Rare Raga Series 7 - Raga Shobhavari bandish, old hindi film songs | राग शोभावरी बंदिश , पुराने गीत

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राग शोभावरी
स्वर गंधार व निषाद वर्ज्य। धैवत कोमल। शेष शुद्ध स्वर।
जाति औढव - औढव
समय दिन का दूसरा प्रहर
यह बहुत ही मधुर और करणप्रिया राग है, लेकिन प्रचार में कम गाया बजाया जाता है। राग दुर्गा में, धैवत शुद्ध न लेते हुए धैवत कोमल लेने से शोभावरी हो जाता है। यह राग आसावरी थाट के अंतर्गत आता है।

इस राग में किसी भी तरह का बन्धन नही है, इसलिये यह तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है।

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