने बैठे हैं। जिन भौतिकवादियों को अर्थ की परिभाषा ही नहीं मालूम है वो भौतिकवादी ही पूरे विश्व में अर्थ के विशेषज्ञ के रूप में छाए हुए हैं। पूरा विश्व जिस अर्थ पर लट्टू है, प्रमाणिक रीति से निरीक्षण परीक्षण करें तो वह अर्थ पुरुषार्थ ही सिद्ध होता नहीं है। लो जी! इससे अधिक असफलता क्या होगी?

08:50 - पिशाचवृत्ति का नाम काम नहीं है जी। कमनीय परमात्मा तक पहुँचाने में मनोयोग का नाम काम है। ऐसा जीवन जो सुख-शान्ति से भरपूर हो उसका नाम काम है।

09:28 - पुरुषार्थ चतुष्टय विहीन व्यक्ति और समाज की संरचना भौतिकवाद का चरम सिद्धांत है। भौतिकवाद का चरम पर्यवसान, भौतिकवाद की चरम परिणीति… परिणीति क्या है - पुरुषार्थ चतुष्टय विहीनता। इसीलिए जो भौतिकवाद है वह ग्राह्य नहीं है। भौतिकवादी जो हैं उनके जीवन में न धर्म होता है, न अर्थ होता है, न काम होता है, न मोक्ष होता है। पुरुषार्थ चतुष्टय विहीन वो होते हैं। अतः असफल, असफल, असफल


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