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Скачать или смотреть नाइट्रोजन N और फॉस्फोरस P के साथ चने की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीका !! चने की बुवाई कब और कैसे करें

  • ProAgrimate
  • 2025-04-17
  • 234
नाइट्रोजन N और फॉस्फोरस P के साथ चने की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीका !! चने की बुवाई कब और कैसे करें
चने की बुवाई कब और कैसे करेंdap fertilizernpk 19 19 19 water soluble fertilizernpkgram sowingsowing gramchane ki kheti kaise kareनाइट्रोजन N और फॉस्फोरस P के साथ चने की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीकाचने में नाइट्रोजन (N) और फॉस्फोरस (P) का महत्व?Chane Ki Khetiचना फसलचना की वैज्ञानिक खेती |चने की खेती कैसे करें?
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नाइट्रोजन N और फॉस्फोरस P के साथ चने की पैदावार बढ़ाने का आसान तरीका !! चने की बुवाई कब और कैसे करें ‪@proagrimate‬

चने (Chickpea) में नाइट्रोजन (N) और फॉस्फोरस (P) का महत्वपूर्ण योगदान होता है:

1. **नाइट्रोजन (N)**:
**पौधों की वृद्धि**: नाइट्रोजन पौधों के विकास के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि यह प्रोटीन और क्लोरोफिल का मुख्य घटक है। इसका सही मात्रा में होना फसल की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
**फसल की उत्पादकता**: नाइट्रोजन की उचित आपूर्ति से चने की फसल की उपज में सुधार होता है, जिससे बेहतर गुणवत्ता वाले दाने प्राप्त होते हैं।

2. **फॉस्फोरस (P)**:
**ऊर्जा उत्पादन**: फॉस्फोरस ऊर्जा के संचय और प्रवाह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) का प्रमुख घटक है, जो ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
**मूल प्रणाली का विकास**: फॉस्फोरस जड़ प्रणाली के विकास में मदद करता है, जिससे पौधे अधिक स्थिर और मजबूत होते हैं। इससे पौधों को पानी और पोषक तत्वों का अवशोषण बेहतर तरीके से करने में मदद मिलती है।

इन तत्वों का संतुलित अनुपात सुनिश्चित करने से चने की गुणवत्ता और उत्पादकता में वृद्धि होती है। अच्छी फसल के लिए खाद और उर्वरकों का सही उपयोग आवश्यक है।

चने (चना/चना दाल) की खेती एक महत्वपूर्ण रबी फसल है, जिसे सही समय और विधि से बोया जाए तो अच्छी पैदावार मिलती है। @proagrimate के अनुसार या सामान्य कृषि विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, चने की बुवाई से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है:

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✅ *चने की बुवाई का सही समय (Timing of Sowing):*

**उत्तर भारत**:
*अक्टूबर के मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक*
देरी से बुवाई करने पर उत्पादन में गिरावट आती है।

**दक्षिण भारत (जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक)**:
**अक्टूबर की शुरुआत से मध्य तक**।

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✅ *बुवाई से पहले भूमि की तैयारी:*

मध्यम से भारी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
खेत को एक या दो जुताई करके भुरभुरा बना लें।
*अंतिम जुताई के समय पाटा चला दें* जिससे नमी संरक्षित रहे।

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✅ *बीज की मात्रा और तैयारी:*

**काला चना**: 75–80 किग्रा/हेक्टेयर
**काबुली चना**: 100–120 किग्रा/हेक्टेयर
बीजों को *कार्बेन्डाजिम (2g/kg बीज)* से उपचारित करें।
फिर राइजोबियम कल्चर से ट्रीट करें (नाइट्रोजन फिक्सेशन के लिए)।

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✅ *बुवाई की विधि:*

*कतार से बुवाई करें* –
कतार से कतार की दूरी: 30–35 सेमी
पौधों के बीच दूरी: 10–15 सेमी
बीज को 5–8 सेमी की गहराई पर बोएं।

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✅ *सिंचाई:*

चना एक *सुखा सहनशील फसल* है, आम तौर पर सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती।
लेकिन ज्यादा सूखा पड़ने पर *फूल और दाने बनने की अवस्था* में एक हल्की सिंचाई फायदेमंद होती है।

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✅ *उर्वरक प्रबंधन:*

**DAP**: 100 किग्रा/हेक्टेयर
**जैविक खाद या कंपोस्ट**: 5–10 टन/हेक्टेयर
अगर मिट्टी बहुत कमजोर है तो कुछ मात्रा में *सुपर फॉस्फेट या पोटाश* दिया जा सकता है।

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अगर आप चाहें तो मैं @proagrimate के लेटेस्ट सुझाव या वीडियो भी ढूंढ सकता हूँ। क्या आप चाहेंगे कि मैं ताज़ा जानकारी वेब से निकालूं?

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