MS. KAUSAR HAJI SINGING RAGA JHINJOTI, RAGA KEDAR AND A DADRA. CURATED BY MIHIR THAKORE

Описание к видео MS. KAUSAR HAJI SINGING RAGA JHINJOTI, RAGA KEDAR AND A DADRA. CURATED BY MIHIR THAKORE

ACCOMPANISTS: TABLA- PUSHKARAJ JOSHI; HARMONIUM- SUPRIYA JOSHI
BANDISHES:
राग : झिंझोटी
ताल: विलंबित झपताल
महादेव शंकर जटा जुट त्रिए नैन नीलकंठ।
व्याघ्रांबर अंबर भस्म चरा चर
सिंघी नाथ शंभो भाले तिलक बिराजा।।

ताल: अध्धा तीनताल
पति देवन‌् महादेव शिव शंभु
एक कर राख त्रिशूल एक डमरू ।
अंगबगंर ओढ़े भस्म चरावे अमर पिया पकहु ।।

ताल: द्रुत तीनताल
‌अँखियाँ उन सो लागी
मोरी आली अब लो नहीं आये।
दरस पिया बिन जिया बेकल है
किन सौतन बिरमाये।।

राग: केदार
ताल: मध्यलय झपताल
मालनीयाँ सज चली हटवा
डार के चमेली के हरवा ।
चंपा के बरन अंग सोहत
कमल दल समान सोहे अँखियाँ
छलकत जोबनवा रस मधुवा ।।

ताल: द्रुत एकताल
चतर सुघर बलमा पकरत हो बैयाँ
वे तो नवेली नार का जाने हित की सारी गँवार ।
तुम तो महाज्ञानी अत प्रवीण
सब बिध जानत हो पहचानत हो
वे तो अपने घर की लाड़लड़ात
लाड़ली को लीजो मना

दादरा
ताल: दीपचंदी

हो गयी बैरीया पिया के आवन की
दरवजवा पे थारी रहु मोरी गुँईयॉं।
कौन नगरीया पिया तुम छाये
बित न जाये ऋतु तुमरे मिलन की।
रैन अंधेरी बिरहा की मारी
अँखियन तरसत बुंदीयाँ सावन की ।।
कर प्यार सरस गरवा लाये तुम ।।

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